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पूर्वी सिंहभूम की सारथी को शबाना आजमी के हाथों सम्मान, ये है खास वजह

बहरागोड़ा प्रखंड में सुदूर व पिछड़े गांव डोमबहुरिया निवासी सारथी को प्रख्यात सिने अभिनेत्री व सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी ने सम्मानित किया।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 11 Aug 2019 10:55 AM (IST)Updated: Sun, 11 Aug 2019 10:55 AM (IST)
पूर्वी सिंहभूम की सारथी को शबाना आजमी के हाथों सम्मान, ये है खास वजह
पूर्वी सिंहभूम की सारथी को शबाना आजमी के हाथों सम्मान, ये है खास वजह

जमशेदपुर, जासं।  लड़कियों के अधिकारों व लैंगिक समानता के लिए काम करनेवाली पूर्वी सिंहभूम की सारथी भी उन नौ लोगों में शामिल हैं, जिन्हें सामाजिक परिवर्तन के लिए उल्लेखनीय काम करने के लिए शनिवार को नई दिल्ली में सम्मानित किया गया। बहरागोड़ा प्रखंड में सुदूर व पिछड़े गांव डोमबहुरिया निवासी सारथी को यूथ चैंपियन फॉर गल्र्स राइट्स - महिला श्रेणी में योगदान के लिए प्रख्यात सिने अभिनेत्री व सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी ने सम्मानित किया।

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प्लान इंडिया इम्पैक्ट अवाड्र्स के तीसरे संस्करण में आठ श्रेणियों के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, नर्स, सामुदायिक स्वयंसेवक और बाल कल्याण समिति श्रेणी में विजेता सम्मानित किए गए। इस बार 21 राज्यों के 190 से अधिक एनजीओ ने इस पुरस्कार में भागीदारी की थी।  

निरंतर प्रयासों को दिलाई पहचान

समारोह में सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित शबाना आजमी ने कहा  कि इस पुरस्कार ने न केवल जमीनी स्तर पर काम करनेवालों के निरंतर प्रयासों को पहचान दिलाई है, बल्कि दूसरे लोगों को समुदाय को मजबूत करने और वास्तविक परिवर्तन लाने में अहम भूमिका निभाने की प्रेरणा भी मिलती है। प्लान इंडिया की कार्यकारी निदेशक अनुजा बंसल ने कहा कि 2017 में स्थापना के बाद से प्लान इंडिया इम्पैक्ट अवाड्र्स ने उन्हें मान्यता दी है जिन्होंने समाज में बदलाव लाने के लिए लीक से हटकर कर्तव्यों का पालन किया। पुरस्कार की अन्य श्रेणियों में ओडिशा की पद्माबती नाइक को भी सहायक नर्स मिडवाइफ के रूप में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

गरीबी से लड़कर बनाई पहचान 

घाटशिला अनुमंडल अंतर्गत बहरागोड़ा प्रखंड के पिछड़े गांव की रहनेवाली सारथी अकेली मां के साथ रहती है। आर्थिक संकट के बावजूद उसने अपने परिवार को संभालने की कोशिश की। शिक्षा के महत्व को समझते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी। गांव के स्कूल में शिक्षकों की हड़ताल के समय खुद आगे बढ़कर बच्चों को पढ़ाने की पहल की। सारथी गांव के बच्चों को निश्शुल्क ट्यूशन भी पढ़ाती है। लड़कियों को शिक्षा दिलाने के लिए उनके माता-पिता को समझाने का लगातार लगी रही। कई लड़कियां उसके प्रयास से निजी स्कूलों में पढ़ रही हैं।

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