बकरीद पर अकीदतमंदों ने पढ़ी नमाज, गले मिलकर एक-दूसरे को दी बधाई, सुरक्षा का है तगड़ा इंतजाम
शहर समेत पूरे पूर्वी सिंहभूम जिले में गुरुवार को ईद उल अज़हा यानी बकरीद का त्योहार मनाया गया। शहर की तमाम मस्जिदों में सुबह 6.30 बजे से ही बकरीद की नमाज पढ़ी गई। शहर में बकरीद की तैयारी लगभग एक माह से चल रही थी। इस त्योहार में हर समर्थ मुसलमान अल्लाह के रज़ा यानी खुशी के लिए जानवरों की कुर्बानी देते हैं।

जासं, जमशेदपुर। शहर समेत पूरे पूर्वी सिंहभूम जिले में गुरुवार को ईद उल अज़हा यानी बकरीद का त्योहार मनाया गया। शहर की तमाम मस्जिदों में सुबह 6.30 बजे से ही बकरीद की नमाज पढ़ी गई। साकची के जामा मस्जिद से लेकर मानगो, धतकीडीह, कदमा, सोनारी, गोलमुरी, जुगसलाई, परसुडीह, टेल्को आदि में काफी संख्या में अकीदतमंद मस्जिदों में जुटे और देश-दुनिया की खुशहाली के लिए दुआ मांगी। नमाज के बाद सभी एक-दूसरे के गले मिले।
लगभग 15 हजार बकरे बिके
शहर में बकरीद की तैयारी लगभग एक माह से चल रही थी, जिसमें साकची के आमबगान मैदान में काफी बड़ा बकरा बाजार सजा था, जहां उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद व इटावा, बिहार के बिहारशरीफ व नवादा, ओडिशा के मयूरभंज व क्योंझर जिले से भी बकरों के व्यापारी आए थे। कारोबारियों की मानें तो एक सप्ताह में लगभग 15 हजार बकरे बिके। इसमें रांची के बुंडू, तमाड़ व चांडिल के साथ कपाली से भी कई कारोबारी आए थे। सबसे बड़ा बकरा कपाली के अब्दुल नईम खान ने 85 हजार रुपये में बेचा।
अल्लाह के नबी की सुन्नत है कुर्बानी : इमाम
हल्दीपोखर स्थित मस्जिद ए मोहम्मदी के इमाम जाहिद नदवी बताते हैं कि इस त्योहार में हर समर्थ मुसलमान अल्लाह के रज़ा यानी खुशी के लिए जानवरों की कुर्बानी देते हैं। ये कुर्बानी दरअसल, अल्लाह के नबी हजरत इब्राहिम अलेहिस्सलाम की सुन्नत है, जो उन्होंने अपने पुत्र इस्माइल अलैहिस्सलाम को अल्लाह के रज़ा यानी खुशी के लिए अल्लाह के रास्ते में कुर्बान करके दी थी।
आसमानी किताबों में भी है कुर्बानी की इबादत का जिक्र
अल्लाह को अपने नबी हजरत इब्राहिम अलेहिस्सलाम की इस प्यारी अदा इतना कबूल फरमाया की अल्लाह ने कुरान-ए-पाक में इसका जिक्र फरमाया है। अल्लाह पाक को अपने खलील हजरत इब्राहीम अलेहिस्सलाम की ये अदा इतनी पसंद आई कि अपने आखिरी नबी मोहम्मद सल्ललाह ओ अलैहिस्सलाम के माध्यम शरीयत में इसे क़यामत तक के लिए एक इबादत के तौर पर जारी कर दिया। कुर्बानी की इस इबादत का जिक्र अन्य आसमानी किताबों में भी है।
इस कुर्बानी मकसद यानी उद्देश्य दरअसल ये होता है कि आदमी अपने अल्लाह को ये दिखलाए कि मुझे अपनी जान से भी ज्यादा अपनी आल ओ औलाद और माल सहित तमाम चीज़ों से ज्यादा तुझसे मोहब्बत है। जानवरों की कुर्बानी दिलवा कर अल्लाह पाक ये चाहते हैं कि हर मुसलमान के अंदर ये जज़्बा पैदा हो जाए कि हम अल्लाह और उसके प्यारे रसूल की मोहब्बत में अल्लाह और उसके प्यारे रसूल के हुकुम यानी आदेश के सामने अपनी हर ख्वाहिश को कुर्बान करने वाले बन जाएं। इसलिए इस अमल कार्य को हर मुसलमान से करवाया जाता है, ताकि कुर्बानी का ये जज्बा ताज़ा रहे।
अवशेषों को दफनाने के लिए तैनात रहेंगे आठ पदाधिकारी
बकरीद पर्व के मद्देनजर जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति अंतर्गत विशेष साफ-सफाई का कार्य पूरा हो गया है। बुधवार को मस्जिद एवं आसपास के मोहल्ले में विशेष सफाई के साथ-साथ नालियों की सफाई एवं ब्लीचिंग का छिड़काव किया गया।
जमशेदपुर अक्षेस के विशेष पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि आठ थाना क्षेत्र में 13 चिन्हित मस्जिद, दो ईदगाह मैदान और मोहल्लों में 24 पर्यवेक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई है। इसके अलावा कुर्बानी के उपरांत निकलने वाले अवशेष को सुरक्षित दफन करने और ब्लीचिंग के छिड़काव के साथ-साथ साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था करने के लिए आठ पदाधिकारी के निगरानी के लिए तैनात किए गए हैं।
विशेष पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों को निर्देश दिया गया है कि सभी क्षेत्र में भ्रमण कर स्थानीय मस्जिद कमेटी एवं मोहल्ले में नागरिकों से संपर्क कर कुर्बानी के उपरांत निकलने वाले अवशेष को सुरक्षित दफन करने के लिए पर्याप्त मात्रा में डस्टबिन एवं वाहनों में ही डालने के लिए अपील की गई है। उन्होंने कहा कि आपसी सौहार्द के साथ बकरीद को मनाए एवं सफाई का विशेष ध्यान दें। उन्होंने बताया कि इस वर्ष विशेष मांग पर साकची मोहम्मडन लाइन में एक गड्ढा भी करवाया गया है, ताकि स्थानीय लोगों को सहूलियत होगी।
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