कोडरमा-राजगीर रेलखंड पर दौड़ेगी पर्यटन विकास की रेल, बिहार झारखंड के बौद्ध सर्किट की बढ़ेगी कनेक्टिविटी
कोडरमा-तिलैया-राजगीर रेल लाइन परियोजना का निर्माण अब अंतिम चरण में है। वर्ष 2026 तक इसके पूरी तरह चालू होने की संभावना है। इस बहुप्रतीक्षित परियोजना से क्षेत्रीय और झारखंड-बिहार के बौद्ध सर्किट की कनेक्टिविटी मजबूत होगी। वहीं स्थानीय स्तर पर रोजगार पर्यटन और व्यापार को भी नई गति मिलेगी। कोडरमा से तिलैया होते हुए राजगीर तक रेललाइन का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।

अरविंद चौधरी, झुमरीतिलैया। झारखंड और बिहार के सीमावर्ती जिलों को जोड़ने वाली निर्माणाधीन कोडरमा-तिलैया-राजगीर रेल लाइन परियोजना अब अपने अंतिम चरण में है।
वर्ष 2026 तक इसके पूरी तरह चालू होने की संभावना है। इस बहुप्रतीक्षित परियोजना से क्षेत्रीय और झारखंड-बिहार के बौद्ध सर्किट की कनेक्टिविटी मजबूत होगी।
वहीं स्थानीय स्तर पर रोजगार, पर्यटन और व्यापार को भी नई गति मिलेगी। रेलवे निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, कोडरमा से तिलैया होते हुए राजगीर तक प्रस्तावित इस रेललाइन की 43 किलोमीटर लंबाई पर निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
जबकि 21 किलोमीटर में कार्य प्रगति पर है। योजना के तहत इसे 26 मार्च 2026 तक पूरी तरह चालू करने का लक्ष्य है। हालांकि मौसम और तकनीकी कारणों से इसमें थोड़ी देरी भी हो सकती है।
इस रेलखंड के चालू होने से राजगीर, तिलैया, नवादा, बरही और कोडरमा जैसे क्षेत्रों को सीधा रेल संपर्क मिलेगा, जिससे स्थानीय नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, रोजगार और व्यापार के लिए नए रास्ते मिलेंगे। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए यह परियोजना वरदान साबित होगी।
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुर्गापूजा के अवसर पर झारखंड और बिहार की जनता को एक और बड़ी सौगात दी है। केंद्र सरकार ने बख्तियारपुर-राजगीर-तिलैया रेल लाइन के दोहरीकरण को मंजूरी दे दी है।
यह लाइन नालंदा, राजगीर और पावापुरी जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थलों को जोड़ती है। इससे देशभर से आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को बड़ी सुविधा होगी।
तकनीकी चुनौतियों से भरी है यह परियोजना
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, इस रेलखंड में चार सुरंग और सात बड़े पुल बन रहे हैं, जो तकनीकी रूप से अत्यंत चुनौतीपूर्ण हैं। इनमें से कुछ सुरंगें ऐसे दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों से गुजरती हैं, जहां पहले कोई आधुनिक निर्माण नहीं हुआ था।
घने जंगलों और पहाड़ों के बीच से गुजरता यह मार्ग भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण रेलमार्गों में गिना जाएगा।इस रेललाइन से राजगीर से रांची तक का सफर 3 से 4 घंटे तक कम हो जाएगा।
इससे खासकर छात्रों और पर्यटकों को बड़ी राहत मिलेगी। साथ ही, भारतीय रेलवे द्वारा वाइल्डलाइफ कॉरिडोर भी बनाया जा रहा है, जिससे हाथी समेत अन्य वन्य जीवों को सुरक्षित मार्ग मिल सके।
स्टेशन होंगे आधुनिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध
इस रेलखंड के अंतर्गत आने वाले स्टेशनों को स्थानीय संस्कृति और कला से सजाया जाएगा। नवादा और कोडरमा के स्टेशनों पर लोक कला और काष्ठ शिल्प की झलक देखने को मिलेगी।
इससे ये स्टेशन न केवल यात्रा के पड़ाव बल्कि सांस्कृतिक पहचान का केंद्र भी बनेंगे। सभी स्टेशन सौर ऊर्जा से संचालित होंगे, जिससे यह परियोजना पर्यावरण के अनुकूल भी बनेगी।
रेलवे मंत्रालय ने 2025-26 के बजट में 446.74 करोड़ रुपये की राशि तिलैया-कोडरमा नई रेललाइन निर्माण के लिए आवंटित की है। गौरतलब है कि इस परियोजना को वर्ष 2001-02 में स्वीकृति मिली थी।
और अब लगभग दो दशक बाद यह अपने वास्तविक रूप में आकार ले रही है। इसके पूरा होते ही झारखंड और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन विकास की नई इबारत लिखी जाएगी।
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