कंडा घाटी का खौफ: नवविवाहिता की साजिश से फिर गहराया दहशत का साया, इंदौर के सोनम रघुवंशी हत्याकांड से चौंकाने वाली समानताएं
नवविवाहिता मुस्कान खातून ने प्रेमी समीर शाह के साथ मिलकर पति सरफराज खान की हत्या कर शव फेंकने से पलामू की कंडा घाटी फिर चर्चा में है। कभी नक्सलियों का गढ़ मानी जाने वाली यह घाटी प्राकृतिक खूबसूरती के कारण पर्यटन स्थल के रूप में उभर रही है। सरफराज हत्याकांड ने इस नई शुरुआत पर एक काला साया डाल दिया है। इस घटना से लोगों में काफी गुस्सा है।

जागरण संवाददाता, पलामू। झारखंड के पलामू जिले में स्थित कंडा घाटी एक बार फिर अपराध और खौफ का केंद्र बन गई है। एक नवविवाहिता मुस्कान खातून ने अपने प्रेमी समीर शाह के साथ मिलकर अपने पति सरफराज खान की निर्मम हत्या कर दी। तीन दिन बाद भी घटना पर स्थानीय लोग ज्यादा कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
इस सनसनीखेज वारदात ने न केवल इलाके को झकझोर दिया, बल्कि इंदौर के चर्चित सोनम रघुवंशी हत्याकांड की भयावह यादें भी ताजा कर दी हैं। दोनों ही मामलों में प्रेम संबंधों के चलते नवविवाहित पत्नियों ने अपने पतियों की जान ले ली, जिसने सामाजिक और वैवाहिक रिश्तों पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।
कंडा घाटी की खूनी साजिश: क्या हुआ था?
पुलिस के अनुसार, 40 दिन पहले सरफराज खान के साथ विवाह के बंधन में बंधी मुस्कान खातून का अपने प्रेमी समीर शाह से एक साल से प्रेम-संबंध चल रहा था। टेन प्लस टू उच्च विद्यालय, नावा बाजार में पढ़ाई के दौरान दोनों मिले थे। पारिवारिक दबाव के कारण हुई शादी से मुस्कान नाखुश थी, जिसके बाद उसने समीर के साथ मिलकर अपने पति की हत्या की साजिश रची।
इस साजिश को अंजाम देकर उन्होंने शव को कंडा घाटी में फेंक दिया, जो एक दशक पहले तक अपराधियों का गढ़ मानी जाती थी। इस घटना ने घाटी के पुराने खौफ को फिर से जिंदा कर दिया है।
सरफराज की हत्या का मुख्य आरोपित समीर शाह को गिरफ्तार कर लिया गया। हत्या में संलिप्त पत्नी मुस्कान खातून को पुलिस पहले ही भेज चुकी है जेल। पुलिस इस मामले में अन्य संभावित लोगों की संलिप्तता की जांच कर रही है।
सोनम रघुवंशी हत्याकांड से समानताएं
- अनैतिक प्रेम संबंध और हत्या: दोनों मामलों में, नवविवाहित पत्नियों (मुस्कान और सोनम) के अपने प्रेमियों के साथ पहले से संबंध थे, जिसके कारण उन्होंने अपने पतियों (सरफराज और राजा) की हत्या की योजना बनाई।
- दबाव में शादी: मुस्कान और सोनम, दोनों ही पारिवारिक और सामाजिक दबाव के कारण एक ऐसे विवाह के लिए मजबूर हुईं जिसे वे स्वीकार नहीं कर पाईं।
- सुनसान जगह का चुनाव: कंडा घाटी और मेघालय की गहरी खाई। दोनों ही मामलों में शव को ठिकाने लगाने के लिए सुनसान और दुर्गम स्थानों को चुना गया, ताकि अपराध का पता लगाना मुश्किल हो।
- सामाजिक प्रभाव: दोनों घटनाओं ने स्थानीय समुदायों में अविश्वास और भय का माहौल पैदा किया है। रिश्तों पर से भरोसा उठने लगा है और लोग अपनी बेटियों की शादी को लेकर चिंतित हैं।
पुराना डर, नया अपराध
कंडा घाटी का एक दशक पुराना खौफ, जिसमें लूट और हत्याएं आम थीं, अब तक शांत हो चुका था। लेकिन मुस्कान की इस क्रूर साजिश ने घाटी के पुराने आपराधिक इतिहास की यादें फिर से ताजा कर दी हैं। उसी तरह, मेघालय की वेइसाडोंग फॉल्स के पास राजा रघुवंशी का शव मिलने से वह क्षेत्र भी चर्चा में आ गया, जो पर्यटकों के बीच सुरक्षित माना जाता था।
कंडा घाटी का यह इलाका कभी नक्सलियों की गतिविधियों का केंद्र था। लोग यहां आने से डरते थे और घाटी की सुंदरता अनदेखी रह गई थी। हालांकि, पुलिस की कड़ी मेहनत और नक्सल विरोधी अभियान की सफलता ने इस क्षेत्र को सुरक्षित बना दिया है।
अब इस घाटी में शांति और सुरक्षा है, जिससे लोग यहां घूमने और प्रकृति का आनंद लेने के लिए आने लगे हैं। इसकी हरी-भरी पहाड़ियां, घने जंगल और शांत वातावरण इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाते हैं। स्थानीय प्रशासन भी इस जगह को और विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है ताकि यहाँ आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
संस्थाओं और समाज पर गहरा आघात
मुस्कान और समीर का प्रेम-संबंध जिस टेन प्लस टू उच्च विद्यालय से शुरू हुआ, उसकी एकांत स्थिति और आसपास के जैविक उद्यान में छात्र-छात्राओं के घूमने-फिरने पर अब अभिभावक चिंता जता रहे हैं। वे स्कूल प्रशासन और पुलिस से सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। वहीं, नावा बाजार में इस घटना से सामाजिक ताना-बाना बिखर गया है। कई तय शादियां टूट रही हैं और बेटियों के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं।
इंदौर के सोनम रघुवंशी मामले में भी यही स्थिति देखने को मिली। सोनम के भाई ने उनसे सारे रिश्ते तोड़ लिए, और राजा का परिवार सीबीआई जांच की मांग कर रहा है। दोनों घटनाएं दर्शाती हैं कि जब सामाजिक विश्वास टूटता है तो उसका असर कितना गहरा होता है।
पुलिस ने पलामू मामले में मुस्कान और समीर को अरेस्ट कर लिया है। इनके सहयोगियों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है। इन मामलों में पुलिस की सतर्कता ने अपराधियों को तो पकड़ने में मदद की है, लेकिन समाज में विश्वास और रिश्तों पर जो घाव लगे हैं, उन्हें भरना एक बड़ी चुनौती है।
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