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    यहां कौड़ियों के भाव मिलते हैं काजू, टोकरियों में भरकर किसान हाट-बाजार में करते हैं बिक्री; अब सरकार की पहल से बदलेगी किस्‍मत

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Mon, 18 Dec 2023 10:13 AM (IST)

    झारखंड का जामताड़ा जिला साइबर ठग के लिए मशहूर है लेकिन अब काजू से इसकी किस्‍मत बदलने वाली है। यहां की मिट्टी काजू की खेती के लिए उपयुक्‍त है लेकिन यहां के किसानों को अपेक्षित बाजार नहीं मिल रहा है। हालांकि अब सरकार की पहल से प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की पहल शुरू हो रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अब किसानों को उनकी मेहनत का फल मिले।

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    अब काजू से बदलने वाली है जामताड़ा की किस्‍मत।

    कौशल सिंह, जामताड़ा। वैसे तो जामताड़ा साइबर ठगी के लिए बदनाम रहा है, लेकिन पिछले कई वर्षों से यह जिला देशभर में सस्ते काजू के लिए भी चर्चित है। लेकिन, यहां के किसानों को अपेक्षित बाजार नहीं मिला और न ही खरीदार। यहां इसकी प्रोसेसिंग प्लांट भी नहीं है। परिणामस्वरूप लोग काजू को टोकरियों में भरकर स्थानीय हाट-बाजार में कौड़ी के भाव बेचने को मजबूर हैं। अब इन किसानों के दिन बहुरने वाले हैं।

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    जामताड़ा की मिट्टी में खूब फलते हैं काजू

    13 दिसंबर को यहां पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसका संकेत दिया। उन्होंने इसकी खेती को व्यावसायिक रूप देने के लिए सरकारी प्रयास की घोषणा की। प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की पहल शुरू हो रही है। वर्ष 1990 के आसपास की बात है।

    वन विभाग को पता चला कि यहां की मिट्टी काजू के लिए उपयुक्त है। विभाग ने पौधे लगाए। ये पेड़ बन गए और काजू फलने लगे। वर्ष 2011-12 में उपायुक्त केएन झा के कार्यकाल में बागान लगाने की पहल तेज हुई। किसानों का रुझान बढ़ता गया। वर्तमान में यहां करीब 100 एकड़ से अधिक भूभाग पर काजू के बगान हैं।

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    सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं यहां के किसान

    नाला प्रखंड के मलंचा पहाड़ी क्षेत्र, कुंडहित व आसपास के क्षेत्र में इसकी बहुतायत है। लेकिन, अब तक सरकारी जमीन पर मौजूद बगानों की बंदोबस्ती नहीं हुई और प्रोसेसिंग प्लांट के अभाव में इसका लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। सरकारी सुविधा से भी वंचित हैं।

    फलस्वरूप 30 से 40 रुपये प्रति किलो की दर से किसान बेचते हैं। बंगाल के कई व्यवसायी इसका फायदा उठाते हैं। वे यहां से कम दर पर खरीदकर ऊंचे दामों में बेचते हैं। सरकार ने इस ओर ध्यान केंद्रित किया है।

    ग्रामीण सरकारी जमीन को भी पट्टे पर लेकर काजू व अन्य फलों की बागवानी कर सकेंगे। पौधे जब तक फलदार नहीं हो जाते तब तक उसकी देखभाल के लिए मनरेगा योजना से मजदूरी का भी प्रविधान होगा।

    वन विभाग भी बागों का करेगा विस्तार

    इस वर्ष मानसून से पहले जामताड़ा वन विभाग ने करीब डेढ़ लाख पौधे लगाए। इनमें 15 हजार काजू के पौधे हैं। विभाग ने यहां की उपयुक्त मिट्टी को देखते हुए निर्णय लिया कि प्रति वर्ष जितने भी पौधे लगाए जांएगे उनमें 10 प्रतिशक काजू के होंगे।

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