Ramdas Soren: ग्राम प्रधान से शिक्षा मंत्री तक का सफर, पूर्व CM के बेटे को भी दे चुके हैं शिकस्त
झारखंड के मंत्री रामदास सोरेन का दिल्ली में निधन हो गया। उनके पैतृक गांव घोड़ाबांधा में शोक की लहर है। ग्राम प्रधान से राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले सोरेन तीन बार घाटशिला से विधायक रहे। 2024 में उन्होंने पूर्व सीएम चम्पाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को हराया था। वे शिक्षा मंत्री भी रहे।

जागरण संवाददाता, घाटशिला। ग्राम प्रधान से प्रदेश के मंत्री पद को सुशोभित कर चुके रामदास सोरेन का 15 अगस्त को दिल्ली में निधन हो गया। ये सुनकर उनके पैतृक गांव घोड़ाबांधा में मायूसी छा गई। रामदास सोरेन अपने गांव में भी काफी लोकप्रिय थे।
रामदास सोरेन का पैतृक गांव मूल रूप से घाटशिला का खरस्ती रहा, लेकिन इनके दादा रोजगार के सिलसिले में घोड़ाबांधा चले गए थे। जहां टाटा टेल्को में इनके दादा कर्मचारी थे। इसके बाद घोड़ाबांधा में बस गए। रामदास सोरेन के पिता पहले घोड़ाबांधा के ग्राम प्रघान थे।
ग्राम प्रधानी से हुई राजनीतिक शुरुआत
पिता के निधन के बाद परंपरा अनुसार रामदास सोरेन को प्रधान चुना गया था। ग्राम प्रधान के रूप में परंपरा संस्कृति के संवर्धन व संरक्षण को लेकर रामदास सोरेन काफी सक्रिय थे। जल जंगल व जमीन के नारे को हमेशा बुलंद किया करते थे।
पैतृक आवास पर लोगों से मिलने के लिए खटिया पर बैठे रामदास सोरेन की फाइल फोटो।
वे झामुमो में जमशेदुपर ब्लाक कमेटी में एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में जुड़े थे। इसके बाद वे जिला कमेटी के सदस्य बने। फिर जिला सचिव व 1990 में जिलाध्यक्ष बने थे।
घाटशिला से विधायक रहते हुए भी वे काफी दिनों तक संगठन के जिलाध्यक्ष का दायित्व संभाल चुके थे। रामदास सोरेन के संघर्ष व जनहित के कार्यों ने उन्हें ग्राम प्रधान से विधायक बनाया व प्रदेश में दो बार मंत्री बने।
घाटशिला से तीन बार चुने गए विधायक
मंत्री रामदास सोरेन घाटशिला विधानसभा सीट से तीन बार विधायक निर्वाचित हुए थे। वे पहले बार झारखंड मुक्ति मोर्चा की टिकट पर 2009 में निर्वाचित हुए थे। पहली बार तीन बार के लगातार विधायक रहे कांग्रेस नेता डॉ. प्रदीप कुमार बलमुचू को हराकर वे विधानसभा पहुंचे थे।
एक खुली जीप पर समर्थकों के संग मंत्री रामदास सोरेन।
इसके बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में वे भाजपा के लक्ष्मण टुडू से हार गए थे। फिर 2019 के चुनाव में जीतकर वापसी की। उस समय कुछ समय के लिए उन्हें उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग में मंत्री पद मिला था।
चुनावी सभा में हेमंत सोरेन के साथ रामदास
इसके बाद रामदास सोरेन 2024 के विधानसभा चुनाव जीते। इस बार वे झारखंड सरकार में स्कूली, शिक्षा, साक्षरता एवं निबंधन विभाग के मंत्री पद को संभाल रहे थे
पूर्व सीएम के पुत्र को हराकर तीसरी बार बने विधायक
रामदास सोरेन ने घाटशिला विधानसभा सीट पर 2024 के विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम चम्पाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को करारी शिकस्त दी थी।
चम्पाई कभी रामदास के काफी अच्छे मित्र थे, लेकिन चम्पाई के झामुमो छोड़कर भाजपा में जाने के बाद घाटशिला विधानसभा अजजा सीट में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बाबूलाल सोरेन को रामदास सोरेन के खिलाफ उतारा था।
केरम खेलते मंत्री रामदास सोरेन की आखिरी तस्वीर।
ऐसे में अपने पुत्र बाबूलाल सोरेन को जिताने के लिए चम्पाई सोरेन ने पूरी ताकत भी झोंक दी थी। चुनाव परिणाम में रामदास सोरेन को 98356 वोट मिले थे। वहीं भाजपा के बाबूलाल सोरेन को 75910 वोट मिले। 22446 वोट से बाबूलाल सोरेन की हार हो गई थी।
महज 2 माह 14 दिन के लिए बने थे मंत्री
2019 के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद रामदास सोरेन को चुनाव से ठीक पहले उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग का मंत्री पद मिला था। जिसमें रामदास सोरेन ने दो माह चौदह दिन मंत्री के रूप में पद संभाला था।
अपने इस छोटे से कार्यकाल में रामदास सोरेन ने शिक्षा के क्षेत्र में घाटशिला विधानसभा में कई महत्वपूर्ण योजनाओं की आधारशिला रखी थी।
दिल्ली में अखिल भारतीय शिक्षा समागम में दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ करते मंत्री रामदास सोरेन
मुसाबनी में डिग्री कालेज, अभियंत्रण महाविद्यालय, माइंस को लीज दिलवाने समेत कई योजनाएं थी। 2024 का चुनाव जीतने के बाद रामदास सोरेन को स्कूली शिक्षा मंत्री बनाया गया था।
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