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    Earthquake: क्या म्यांमार की तरह झारखंड में भी तबाही मचा सकता है भूकंप? जानें किस इलाके को कितना खतरा

    म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप ने एक हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली। वहीं बार-बार आ रहे भूकंप ने भूकंप जोन में रहने वाले लोगों की चिंता बढ़ा दी है। वहीं झारखंड के लोगों के लिए राहत भरी खबर है कि प्रदेश भूकंप के सुरक्षित जोन में स्थित है। इसकी वजह से यहां कभी भूकंप आता भी है तो नुकसान की संभावना काफी कम होती है।

    By Manoj Kumar Singh Edited By: Divya Agnihotri Updated: Sun, 30 Mar 2025 11:16 AM (IST)
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    झारखंड भूकंप के जोन दो और तीन में

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। शुक्रवार को म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप की वजह से एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई है। इतनी बड़ी क्षति के कारण भूंकप जोन में रहने वाले लोग परेशान हैं। यदि हम लौहनगरी जमशेदपुर की बात करें तो यह भूकंप के जोन दो में है और पूरी तरह सुरक्षित है।

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    इन शहरों में भूकंप आने की संभावना कम

    विशेषज्ञों के अनुसार जोन दो में वह क्षेत्र है जहां भूकंप आने की संभावना कम है। यदि भूकंप आ भी गया तो जान-माल के नुकसान होने की संभावना नहीं के बराबर रहती है।

    जमशेदपुर, बैंगलोर, हैदराबाद, विशाखापटनम, नागपुर, रायपुर, ग्वालियर, जयपुर, तिरुचिरापल्ली, मदुरै आदि शहर इस जोन में आते हैं। जमशेदपुर में 20 से अधिक भवन है, जिनको शेषमीक लोड डिजाइन करके बनाया गया है।

    झारखंड का पूरा क्षेत्र स्टेबल लैंड क्षेत्र में

    कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा, भूगोल विभाग की एचओडी डॉ. सुनीता कुमारी ने बताया कि कोल्हान व झारखंड का पूरा क्षेत्र स्टेबल लैंड क्षेत्र में आता है। साथ ही सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा झारखंड के कुछ भाग को जोन दो व कुछ भाग को जोन तीन में रखा गया है, जहां कोई नुकसान की संभावना नहीं होती है।

    जिसे भूगोल में गुंडवाना लैंड में गिना जाता है। यहां कभी भूकंप आता है भी तो नुकसान की संभावना काफी कम होती है। स्थिर लैंड होने की वजह से पूरा झारखंड भूकंप से सुरक्षित माना जाता है।

    इस तरह आता है भूकंप

    कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा, भूगोल विभाग की एचओडी डॉ. सुनीता कुमारी कहती हैं कि हमारी धरती कई सारे टैक्टानिक प्लेटों से बनी है, जिसके नीचे खौलता लावा है।

    इसी लावे पर ये टैक्टानिक प्लेट तैरते हैं। तैरते-तैरते ये प्लेट आपस में टकरा जाते हैं और अगर ये टक्कर तेज हुई तो प्लेट टूट जाते हैं या उनमें कुछ बदलाव होता है।

    ऐसे में नीचे लावे की तरफ से जो एनर्जी बन रही है, उसे बाहर आने का रास्ता मिलने लगता है और ऊर्जा ऊपर की ओर आने लगती है। इस जटिल प्रक्रिया का परिणाम भूकंप आता है।

    विभिन्न रिएक्टर स्केल पर भूकंप की स्थिति

    • 2.0 की तीव्रता से कम वाले भूकंपीय झटके, इंसान को महसूस ही नहीं होते।
    • 2.0 से 2.9 तक के झटके, आम तौर पर यह भी महसूस नहीं होते।
    • 3.0 से 3.9 तक के झटके, अक्सर महसूस नहीं होते, लेकिन कभी नुकसान कर देते हैं।
    • 4.0 से 4.9 तक के झटके, थरथराहट महसूस होती है और कई बार नुकसान पहुंचाता है।
    • 5.0 से 5.9 तक के झटके,कमजोर मकानों को नुकसान पहुंचाता है।
    • 6.0 से 6.9 तक के झटके, 160 किलोमीटर के दायरे में काफी घातक साबित हो सकता है।
    • 7.0 से 7.9 तक के झटके, एक बड़े क्षेत्र में भारी तबाही मचा सकता है।
    • 8.0 से 8.9 तक के झटके, सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र में भीषण तबाही मचा सकता है।
    • 9.0 से 9.9 तक के झटके, हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही मचा सकता है।

    जमशेदपुर भूकंप के सुरक्षित जोन में है। इसके बावजूद जमशेदपुर में वैसे ऊंची इमारतें जो 100 फीट से ऊंची बन रही है, सभी में भूकंप रोधी डिजाइन बनाकर ही नक्शा पास होता है। वैसे भवन मालिकों को शेषमीक लोड डिजाइन का नक्शा पास कराना पड़ता है। जमशेदपुर में इस तरह के लगभग 20 भवन हैं, जो शेषमीक लोड डिजाइन से नक्शा पास कराकर भवन बनाया है या बन रहा है।

    संजय कुमार सिंह, सहायक अभियंता, जमशेदपुर अक्षेस

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