धनबाद-कोडरमा-गया के बीच 67 KM रेलखंड पर ऑटोमैटिक सिग्नल हुआ पूरा, 160 की स्पीड से चलेगी ट्रेन
झुमरीतिलैया (कोडरमा) से खबर है कि हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग जल्द ही ऑटोमैटिक सिग्नल प्रणाली से जुड़ जाएगा। धनबाद रेल मंडल में मानपुर से सरमाटांड तक 67 किमी मार्ग ऑटोमैटिक सिग्नल से लैस हो चुका है। इससे ट्रेनों की लेटलतीफी कम होगी और दुर्घटना की आशंका भी घटेगी। अब ट्रैक पर एक के पीछे दूसरी ट्रेन चल सकेगी।

संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा)। आने वाले दिनों में हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग पूरी तरह से आटोमैटिक सिग्नल प्रणाली से जुड़ जाएगा। वर्तमान में धनबाद रेल मंडल के प्रधानखंटा से मानपुर तक 200 किमी तक रेल मार्ग पर मानपुर से सरमाटांड तक 67 किमी रेल मार्ग को आटोमैटिक सिग्नल से लैस कर दिया गया है।
ट्रैक पर अब एक के पीछे दूसरी ट्रेन चलाई जा सकेगी। साथ ही लेटलतीफी और दुर्घटना की आशंका भी कम होगी। हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग पर 160 की रफ्तार से सेमी हाई स्पीड ट्रेन का ट्रायल अप्रैल में हो चुका है।
पंडित दीन दयाल उपाध्याय से कोडरमा के रास्ते धनबाद तक पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर रेल महाप्रबंधक स्पीड ट्रायल कर चुके हैं। मौजूदा 130 किमी की अधिकतम गति से चल रही यात्री ट्रेनों को 160 किमी प्रति घंटे की गति से चलाने से पहले आटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली अपनाई जा रही है।
रेलवे के नियम के अनुसार, दो स्टेशन के बीच की दूरी औसत 10 किमी होती है। एक स्टेशन से चलने वाली ट्रेन जब तक दूसरे स्टेशन पर नहीं पहुंच जाती, तब तक दूसरी ट्रेन नहीं चलाई जाती है। एक स्टेशन से अगले स्टेशन तक पहुंचने में 10-12 मिनट का समय लग जाता है। यानी 10-12 मिनट तक एक ट्रैक पर दूसरी दूरी नहीं चल पाती है। पीछे की ट्रेन को रोक कर रखना पड़ता है।
आटोमैटिक सिग्नल से इस तकनीकी बाधा को दूर किया जा सकेगा। इससे एक के पीछे दूसरी ट्रेन चलाई जा सकेगी। स्टेशन के चलने के बाद ट्रेन के अगले स्टेशन पर पहुंचने का इंतजार नहीं करना होगा।
रेल अधिकारी का कहना है कि ऑटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली से बगैर किसी अतिरिक्त स्टेशन के निर्माण और रखरखाव के अधिक से अधिक ट्रेन चलाने के लिए प्रमुख जंक्शन स्टेशन के ट्रैफिक को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। यह पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड है।
इसकी विशेषता यह है कि आगे चल रही ट्रेन में कोई तकनीकी खराबी आ गई तो पीछे चल रही दूसरी ट्रेन के चालक को सूचना मिल जाएगी। इससे जो ट्रेन जहां है, वहीं उसके पहिए थम जाएंगे। इस प्रणाली के तहत स्टेशन यार्ड से लगभग डेढ़ किमी पर एडवांस स्टार्टर सिग्नल लगाया जाएगा। सिग्नल के जरिए ट्रेन के स्टेशन में प्रवेश करते ही स्टेशन मास्टर को तत्काल सूचना मिल जाएगी।
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