ADG प्रिया दुबे ने दिखाया पावर, पुलिस मुख्यालय के आदेश को दे डाली चुनौती, महिला मुंशियों के थानों में पदस्थापन लटका
झारखंड सशस्त्र पुलिस (जैप) इंडियन रिजर्व बटालियन (आइआरबी) व स्पेशल इंडियन रिजर्व बटालियन (एसआइआरबी) की 212 महिला पुलिसकर्मियों का राज्य की थानों में मुंशी के पद पर पदस्थापन का मामला लटक गया है। इसके पीछे की वजह जैप की एडीजी प्रिया दुबे की आपत्ति है। उन्होंने पुलिस मुख्यालय के पदस्थापन संबंधित उक्त आदेश को नियम विरुद्ध बताते हुए इसका विरोध किया है।

राज्य ब्यूरो,रांची। झारखंड सशस्त्र पुलिस (जैप), इंडियन रिजर्व बटालियन (आइआरबी) व स्पेशल इंडियन रिजर्व बटालियन (एसआइआरबी) की 212 महिला पुलिसकर्मियों का राज्य की थानों में मुंशी के पद पर पदस्थापन का मामला लटक गया है।
इसके पीछे की वजह जैप की एडीजी प्रिया दुबे की आपत्ति है। उन्होंने पुलिस मुख्यालय के पदस्थापन संबंधित उक्त आदेश को नियम विरुद्ध बताते हुए इसका विरोध किया है।
उक्त आदेश को न सिर्फ रद करने की मांग की है, बल्कि यह भी लिखा है कि उक्त आदेश का अनुपालन संभव नहीं है।
उनका कहना है कि पदस्थापन के पूर्व न तो उनकी सहमति ली गई और न ही इसके लिए गठित बोर्ड को ही इसकी जानकारी दी गई।
उन्होंने अपने पत्र में यहां तक लिखा है कि इस तरह का आदेश पूर्व के किसी भी डीजीपी ने जारी नहीं किया है। अब तक जो नियम रहा है उसके अनुसार अपराध नियंत्रण के लिए सशस्त्र बल के जवानों को ही सिर्फ प्रतिनियुक्त किया जाता रहा है।
जैप, आइआरबी, एसआइआरबी के पुलिसकर्मियों को जिलों में स्थानांतरण के लिए 28 जनवरी 2025 को एडीजी जैप ने ही एक बोर्ड बनाई थी।
बोर्ड का भी अनुमोदन लिए बगैर इन इकाइयों की महिला पुलिसकर्मियों का जिलों में पदस्थापन का आदेश जारी कर दिया गया। यह अनुचित है।
एडीजी जैप प्रिया दुबे ने पुलिस मुख्यालय को अपने उक्त आदेश को रद करने की मांग की है और लिखा है कि उक्त आदेश का अनुपालन संभव नहीं है।
212 महिला पुलिसकर्मियों का किया गया था पदस्थापन
पुलिस मुख्यालय ने जैप, आइआरबी व एसआइआरबी की 212 महिला पुलिसकर्मियों का सभी जिलों में पदस्थापन संबंधित आदेश 25 सितंबर को जारी किया था।इसके बाद ही विवाद खड़ा हुआ।
इससे पूर्व यानी 23 जुलाई 2024 व तीन जनवरी 2025 को सीआइडी के तत्कालीन डीजी अनुराग गुप्ता ने 89 महिला सिपाहियों की प्रतिनियुक्ति महिला थाना में कर दी थी।
जैप, आइआरबी व एसआइआरबी एडीजी जैप प्रिया दुबे के नियंत्रण के अधीन है। उनकी या उनके माध्यम से गठित बोर्ड की सहमति लिए बगैर पदस्थापन किया जाना उन्हें मान्य नहीं है।
अपने इस निर्णय से प्रिया दुबे ने डीआइजी कार्मिक को भी अवगत करा दिया है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि पूर्व में स्थापित परिपाटी व नियमों के अनुसार कभी भी पुलिस मुख्यालय से थाने के मुंशी की प्रतिनियुक्ति नहीं की गई।
यह पूरी तरह एसपी की जिम्मेदारी रही है। सभी थानों में विभिन्न स्तर के बलों की प्रतिनियुक्ति के लिए एसपी जवाबदेह होते हैं। थानों में बलों को पुलिस मुख्यालय से प्रतिनियुक्त करना सर्वथा अनुचित है।
सभी थानों में महिला मुंशियों का होना है पदस्थापन
राज्य के सभी थानों में महिला मुंशियों का पदस्थापन होना है। इसके लिए सभी जिला व इकाइयों से पुलिस मुख्यालय ने महिला पुलिसकर्मियों से उनकी इच्छा जानी थी और आवेदन मांगा था।
करीब 500 आवेदन पुलिस मुख्यालय में पहुंचे थे, जिनकी स्क्रूटनी की गई थी। योग्य महिला पुलिसकर्मियों का पुलिस मुख्यालय ने मुंशी के पद के लायक प्रशिक्षण भी दिलाया था।
इसके पीछे यह उद्देश्य था कि महिला पुलिसकर्मी संवेदनशील होती हैं। थाने में आने वाले लोगों से बेहतर तरीके से संवाद करेंगी और उनकी समस्या के समाधान की दिशा में काम करेंगी।
प्रशिक्षण के बाद पदस्थापन संबंधित आदेश जारी होते ही एक विवाद खड़ा हुआ कि नियमों को ताक पर रखकर पुलिस मुख्यालय ने यह आदेश जारी कर दिया।
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