सरना धर्म कोड की मांग को लेकर रेलवे ट्रैक पर विरोध प्रदर्शन
प्रदर्शनकारियों को सुरक्षा के घेरे में लेकर ट्रैक से बाहर निकाला गया। प्रदर्शन सुबह दस बजे से ही शुरू हो गया था। प्रदर्शन में महिलाएं भी थी।

करमाटांड़ (जामताड़ा) : हावड़ा-नई दिल्ली मुख्य रेलमार्ग स्थित आसनसोल डिवीजन के काशीटांड़ रेलवे स्टेशन हॉल्ट को जाम करने को रेलवे ट्रैक पर रविवार को आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकर्ता उतर आए। वे सरना धर्म कोड की मांग कर रहे थे। घंटे भर तक वे ट्रैक पर जमे रहे जबकि रेल पुलिस पहले से ही मोर्चा संभाले हुई थी। प्रदर्शनकारियों को सुरक्षा के घेरे में लेकर ट्रैक से बाहर निकाला गया। प्रदर्शन सुबह दस बजे से ही शुरू हो गया था। प्रदर्शन में महिलाएं भी थी। बाद में स्टेशन के बाहर भी घंटे भर तक प्रदर्शन किया गया। पुलिस की सूझबूझ से प्रदर्शनकारी रेल गमनागमन बाधित नहीं कर पाए।
ट्रैक से जब प्रदर्शनकारियों को बाहर किया गया तो वे वहीं अधिकारी को तीन सूत्री मांग पत्र सौंपे। इसके पूर्व सुबह दस बजते ही अचानक रेलवे ट्रैक पर आदिवासी सिगल अभियान के महिला, पुरुष हाथ में तख्ती लेकर रेलवे ट्रैक पर उतर चुके थे। रेलवे पुलिस प्रशासन व स्थानीय पुलिस प्रशासन शुरू से ही काशीटांड़ रेलवे स्टेशन पर खड़े थे। समर्थक एक साथ ट्रैक पर उतरकर आसनसोल-झाझा ईएमयू पैसेंजर को रोकने का प्रयास डाउन लाइन में कर रहे थे। इसी बीच रेलवे प्रशासन व स्थानीय प्रशासन की सूझबूझ के कारण लोगों को समझाकर ट्रैक से हटाया गया। हालांकि ट्रेन को रोकने में समर्थक असफल रहे। पुलिस ने समर्थकों को पूरी तरह घेर कर रेलवे ट्रैक से बाहर निकाला। इसी बीच समर्थकों की कई बार पुलिस प्रशासन व रेलवे प्रशासन के साथ नोकझोंक भी हुई। समर्थक नारेबाजी करते हुए सरना धर्म कोड की मांग कर रहे थे। रेलवे ट्रैक पर करीब एक घंटे व स्टेशन के बाहर देर समय तक विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों में नाला दुमका फतेहपुर समेत कई जगहों से लोग शामिल थे। वर्षो से की जा रही मांग : इसी बीच अभियान के जिला अध्यक्ष गोपाल सोरेन ने बताया कि सत्ता पर जो भी सरकार आती है वह आदिवासियों को छलने का काम करती है। इस सरकार ने भी छला। आदिवासियों की तरफ से सरना धर्म को मान्यता देने व जनगणना में सरना कॉलम कोड देने लिए अनेक बार पत्राचार भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, गृह मंत्री, राष्ट्रपति सचिवालय तक किया गया। आवेदन वर्ष 2016 से दिया जा रहा है लेकिन सरकार का ध्यान नहीं दे रही। नतीजतन देशव्यापी आंदोलन भी किया जा चुका है।
सीओ को ज्ञापन सौंपा : संताल परगना के संरक्षक सिकंदर टुडू ने बताया कि सरना धर्म कोड की मांग 2011 जनगणना से ही की जा रही है। कई आंदोलन हुए पर मांग पूरी नहीं हुई। सरना धर्म कोड के साथ साथ असम के आदिवासी (संताल, मुंडा, उरांव) को एसटी का दर्जा देने, झारखंड राज्य में संथाली भाषा को राजभाषा का दर्जा देने, काशीटांड हॉल्ट पर पर हावड़ा-मोकामा फास्ट पैसेंजर का ठहराव, उद्यान आभा तूफान एक्सप्रेस का ठहराव, कोलकाता-जसीडीह पैसेंजर की ठहराव की भी मांग की गई। मौके पर सगमैन मुर्मू, संजीत सोरेन, बाबू धन सोरेन आदि थे। मांग पत्र अंचल अधिकारी सच्चिदानंद वर्मा व टीआइ मनीष रंजन को सौंपा गया। ये अधिकारी थे उपस्थित थे : अंचल अधिकारी सच्चिदानंद वर्मा, पुलिस प्रशासन में आरपीएफ इंस्पेक्टर मोहम्मद शमीम खा, आरपीएफ एसआइ पीके राय, मधुपुर के टीआइ मनीष रंजन, जीआरपी के एन टुडू, धनबाद के एके साह, करमाटांड़ थाना प्रभारी प्रवन साह, नारायणपुर थाना प्रभारी पंकज कुमार, सब इंस्पेक्टर आलोक कुमार,जय प्रकाश इक्का, बी राम, मजिस्ट्रेट थियोफिल टुडू, कमलेश मंडल, स्टेशन मास्टर डीके सिंह आदि थे।
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