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    Shibu Soren News: शिबू सोरेन के निधन पर भावुक हुए बेसरा, कहा- मुझे उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे गुरुजी

    Updated: Mon, 04 Aug 2025 06:20 PM (IST)

    झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन (Shibu Soren News) का निधन हो गया है। आजसू के संस्थापक सूर्य सिंह बेसरा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। बेसरा ने कहा कि गुरुजी के निधन से झारखंड में एक अपूरणीय शून्यता आ गई है। उन्होंने गुरुजी के साथ अपने गहरे संबंध को याद करते हुए कहा कि 1980 में गुरुजी ने उन्हें झारखंड आंदोलन का बागडोर संभालने की बात कही थी।

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    शिबू सोरेन के निधन पर भावुक हुए बेसरा

    जागरण संवाददाता जमशेदपुर। झारखंड राज्य के निर्माता, पूर्व मुख्यमंत्री सह झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक दिशोम गुरु शिबू सोरेन (Shibu Soren News) का आज निधन हो गया। इस मौके पर आजसू के संस्थापक सह झारखंड पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने झारखंड आन्दोलन के जनक और राज्य के निर्माता दिशोम गुरु शिबू सोरेन की आकस्मिक निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गहरी संवेदना व्यक्त की है।

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    बेसरा ने गुरुजी की दिवंगत आत्मा को शांति के लिए तथा सोरेन परिवार को सहन शक्ति देने के लिए ईश्वर (मरांग बुरू) से प्रार्थना किया है। श्री बेसरा ने कहा है कि गुरुजी की देहान्त का खबर मिलते ही सम्पूर्ण भारत देश और झारखंड प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई। सूर्य सिंह बेसरा ने कहा है कि गुरुजी के निधन से अपूरणीय शून्यता बन गई है, उनकी भरपाई कदापि सम्भव नहीं है। हमने झारखंड राज्य के निर्माता को सदा के लिए खो दिया है।

    गुरु जी के साथ था गहरा संबंध

    बेसरा कहते हैं कि 1980 में गुरु जी ने कहा था मेरे उत्तराधिकारी के रूप में एक दिन सूर्य सिंह बेसरा ही झारखंड आन्दोलन का बागडोर संभालेंगे। बेसरा के अनुसार 1980 में वह घाटशिला कॉलेज में प्रथम वर्ष वाणिज्य संकाय के विद्यार्थी थे। उन दिनों गुरुजी झारखंड आन्दोलन में काफी लोकप्रिय नेताओं में से थे।

    उन्होंने बताया कि गुरुजी सूदखोर महाजनों के खिलाफ सीधी करवाई की लड़ाई लड़ते थे। साथ ही शराब बंदी और जंगल बचाओ का भी आन्दोलन करते थे। उनसे प्रभावित होकर मैंने गृह प्रखंड डूमरिया क्षेत्र में शराब भट्टी तोड़ो आंदोलन, आदिवासियों का जमीन वापसी करना तथा जंगल बचाओ आन्दोलन का नेतृत्व किया।

    भाषण सुन प्रभावित हुए गुरुजी

    उसके बाद 1980 में शैलेन्द्र महतो के साथ 2 फरवरी को संतालपरगना स्थित दुमका जाकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना दिवस पर जनसभा को संबोधित किया। मेरा भाषण सुन कर गुरुजी काफी प्रभावित हुए। हमने गुरुजी को आग्रह किया कि 30 जून को सिंहभूम जिला स्थित मुसाबनी ताम्र नगर में "सिदो कानू हूल" दिवस में आपको मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करना है।

    गुरुजी ने आमंत्रण को स्वीकार कर लिया। 30 जून को मुसाबनी गुरुजी उपस्थित हुए, जहां 10 हजार लोगों की भीड़ देख कर बहुत खुश हुए। तब से ही मैंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का समर्पित सिपाही बन कर पार्टी का विस्तार किया। गुरुजी खुश हो कर मुझे 1985 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए घाटशिला से झामुमो की टिकट से चुनाव लड़ावाया।

    बेसरा ने बताया कि वह दस हजार वोट से चुनाव जीत गए थे, लेकिन चुनाव पदाधिकारी की गड़बड़ी से कांग्रेस के उम्मीदवार कारण मरांडी को निर्वाचित घोषित किया गया। उसके बाद 1986 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की द्वितीय महाधिवेशन रांची में हुई।

    इस अधिवेशन में मुझे पार्टी की केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के अलावा गुरुजी ने मुझे छात्र संघटन बनाने का जिम्मेदारी सौंपा। उसके बाद मैंने 22 जून 1986 को जमशेदपुर में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) का गठन किया था।