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    सावधान! आपकी सेहत से हो रहा खिलवाड़, बिना लाइसेंस के चल रहीं खानपान की 76 प्रतिशत दुकानें

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 03:45 PM (IST)

    पाकुड़ जिले में 76% खानपान दुकानें बिना लाइसेंस के चल रही हैं जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। लगभग 5000 दुकानों में से केवल 1200 के पास ही लाइसेंस है। ग्रामीण क्षेत्रों में नियमों का उल्लंघन और हानिकारक सामग्री का उपयोग बढ़ रहा है जिससे पेट और लिवर की बीमारियाँ हो रही हैं। लाइसेंस प्रक्रिया जटिल होने के कारण दुकानदार परेशान हैं।

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    बिना लाइसेंस के चल रही हैं 76 प्रतिशत खानपान की दुकानें

    चंदन रक्षित, पाकुड़। राज्य में खानपान की दुकानें चलाने वाले दुकानदारों के लिए फूड लाइसेंस लेना अनिवार्य है। इसके बावजूद पाकुड़ जिले में 76 प्रतिशत खानपान की दुकानें बिना लाइसेंस के चल रही हैं।

    अब तक जिले में केवल 1200 दुकानदारों के पास ही फूड लाइसेंस है, जबकि जिले में नाश्ता, मिठाई व होटल व्यवसाय से पांच हजार से अधिक लोग जुड़े हैं। इसका सीधा असर आम लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

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    ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति तो और भी खराब है। नियमों की अनदेखी के साथ ही कई दुकानों में हानिकारक खाद्य सामग्री का उपयोग भी हो रहा है। दुकानदारों का कहना है कि लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया जटिल है। ऐसे में बार-बार कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसलिए हमलोगों ने आवेदन करना ही छोड़ दिया।

    लिवर और किडनी प्रभावित

    ग्रामीण क्षेत्रों में दुकानदार अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में निम्न गुणवत्ता की मिठाई, रंगयुक्त मसाले और जले हुए तेल का उपयोग कर रहे हैं। इससे पेट, लिवर और किडनी संबंधी रोगों का खतरा बढ़ रहा है।

    कई बार विभागीय जांच में ऐसे सामानों को नष्ट करवाते देखा गया है। चिकित्सकों का कहना है कि लिवर व पेट के रोगियों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। अधिकांश मरीज बाहर के खानपान के कारण बीमार पड़े हैं।

    दोपहर में ही सज जाती हैं दुकानें

    सदर प्रखंड के सोनाजोड़ी, कोयला मोड़, ईलामी, संग्रामपुर, चांदपुर, चांचकी, हिरणपुर के डांगापाड़ा, रानीपुर, मोहनपुर, तोड़ाई, अमड़ापाड़ा, लिट्टीपाड़ा, धर्मपुर मोड़, चटकम, सिमलौंग, महेशपुर अंबेडकर चौक, शहरग्राम सहित दर्जनों स्थानों पर ऐसी दुकानें दोपहर में ही सज जाती हैं और देर रात तक चलती हैं।

    इनमें से अधिकांश दुकानदारों के पास फूड लाइसेंस नहीं है, जिससे ये दुकान खाद्य सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं कर रही हैं। नतीजतन, इन दुकानों में तैयार खाद्य सामग्री का उपयोग कर ग्रामीण बीमार पड़ रहे हैं।

    लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया

    फूड लाइसेंस बनवाने के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड और दुकान के स्वामित्व से संबंधित कागजात की आवश्यकता होती है। इच्छुक दुकानदार प्रज्ञा केंद्र के माध्यम से आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की जांच के बाद फूड लाइसेंस जारी किया जाता है।

    उल्लंघन पर कारावास तक का प्राविधान

    खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 के तहत सभी दुकानदारों को लाइसेंस लेना अनिवार्य है। बिना वैध अनुमति के कारोबार करने वालों को छह माह कारावास एवं पांच लाख तक जुर्माने का प्राविधान है।

    12 लाख रुपये से कम सालाना टर्नओवर वाले दुकानदारों के लिए सौ रुपये सालाना शुल्क और 12 लाख से अधिक सालाना टर्नओवर वाले दुकानदारों के लिए 2000-3000 रुपये सालाना शुल्क लिया जाएगा।

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