झारखंड में खेती योग्य और बंजर भूमि का बनेगा विस्तृत डाटाबेस, जिला स्तर पर तैयार होगा डाटा
पलामू जिले में अब कृषि योग्य और बंजर भूमि का सर्वेक्षण होगा। यह कार्य प्रज्ञा केंद्रों को सौंपा गया है। इसका उद्देश्य उन्नत कृषि को बढ़ावा देना और बंजर भूमि का उपयोग तय करना है। सर्वेक्षण में कृषि पर निर्भर आबादी फसलों की बुवाई बागवानी और बंजर भूमि की प्रकृति जैसे बिंदुओं पर ध्यान दिया जाएगा।

जागरण संवाददाता, मेदिनीनगर (पलामू)। पलामू जिला सहित राज्यभर में अब कृषि योग्य और परती जमीन का सर्वे किया जाएगा। इसके आधार पर जिला स्तर पर विस्तृत डाटा तैयार होगा। इस जिम्मेदारी को पूरा करने का काम सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) यानी प्रज्ञा केंद्रों को सौंपा गया है।
पलामू के जिला आसूचना पदाधिकारी रणवीर सिंह ने कहा कि खेतिहर और परती भूमि के सर्वे का कार्य पूरे देश में होना है। इसके लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय और केंद्रीय आईटी मंत्रालय के बीच करार हुआ है।
करार के तहत आईटी मंत्रालय की इकाई सीएससी को जिलेवार सर्वे कर डाटाबेस तैयार करना है। इस सर्वे का उद्देश्य खेती योग्य भूमि में उन्नत कृषि को बढ़ावा देना और परती जमीन की उपयोगिता तय करना है, ताकि केंद्र सरकार बड़े स्तर पर योजनाएं बना सके।
अभी विस्तृत गाइडलाइन आनी बाकी है। उसी के आधार पर जिले के हर गांव में कृषि और परती भूभाग का सर्वे किया जाएगा। सर्वे के बाद तैयार डाटा भारत सरकार के कृषि और आईटी मंत्रालय को सौंपा जाएगा।
सर्वे में इन इन बिंदुओं पर होगा फोकस
खेतीहर भूमि और निर्भरता- कितनी आबादी कृषि पर आश्रित है, कितने लोग पूरी तरह खेती करते हैं और कितने लोग अन्य व्यवसायों पर निर्भर हैं।
खरीफ व रबी की खेती- कितनी जमीन में खरीफ, रबी, सब्जी और अन्य व्यावसायिक फसलों की बुवाई हो रही है।
बागवानी व फलों की खेती- कृषि योग्य जमीन में बागवानी का कितना हिस्सा है और कितने पेड़-पौधे लगे हैं, इसका अलग डाटा बनेगा।
परती भूमि की प्रकृति- परती जमीन कृषि योग्य बनाई जा सकती है या नहीं, इसकी प्रकृति के आधार पर उसका वर्गीकरण कर अलग-अलग डाटाबेस तैयार होगा।
सर्वे के लिए वीएलई को मिलेगी ट्रेनिंग
सर्वे के लिए ग्रामीण क्षेत्र के सभी प्रज्ञा केंद्रों के वीएलई (विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर) को ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग में उनको बताया जाएगा कि किस मानक पर खेती योग्य और परती जमीन का आंकड़ा जुटाना है।
बताते चलें कि इससे पहले भी केंद्रीय आईटी मंत्रालय के निर्देश पर जिले में आर्थिक सर्वे कराया गया था, जिसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आजीविका का डाटा जुटाकर केंद्र सरकार को भेजा गया था।
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