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    झारखंड में नाइट शिफ्ट के लिए तैयार टाटा स्टील, सहमति बनाने को महिला कर्मियों की काउंसलिंग

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 10:22 AM (IST)

    टाटा स्टील झारखंड में महिला कर्मचारियों के लिए नाइट शिफ्ट शुरू करने की तैयारी कर रही है। झारखंड कारखाना अधिनियम में संशोधन के बाद स्वेच्छा से सहमति और सुरक्षा के साथ यह लागू होगा। जमशेदपुर में 2000 से अधिक महिला कर्मचारियों की काउंसलिंग शुरू हो गई है। यह नीति माइंस कोलियरी और अन्य डिवीजनों तक लागू होगी।

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    टाटा स्टील में महिलाएं करेंगी नाइट शिफ्ट ड्यूटी।

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। टाटा स्टील, देश की सबसे पुरानी इस्पात निर्माता कंपनी, ने झारखंड में महिला कर्मचारियों के लिए नाइट शिफ्ट शुरू करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। यह कदम झारखंड कारखाना अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन के बाद संभव होगा, जिसके लिए राष्ट्रपति भवन से अगस्त 2025 तक अनुमोदन की उम्मीद है। यह पहल कार्यस्थल पर लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देगी और झारखंड को उन राज्यों की सूची में शामिल करेगी, जहां महिलाएं नाइट शिफ्ट में काम कर सकती हैं।

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    नियमावली में संशोधन व प्रस्ताव 

    झारखंड के श्रम विभाग ने कारखाना अधिनियम में संशोधन के लिए पहले एक प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा था, जिसे खारिज कर दिया गया। राष्ट्रपति कार्यालय ने निर्देश दिया कि महिला कर्मचारी केवल स्वेच्छा से नाइट शिफ्ट में काम कर सकती हैं, बशर्ते उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो। इसके बाद नया प्रस्ताव भेजा गया, जिसमें महिलाओं को उनकी सहमति और सुरक्षा उपायों के साथ नाइट शिफ्ट की अनुमति दी जाएगी। सूत्रों के अनुसार, अगस्त 2025 में मंजूरी मिलने की संभावना है। इस बदलाव से टाटा स्टील सहित झारखंड की अन्य प्रमुख कंपनियां भी प्रभावित होंगी।

    टाटा स्टील की काउंसलिंग 

    टाटा स्टील का मानव संसाधन विभाग हॉट स्ट्रिप मिल और जमशेदपुर के अन्य प्लांटों में कार्यरत महिला कर्मचारियों की काउंसलिंग कर रहा है। काउंसलिंग में स्वेच्छा से सहमति, नाइट शिफ्ट के लाभ, और सुरक्षा उपायों की जानकारी दी जा रही है। कंपनी ने नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी लेने का वादा किया है, जिसमें सुरक्षित परिवहन, सीसीटीवी निगरानी, और कार्यस्थल पर महिला सुपरवाइजर की मौजूदगी शामिल है। वर्तमान में हॉट स्ट्रिप मिल में 75 और पूरे जमशेदपुर प्लांट में 2,000 से अधिक महिला कर्मचारी कार्यरत हैं। नियमावली में बदलाव के बाद यह व्यवस्था माइंस, कोलियरी, मार्केटिंग, और सेल्स डिवीजनों तक विस्तारित होगी।

    सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

    यह कदम झारखंड में लैंगिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण है। टाटा स्टील की पहल से महिलाओं को समान कार्य अवसर मिलेंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मविश्वास बढ़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि नाइट शिफ्ट में महिलाओं की भागीदारी से उत्पादकता और कार्यस्थल पर विविधता को बढ़ावा मिलेगा। टाटा स्टील ने पहले भी महिला कर्मचारियों के लिए टेक्नीशियन प्रशिक्षण और नेतृत्व विकास जैसे प्रगतिशील कार्यक्रम लागू किए हैं, जिन्होंने महिलाओं को तकनीकी और प्रबंधकीय भूमिकाओं में सशक्त बनाया है।

    अन्य राज्यों में नाइट शिफ्ट की स्थिति

    भारत में कई राज्यों ने कारखाना अधिनियम, 1948 और दुकान एवं स्थापना अधिनियम में संशोधन कर महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति दी है, बशर्ते उनकी सहमति और सुरक्षा सुनिश्चित हो। इन राज्यों में शामिल हैं:

    • आंध्र प्रदेश (25 अक्टूबर 2022)
    • अरुणाचल प्रदेश (1 अप्रैल 2022)
    • असम (18 अक्टूबर 2016)
    • छत्तीसगढ़ (3 फरवरी 2022)
    • गुजरात (23 जून 2020)
    • हरियाणा (4 जुलाई 2025)
    • हिमाचल प्रदेश (12 अगस्त 2022)
    • कर्नाटक (24 दिसंबर 2016)
    • महाराष्ट्र (23 मार्च 2018)
    • मध्य प्रदेश (1 अगस्त 2022)
    • मेघालय (10 जनवरी 2024)
    • ओडिशा (31 अक्टूबर 2022)
    • राजस्थान (7 मार्च 2024)
    • तमिलनाडु (3 अप्रैल 2017)
    • तेलंगाना (13 अक्टूबर 2022)
    • उत्तर प्रदेश (27 मई 2022)
    • उत्तराखंड (18 जुलाई 2023)
    • पुडुचेरी (27 अक्टूबर 2022)
    • दिल्ली (2025 में अनुमति)
    • बिहार (6 जून 2025, रात 10 बजे तक सीमित)
    • केरल (27 मार्च 2025)

    इन राज्यों में नाइट शिफ्ट की अनुमति सख्त शर्तों के साथ दी गई है, जैसे सुरक्षित परिवहन, सीसीटीवी, महिला सुपरवाइजर, और यौन उत्पीड़न रोकथाम (POSH) अधिनियम का अनुपालन। पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों में अभी भी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में नाइट शिफ्ट पर प्रतिबंध है। झारखंड के प्रस्तावित संशोधन के मंजूर होने पर यह सूची में शामिल हो जाएगा।

    टाटा स्टील का यह प्रयास कानूनी अनुपालन के साथ-साथ कार्यस्थल पर समावेशिता और सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह कदम झारखंड में महिलाओं के लिए नए अवसर खोलेगा और कार्यस्थल पर समानता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।