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    Jamshedpur News: कुड़मी समाज ने समीक्षा बैठक में भरी हुंकार, कहा- सरकार नहीं मानी तो फिर होगा उग्र आंदोलन

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 09:20 AM (IST)

    आदिवासी कुड़मी समाज ने एसटी दर्जा की मांग पूरी न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। समाज ने आंदोलनकारियों पर झूठे मुकदमे वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार का दमनकारी रवैया उनकी जीत का प्रतीक है। समाज ने कहा कि एसटी दर्जा ऐतिहासिक रूप से सिद्ध है और वे अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे।

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    सरकार नहीं मानी तो फिर थमेगा चक्का : अजीत महतो

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। आदिवासी कुड़मी समाज ने सरकार के दमनकारी रवैये को अपनी जीत का प्रतीक बताते हुए अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग पूरी न होने पर ''रेल टेका'' से भी उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

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    समाज ने आंदोलनकारियों पर दर्ज झूठे मुकदमों को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि यह उनके संवैधानिक अधिकार और ऐतिहासिक न्याय की लड़ाई है, जिससे वे किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे।

    अगर सरकार ने मांगे नहीं मानी तो फिर चक्का जाम होगा। यह बैठक शुक्रवार को सोनारी के देवेंद्र सेवा सदन में आयोजित ''रेल टेका'' व ''डहर छेंका'' आंदोलन की समीक्षा बैठक में भरी गई।

    झारखंड, ओडिशा और बंगाल से जुटे समाज के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता और समाज के मूलमानता अजीत प्रसाद महतो ने कहा, बंगाल में पुलिस घरों में घुसकर हमारे लोगों को जेल भेज रही है। यह सरकार का डर और हमारी जीत का प्रतीक है। दमन से हमारा आंदोलन कमजोर नहीं, बल्कि और मजबूत होगा।

    केंद्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर महतो की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में अजीत महतो ने कहा कि कुड़मी का एसटी दर्जा ऐतिहासिक रूप से सिद्ध है, लेकिन सरकारें इसे जानबूझकर नजरअंदाज कर रही हैं।

    उन्होंने कहा, लाखों की संख्या में महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज उठाई, लेकिन जवाब में उन्हें प्रशासनिक दमन और आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। युवाओं पर झूठे केस लादना हमारे शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने की साजिश है।

    बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि आंदोलन को भविष्य में और अधिक संगठित और तेज किया जाएगा। समाज ने केंद्र और राज्य सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि कुड़मी को एसटी का दर्जा देना ही एकमात्र न्यायपूर्ण समाधान है।

    यदि सरकार इस पर जल्द कोई सकारात्मक पहल नहीं करती है, तो आने वाले दिनों में इसके गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। इस अवसर पर समाज के कई केंद्रीय और प्रदेश स्तर के पदाधिकारी मौजूद थे।

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