Jharkhand Politics: 'झारखंड आंदोलन से भी बड़े प्रोटेस्ट की जरूरत', चंपाई सोरेन ने क्यों कही ऐसी बात
गंगाडीह में लक्ष्मी पूजा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दिनों को याद किया। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने लक्खी चरण कुंडू के घर से झारखंड मुक्ति मोर्चा की शुरुआत की और गांव-गांव पैदल चलकर संगठन को मजबूत किया। चंपाई सोरेन ने आदिवासियों की जमीन को बचाने के लिए भाजपा में शामिल होने का कारण भी बताया और झामुमो छोड़ने पर दुःख जताया।

जागरण संवाददाता, पोटका। गंगाडीह में लक्ष्मी पूजा के दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन पहुंचे एवं माता के चरणों में माथा टेक कर क्षेत्र की सुख -शांति की कामना की अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि गंगाडीह के लक्खी चरण कुंडू के घर से अपने राजनीति जीवन की शुरुआत किए थे।
शुरुआती दिनों को याद करते हुए आंदोलनकारी लख्खी चरण कुंडू जो चंपई सोरेन के सीनियर रहे हैं। उनके आवास में बैठकर उन्हें याद करते हुए भाभुक हो उठे।
उन्होंने कहा कि यहीं से हमने अपनी राजनीति जीवन की शुरुआत की गांव-गांव पैदल यात्रा कर लोगों को जोड़ते रहे और अपने खून पसीने के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा को बनाया, उस समय कई आंदोलनकारी पार्टी को तैयार करने में लग रहे आज वह साथी नहीं है।
वही अपने शब्दों में चंपई सोरेन ने कहा कि अलग झारखंड आंदोलन की तैयारी लख्खी चरण कुंडू के घर से की और भूखे प्यासे संगठन को तैयार किया उस समय बाइक नहीं हुआ करता था।
हम सब पैदल ही पार्टी का संगठन तैयार किया पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा काफी तकलीफ और मेहनत कर संगठन को तैयार किया एक-एक लोगों से संपर्क कर पार्टी को तैयार किया।
आज की स्थिति में जिस पार्टी को मैंने तैयार किया उनके विचार बदल गए, हमें लगा कि भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेकर ही मैं न्याय दिला सकता हूं।
साथ ही उन्होंने कहा कि मैं बड़ा मजदूर आंदोलन खड़ा किया था। टाटा कंपनी तूरामडी माइंस, नरवा माइंस आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में हजारों मजदूरों को आंदोलन के माध्यम से स्थाई नौकरी दिलाने का काम किया।
उन्होंने दुख जाहिर करते हुए कहा कि मैं एक पल राजनीति से संन्यास लेने की बात सोच रहा था मगर यदि मैं संन्यास ले लेता तो झारखंड में आदिवासियों की जमीन को दान पत्र के माध्यम से बड़े पैमाने पर ले लिया जा रहा है।
मुझे लगा की झारखंड आंदोलन से एक बड़ा आंदोलन की आवश्यकता हैं। मैंने देखा कि भारतीय जनता पार्टी ही एक ऐसा विकल्प है जिसकी सदस्यता लेकर मैं एक आंदोलन कर आदिवासियों की जमीन को लूटने से बचा सकता हूं।
इसलिए मैंने भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता को ग्रहण किया। झामुमो के विचार अब बदल गए हैं। जिस पार्टी संगठन को मैं तैयार किया वहां मुझे हमेशा अपमानित करते रहते थे।
इसलिए मैंने झारखंड मुक्ति मोर्चा को छोड़ दिया मुझे आज दुख होता है कि जिस पार्टी को तैयार करने के लिए मैं पैदल चलकर खून पसीना एक कर भूखे प्यासे पार्टी को तैयार किया। उस पार्टी को छोड़ने में बड़ा दर्द महसूस हुआ।
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