झारखंड अलग राज्य आंदोलन का आक्रामक चेहरा थे निर्मल महतो Jamshedpur News
झारखंड अलग राज्य आंदोलन का आक्रामक चेहरा थे निर्मल महतो। उनके झामुमो में शामिल होने के बाद शिबू सोरेन ने काफी भरोसा किया था।
जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। झारखंड अलग राज्य आंदोलन तो दशक से चल रहा था, लेकिन इसमें आक्रामकता आयी निर्मल महतो के शामिल होने के बाद। झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन (दिशोम गुरु) ने आक्रामक छवि को देखते ही निर्मल महतो को 1980 में पार्टी में शामिल किया। इसमें पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने अहम भूमिका निभाई थी। शिबू सोरेन निर्मल महतो की कार्यशैली से इतने प्रभावित हुए कि तीन वर्ष बाद ही उन्होंने निर्मल महतो को झामुमो का केंद्रीय अध्यक्ष बना दिया और खुद महासचिव बन गए। 25 दिसंबर 1950 को जन्मे निर्मल महतो ने पार्टी की कमान संभालते ही सबसे पहले छात्र संगठन ‘ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन’ का गठन किया। उन्होंने इसकी कमान प्रभाकर तिर्की व सूर्य सिंह बेसरा को सौंप दी।
युवाओं को जोड़ने की जिम्मेदारी थी आजसू की
तय हुआ कि झारखंड मुक्ति मोर्चा वैचारिक लड़ाई लड़ेगी, जबकि जमीनी स्तर पर युवाओं को जोड़ने का काम आजसू के जिम्मे रहेगा। उन्होंने आजसू के नेताओं को आंदोलन की बारीकियों से अवगत कराने के लिए दार्जिलिंग में सुभाष घीसिंग और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के नेता प्रफुल्ल कुमार महंत व भृगु कुमार फूकन से मिलने असम भी भेजा। इसके बाद झारखंड अलग राज्य आंदोलन ने इस कदर रफ्तार पकड़ ली कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी व तत्कालीन गृह मंत्री बूटा सिंह को दिल्ली में कई बार आजसू से समझौता वार्ता करनी पड़ी। अंतत: झारखंड स्वायत्तशाषी परिषद, फिर झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ, लेकिन यह देखने के लिए निर्मल महतो जीवित नहीं रहे। 37 वर्ष की उम्र में ही निर्मल महतो, जिन्हें प्यार से लोग निर्मल दा कहते थे, की हत्या कर दी गई।
सूदखोरों के खिलाफ किया आंदोलन
निर्मल की ना केवल राजनीतिक पहचान थी, बल्कि उन्हें सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी लोग जानते थे। समाज के लोगों के दुख-दर्द को ना केवल गंभीरता से लेते थे, बल्कि उसे दूर करने में भी पूरी ताकत झोंक देते थे।
शहादत दिवस पर आएंगे पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
अपनी शहादत से झारखंड अलग राज्य आंदोलन को एक अलग दिशा देनेवाले झामुमो के कद्दावर नेता शहीद निर्मल महतो का 32वां शहादत दिवस गुरुवार को मनाया जाएगा। अपराधियों ने उन्हें बिष्टुपुर के नार्दर्न टाउन स्थित चमरिया गेस्ट हाउस के सामने आठ अगस्त 1987 को गोली मार दी थी, जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई थी। चूंकि उन्होंने दोपहर 11.45 बजे अंतिम सांस ली थी, लिहाजा गुरुवार को चमरिया गेस्ट हाउस के सामने लगी उनकी प्रतिमा पर इसी समय श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
सभी दलों के नेता देते श्रद्धांजलि
यहां ना केवल झामुमो, बल्कि सभी दलों के नेता-कार्यकर्ता जुलूस की शक्ल में चमरिया गेस्ट हाउस स्थित शहीद स्थल पर श्रद्धासुमन अर्पित करने आते हैं। शाम चार बजे से कदमा के उलियान स्थित समाधि स्थल के पास मैदान में श्रद्धांजलि सभा होगी। उक्त जानकारी रामदास सोरेन ने बुधवार को कदमा में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी। सोरेन ने बताया कि श्रद्धांजलि सभा में बतौर मुख्य अतिथि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उपस्थित रहेंगे।
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