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    अब क्षमता से बड़ा टेंडर लेकर पेटी कान्ट्रैक्टर को नहीं सौंप सकेंगे काम,NHAI ने कसी नकेल

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 01:52 PM (IST)

    राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में लापरवाही और मनमानी करने वाले ठेकेदारों पर शिकंजा कसेगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने ठेकेदारों की मनमानी पेटी कांट्रेक्ट और वित्तीय जालसाजी पर रोक लगाने के लिए नियमों में सख्त बदलाव किए हैं। अब ठेकेदार अपनी हैसियत से बड़ा टेंडर लेकर उसे दूसरों को सब कांट्रेक्ट में नहीं दे सकेगा।

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    अब हैसियत से बड़ा टेंडर नहीं ले सकेंगे सड़क बनाने वाले ठेकेदार।

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में लापरवाही और मनमानी करने वाले ठेकेदारों पर शिकंजा कसेगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने ठेकेदारों की मनमानी पेटी कांट्रेक्ट और वित्तीय जालसाजी पर रोक लगाने के लिए नियमों में सख्त बदलाव किए हैं।

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    अब ठेकेदार अपनी हैसियत से बड़ा टेंडर लेकर उसे दूसरों को सब कांट्रेक्ट में नहीं दे सकेगा। एनएचएआइ ने साफ कर दिया है कि अब वही ठेकेदार बोली में शामिल हो सकेंगे, जिनकी तकनीकी क्षमता टेंडर के अनुरूप होगी।

    यानी जिसने जितनी क्षमता का काम पहले किया है, वही उसी श्रेणी में टेंडर भर सकेगा। 100 करोड़ का अनुभव रखने वाला ठेकेदार अब 500 करोड़ की परियोजना पर हाथ नहीं डाल पाएगा।

    थर्ड पार्टी सिक्योरिटी पर भी रोक

    अब तक कई ठेकेदार दूसरों की वित्तीय सिक्योरिटी लगाकर टेंडर हासिल कर लेते थे और बाद में जिम्मेदारी से बच निकलते थे। एनएचएआइ ने ऐसे खेल पर रोक लगा दी है। अब केवल ठेकेदार की खुद की वित्तीय परफार्मेंस सिक्योरिटी ही मान्य होगी। यह सख्ती यूं ही नहीं की गई।

    झारखंड में रांची-टाटा फोर लेन और चांडिल-पुरुलिया हाइवे जैसी कई परियोजनाएं गलत हाथों में जाने से अधूरी पड़ी रहीं। कहीं काम लटक गया तो कहीं घटिया क्वालिटी सामने आई।

    बड़े ठेके लेकर उन्हें छोटे ठेकेदारों को थमा देने से लगातार दस वर्षों तक परियोजनाओं की समयसीमा टूटती रही। इससे सरकारी साख पर सवाल भी उठने लगे थे।

    अब धोखाधड़ी का केस भी होगा दर्ज 

    नए नियमों के बाद ठेकेदार यदि गलत पात्रता दिखाकर टेंडर हासिल करेंगे तो उन पर धोखाधड़ी का केस भी दर्ज किया जाएगा।

    एनएचएआइ ने यह साफ संकेत दिया है कि अब लापरवाही और जालसाजी बर्दाश्त नहीं होगी। ऐसे में साफ है कि अब ठेकेदारों के दिन बदलने वाले हैं। मनमर्जी और जुगाड़ से टेंडर हथियाने का दौर खत्म होगा।

    कई कारणों से लंबे समय तक अटकता रहा काम

    रांची–टाटा हाइवे झारखंड की महत्वपूर्ण सड़क है। यह रांची को टाटा से जोड़ती है। 160 किलोमीटर लंबे इस राजमार्ग के चौड़ीकरण का काम 2009-10 के आसपास शुरू किया गया था।

    नेशनल हाइवे अथारिटी आफ इंडिया को निर्माण का जिम्मा दिया गया। उक्त परियोजना कई बार ठेकेदार बदलने और वित्तीय/प्रशासनिक कारणों से अटकती रही।

    इस वजह से कार्य लंबे समय तक अधूरा रहा। बाद में 2016-17 से इसे तेज गति से आगे बढ़ाया गया। हालांकि अब भी फदलोगोड़ा के पास निर्माण कार्य अधूरा है।

    2025 तक झारखंड में अधूरे / लंबित राष्ट्रीय राजमार्ग कार्य 

    •  रांची–बहारागोड़ा, रांची–टाटा–कोलकाता मार्ग में बहारागोड़ा की तरफ (ओडिशा सीमा तक) कुछ हिस्से पर काम अधूरा है।
    •  रांची–धनबाद : रामगढ़ से बरकाकाना–हजारीबाग–धनबाद सेक्शन में कई जगह चौड़ीकरण अधूरा और धीमा है।
    •  हजारीबाग–बारही–औरंगाबाद : हजारीबाग के आसपास और बरही क्षेत्र में कई फ्लाईओवर व बायपास का काम अधूरा पड़ा है।
    •  धनबाद–जमशेदपुर: यह औद्योगिक इलाका को जोड़ता है। कई जगह सड़क दो लेन पर ही है, चौड़ीकरण कार्य अधूरा है।
    •  रांची–सिमडेगा–राउरकेला: यह सड़क छत्तीसगढ़ और ओडिशा को जोड़ती है। कई हिस्से अब भी संकीर्ण और जर्जर है। चौड़ीकरण अधूरी है।
    • चास (बोकारो)–रामगढ़–रांची कनेक्टिविटी : बोकारो–रांची मार्ग पर 4-लेन का काम कई सालों से अटका है।
    • डालटनगंज एनएच-39: पलामू, गढ़वा और लातेहार इलाकों में सड़क परियोजनाएं सुरक्षा कारणों और फंड की कमी से धीमी रफ्तार में चल रही हैं।

    एनएचएआइ मुख्यालय ने नियमों में बदलाव किया है। जरूरी दस्तावेज के साथ ही ठेकेदार टेंडर डाल पाएंगे। गलत दस्तावेज के जरिए काम लेने पर कार्रवाई की जाएगी। गलत पाए जाने पर ठेकेदार काली सूची में डाले जाएंगे।

    - एकता कुमारी, प्रोजेक्ट निदेशक, एनएचएआइ।