सेंट्रल कमेटी के आदेश पर सांसद सुनील महतो को मारा था : राहुल
सांसद की हत्या के बाद से यह सवाल उठते रहे थे कि क्या उनकी हत्या के पीछे सेंट्रल कमेटी का हाथ था।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। कोलकाता में डीजीपी के समक्ष 25 जनवरी को पत्नी झरना के साथ आत्मसमर्पण करने वाला 35 लाख का इनामी नक्सली रंजीत उर्फ राहुल पाल बंगाल में बांकुड़ा पुलिस लाइन में है। रविवार को उससे जिले के वरीय पुलिस अधीक्षक अनूप टी मैथ्यू ने घंटों पूछताछ की। राहुल ने कई बातों को छिपाने की कोशिश की तो कुछ का जवाब दिया।
सांसद सुनील महतो की हत्या के संबंध में कहा कि सुनील महतो नागरिक सुरक्षा समिति के माध्यम से ग्रामीणों को भाकपा माओवादी के खिलाफ भड़का रहे थे। इससे ग्रामीण नक्सलियों के खिलाफ होते जा रहे थे। नासुस के कारण ही लांगो में नक्सलियों के 14 सहयोगी मारे गए थे। ऐसे में नक्सली संगठन की सेंट्रल कमेटी ने सांसद सुनील महतो की हत्या करने का फरमान जारी किया था।
सांसद को मारने के लिए बंगाल और झारखंड सीमा पर कई बैठकें हुईं। इसमें संगठन के वरीय नेता शामिल हुए। तय हुआ कि सांसद की हत्या किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में की जाएगी। इसी योजना के तहत चार मार्च 2009 को सांसद सुनील महतो को बाघुडिय़ा में एक फुटबॉल मैच के दौरान सैकड़ों ग्रामीणों की मौजदूगी में गोली मारी गई ताकि ग्रामीण भी देखें कि माओवादियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले का क्या हश्र होता है।
गौरतलब है कि सांसद की हत्या के बाद से यह सवाल उठते रहे थे कि क्या उनकी हत्या के पीछे सेंट्रल कमेटी का हाथ था या जोनल कमेटी ने अपने हिसाब से यह कदम उठा लिया था। अब राहुल ने इस राज से पर्दा हटाया है।
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संगठन का जमीनी आधार कम होता गया
राहुल और उसकी पत्नी ने पुलिस को बताया कि नक्सली संगठन का जमीनी आधार धीरे-धीरे खिसकना शुरू हो गया है। कई नेता मुठभेड़ में मारे गए। कई गिरफ्तार किए गए। नए कैडर संगठन में आने को तैयार नहीं हो रहे थे। इस कारण उसने मौका देखकर सरेंडर करना ही उचित समझा। राहुल ने बताया कि वह काफी कम उम्र से ही नक्सली संगठन से जुड़ गया। वह पूर्वी सिंहभूम में 2002 में असीम मंडल के साथ आया था। पुलिस मुठभेड़ में उसका सहयोगी अरूप मारा गया जबकि राजेश मुंडा समेत कई पकड़े गए।
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