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गंभीर खतरे की आहट दे रहीं शहर की जर्जर इमारतें

तेज बारिश में जमींदोज होने की स्थिति में हैं कई, हादसा होने पर जिम्मेदार कौन, पता नहीं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 04:44 PM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 04:44 PM (IST)
गंभीर खतरे की आहट दे रहीं शहर की जर्जर इमारतें

राजेश पाठक, रांची : निगम क्षेत्र में स्थित जर्जर इमारतें खतरे की आहट दे रही हैं। यदि लगातार लगातार बारिश हुई तो कई जमींदोज होने की स्थिति में हैं। फिर भी निगम प्रशासन इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है। सवाल यह नहीं कि निगम के पास जर्जर भवनों की सूची है या नहीं। प्रश्न यह है कि जर्जर भवनों के ढहने पर किसी प्रकार का हादसा हुआ तो जिम्मेदार कौन होगा। जुलाई 2017 में पांच दिनों तक लगातार हुई बारिश के कारण कई जर्जर भवन ढहने की स्थिति में थे।

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मूसलाधार बारिश के कारण जमीन की सतह व इन भवनों की दीवार भी गीली हो चुकी थी। यदि कोई हादसा होता तो जान-माल की क्षति भी हो सकती थी। फिर भी नगर निगम के अधिकारी इस भयावह स्थिति के प्रति न तो गंभीर हुए और न ही चिंतित। नगर निवेशन शाखा की मानें तो शहर में जर्जर भवन हैं ही नहीं। नगर निगम में जर्जर भवनों का न तो कभी सर्वे कराया है और न ही संबंधित विभाग में ऐसे भवनों की कोई सूची उपलब्ध है।

कोलकाता बाजार से सटा भवन :

मेन रोड में कोलकाता बाजार से सटा भवन वर्षो पुरानी है। भवन की छत पर होर्डिग की संरचना के रूप में लोहे के एंगल लगे हुए हैं। वर्ष 2016 में मेयर आशा लकड़ा ने अवैध होर्डिग निरीक्षण के क्रम में इस भवन पर लगाई गई होर्डिग को लेकर उप नगर आयुक्त संजय कुमार से सवाल भी किया था। मेयर ने उनसे यह भी पूछा था कि क्या इस जर्जर भवन पर होर्डिग लगाने से पूर्व भवन की क्षमता की जांच की गई थी। मेयर के इस सवाल का उप नगर आयुक्त के पास भी कोई जवाब नहीं था। उसके बाद भी न तो भवन की जांच हुई और न ही होर्डिग की संरचना हटाई गई।

कार्ट सराय रोड के कई मकान :

बड़ा लाल स्ट्रीट से जालान रोड जाने वाले मार्ग पर वंशीधर अडुकिया रोड में और कार्ट सराय रोड में भी कई मकान जर्जर स्थिति में हैं। इनमें से कुछ मकान खाली हैं तो कुछ में लोग निवास भी कर रहे हैं। वंशीधर अडुकिया स्थित बहुमंजिली इमारत की दीवार में दरार भी नजर आ रही है।

जर्जर भवनों व खाली दुकानों को चिह्नित कर खाली कराएं :

लगातार बारिश से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए मेयर आशा लकड़ा ने 28 जुलाई 2017 को नगर आयुक्त को पत्र लिखकर शहर के जर्जर भवन व दुकानों को चिह्नित करने का आदेश दिया था। पत्र में उन्होंने लिखा था कि झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 की धारा-385 व 386 के तहत जर्जर भवनों में रहनेवालों को नोटिस देते हुए मकान व दुकान खाली कराएं, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो।

29 जुलाई को नगर आयुक्त के निर्देश पर नगर निवेशन शाखा ने कोकर डेला टोली स्थित मंगलम इन्क्लेव के जमींदोज होने की जांच की थी। 26 जुलाई को निर्माणाधीन भवन जमींदोज हो गया था। इस कारण इस भवन के बगल में रहने वाले जेपीएन सिन्हा का मकान क्षतिग्रस्त हो गया है। उन्होंने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर मुआवजा की मांग की थी और बिल्डर पर कार्रवाई करने की मांग की थी।

हालांकि जांच के क्रम में संबंधित बिल्डर फूलचंद साहु ने नगर निवेशक को बताया कि संबंधित भवन का नक्शा 2008 में आरआरडीए से स्वीकृत कराया गया था। उनके पास नक्शा की मूल प्रति उपलब्ध है। हालांकि बिल्डर ने नगर निवेशन शाखा में संबंधित भवन के स्वीकृत नक्शा की प्रति उपलब्ध नहीं करायी। इस मामले में नगर आयुक्त शांतनु कुमार अग्रहरि ने कहा था कि यदि संबंधित भवन का निर्माण बिना नक्शा पास कराए किया गया है, तो संबंधित बिल्डर पर पेनाल्टी भी की जाएगी। अंतत: परिणाम शून्य रहा। न तो बिल्डर पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई की गई और न ही पेनाल्टी।

