हर माह 25 लाख की बिकती हैं पुरानी किताबें
राची : बाजार में नई किताबें मिलने में मुश्किल होती है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं। राजधानी में कई
राची : बाजार में नई किताबें मिलने में मुश्किल होती है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं। राजधानी में कई ऐसी दुकानें हैं, जहां आपको सभी किताबें मिल जाएंगी। वह भी सस्ती दरों पर। हम बात कर रहे हैं ओल्ड बुक मार्केट यानी पुरानी किताबों के बाजार की। शहर के अलग-अलग हिस्सों में ऐसी दुकानें तीन दर्जन से अधिक हैं, जहां पाठ्यपुस्तक संबंधी विद्यार्थियों की जरूरतें पूरी होती हैं। शहर के छात्र-छात्राओं में ओल्ड बुक का मार्केट बहुत लोकप्रिय है। राजधानी में हर माह पुरानी किताबों का कारोबार लगभग 25 लाख का है। तीन दर्जन से अधिक दुकानों में प्रतिदिन सामान्यत: 80 हजार रुपये से अधिक की किताबें बिकती हैं। सत्र शुरू होने के समय यह राशि एक लाख तक पहुंच जाती है।
इसलिए भी अधिक मांग
सिलेबस पर आधारित किताबों में बदलाव होता रहता है। कुछ विषय विशेषज्ञों की किताबें मिलना मुश्किल हो जाता है। कई बार अध्यापक पुराने पाठ्यक्रम का संदर्भ देकर भी बातें समझाते हैं। ऐसे में यहां पुरानी किताबें मददगार साबित होती हैं। उच्च शिक्षा की भी कई ऐसी किताबें होती हैं, जो ओल्ड बुक दुकानों में ही उपलब्ध होती हैं।
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कक्षा नौ से एमए तक की किताबें
ओल्ड बुक की मांग हर वर्ग के विद्यार्थियों में होती है। यहां सभी पुरानी किताबें उसी विषय की नई किताबों के मुकाबले आधे या इससे भी कम दामों पर मिल जाती है।
कॉलेज व स्कूल दोनों के विद्यार्थी एनसीईआरटी की सहायक किताबों के लिए यहां आते हैं। ओल्ड बुक का दूसरा बड़ा ग्राहक प्रोफेशनल कोर्स करने वाले विद्यार्थी होते हैं। इंजीनिय¨रग, मेडिकल, मैनेजमेंट कर रहे विद्यार्थियों के बीच ऐसी किताबों की मांग सबसे अधिक होती है। चूंकि ऐसे किताबों की कीमत अधिक होती है। इसलिए विद्यार्थी नई किताबों की जगह पुरानी किताबें खरीदना अधिक पसंद करते हैं।
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क्या हैं ओल्ड बुक्स के फायदे
-आधी से कम कीमत पर उपलब्ध
-कई बार कुछ पुस्तकें सामान्य दुकानों में नहीं मिलती हैं, लेकिन यहां मिल जाती हैं।
-विद्यार्थी कोर्स पूरा करने के बाद किताबों को बेच देते हैं।
- हर विषय की किताबें उपलब्ध।
-हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करने वालों की जेब पर बोझ नहीं।
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आप भी दे सकते हैं किताब
इन पुस्तक विक्रेताओं के पास 90 फीसद पुस्तकें विद्यार्थियों से ही मिलती हैं। विद्यार्थी कोर्स पूरा करने के बाद किताबों को बेच देते हैं। विक्रेता कुछ किताबें कबाड़ी से भी खरीदते हैं। जरूरत की किताबों के लिए कई बार ओल्ड बुक मार्केट में भी इंतजार करना पड़ता है।
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एनसीईआरटी की अधिक डिमांड
ओल्ड बुक दुकानों में 9वीं से 12वीं तक की साइंस व मैथ की सहायक किताबों की अधिक मांग होती है। इसी तरह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वालों के बीच कक्षा सात से 12वीं तक की एनसीईआरटी की किताबों की अधिक मांग होती है। ऐसे विद्यार्थी इतिहास भूगोल, राजनीतिशास्त्र की कई ऐसी किताबों की मांग करते हैं, जिनका नया वर्जन नहीं मिलता है। ऐसे में पुरानी किताबें ही इनकी जरूरत पूरी करती हैं। कोचिंग संस्थान अपने पुस्तकालय के लिए भी यहां से प्रतियोगिता की किताबें खरीदते हैं।
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यहां सजती हैं दुकानें
-ईस्ट जेल रोड, लालपुर
- कर्बला चौक
- आकाशवाणी, रातू रोड
-मेट्रो गली के आगे, रातू रोड
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