झारखंड नगपालिका अधिनियम में क्या है प्रावधान :

- धारा-385 (संकुलित भवनों का हटाया जाना) के तहत यदि नगर आयुक्त या कार्यपालक पदाधिकारी को ऐसा प्रतीत होता है कि भवनों का कोई खंड, भवनों के अत्यधिक भीड़ या तंगी, बंदी या गलियों की खराब व्यवस्था या समुचित नालियों और हवा की कमी या भवनों की सफाई में अव्यवहारिक या किन्हीं अन्य कारणों के चलते जो लिखित में विनिर्दिष्ट हों, के कारण अस्वास्थ्यकर दशा में है, वह भवन के ऐसे खंड का निरीक्षण मुख्य नगर स्वास्थ्य पदाधिकारी और मुख्य नगर अभियंता द्वारा करवाएगा, जो ऐसे खंड के भवनों के स्वामी तथा अधिवासियों और अस्वास्थ्यकर दशा से प्रभावित भवनों के स्वामी तथा दखलदारों से सलाह करेंगे। और तदुपरांत लिखित रूप में भवनों के ऐसे खंड की स्वच्छता संबंधी दशा पर एक प्रतिवेदन उसे प्रस्तुत करेंगे।

- यदि उपधारा (1) के अधीन प्रतिवेदन प्राप्त होने पर नगर आयुक्त या कार्यपालक पदाधिकारी समझता है कि भवनों के ऐसे खंड की सफाई की सफाई की दशा, ऐसे भवनों के निवासियों अथवा पड़ोस को बीमारी का खतरा बन सकती है अन्यथा सामुदायिक स्वास्थ्य को खतरा है, वह स्थायी समिति के अनुमोदन से, भवनों के ऐसे खंड की अस्वास्थ्यकर दशा को कम करने के लिए ऐसे भवनों को, जो उसकी राय में, पूर्णत: या अंशत: हटाए जाने आवश्यक हों, को चिह्नित करेगा तथा तदुपरांत ऐसे भवनों के स्वामी को, लिखित सूचना के माध्यम से, सूचना में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर उन्हें हटाने की अपेक्षा करेगा।

- यदि उपधारा (2) के अधीन, किसी भवन के स्वामी से ऐसै प्रतीत भवन हटाने की अपेक्षा करने वाली सूचना का अनुपालन न किया जाए, सूचना में विनिर्दिष्ट अवधि के समापन के पश्चात, नगर आयुक्त या कार्यपालक पदाधिकारी स्वयं ऐसे भवनों को हटवा देगा और भवन के स्वामी से, ऐसे हटाने पर हुए व्यय की वसूली, इस अधिनियम के अधीन कर के बकाए के रूप में कर सकेगा।

- धारा 386 (मानव निवास हेतु अनुपयुक्त भवन के सुधार की अपेक्षा की शक्ति) की उपधारा (6) के तहत जब कभी, नगर आयुक्त या कार्यपालक पदाधिकारी को यह प्रतीत हो कि कोई भवन असुरक्षित और परित्यक्त होने के कारण या ध्वंस हो जाने के कारण न्यूसेंस उत्पन्न कर रहा है या सांप या अन्य ¨हसक जीवों का आश्रय बन गया है, तो नगर आयुक्त या कार्यपालक पदाधिकारी, ऐसे भवन के स्वामी या ऐसी भूमि, जिससे ऐसा भवन संलग्न है, के स्वामी को नोटिस देकर, इसको सुरक्षित करने या हटाने या ध्वंस को समतल, जैसी आवश्यकता हो, करने की अपेक्षा करेगा।

- धारा 387 (मानव निवास के लिए अनुपयुक्त भवन को ढाहने की शक्ति) की उपधारा (1) के तहत जब नगर आयुक्त या कार्यपालक पदाधिकारी अपने पास सूचना होने पर, संतुष्ट हों कि कोई भवन मानव निवास के लिए अनुपयुक्त है तथा युक्तियुक्त खर्च करने पर उपयुक्त नहीं किया जा सकता, तो वह भवन के मालिक तथा उस भवन में कोई हित रखने वाले किसी अन्य व्यक्ति, चाहे पंट्टाधारी हो या गिरवीदार या अन्य, सूचना में विनिर्दिष्ट समय सीमा के भीतर, कारण बताने को कहेगा कि क्यों नहीं भवन को ढाहने का आदेश दिया जाए।


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