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    MGM अस्पताल में अब सबकुछ होगा ऑनलाइन, इस योजना को अब जमीन पर उतारने की तैयारी

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 08:13 PM (IST)

    जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल को ई-हॉस्पिटल बनाने की तैयारी तेज हो गई है। उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने शत-प्रतिशत ऑनलाइन सिस्टम लागू करने का निर्देश दिया है जिससे इलाज दवा जांच और पंजीकरण जैसी प्रक्रियाएं डिजिटल होंगी। इस कदम से मरीजों को कतारों से मुक्ति मिलेगी और दवा वितरण में पारदर्शिता आएगी।

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    एमजीएम में सबकुछ होगा ऑनलाइन। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल को ई-हास्पिटल बनाने की कवायद अब तेज हो गई है। लंबे समय से कागजों पर चल रही इस योजना को अब जमीन पर उतारने की तैयारी हो रही है।

    जिले के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने इस दिशा में गंभीर पहल की है और शत-प्रतिशत ऑनलाइन सिस्टम लागू करने का निर्देश दिया है। इसके बाद मरीजों के इलाज से लेकर दवा, जांच और पंजीकरण तक की हर प्रक्रिया डिजिटल होगी।

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    मालूम हो कि एमजीएम को बीते पांच साल से ई-हास्पिटल बनाने की प्रक्रिया पर काम चल रहा है, लेकिन अब तक कुछ ही काम हो सका है। दरअसल, स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है कि सभी बड़े सरकारी अस्पतालों को ई-हास्पिटल सिस्टम से जोड़ा जाए।

    इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता आएगी बल्कि राज्य स्तर पर मरीजों की वास्तविक संख्या, दवा खपत और बीमारियों के रुझान का भी डेटा तैयार किया जा सकेगा। यह भविष्य की स्वास्थ्य नीतियों और योजनाओं के लिए बेहद उपयोगी होगा।

    क्यों जरूरी है ऑनलाइन सिस्टम?

    एमजीएम अस्पताल को कोल्हान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल माना जाता है, जहां रोजाना हजारों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। अब तक मैनुअल सिस्टम होने के कारण कई बार मरीजों को घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है।

    दवाओं और जांच की जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं होने से अव्यवस्था की स्थिति बन जाती है। ऑनलाइन व्यवस्था आने से यह समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी।

    क्या होगा फायदा?

    - मरीजों को राहत : ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और पर्ची से कतारों में लगने का झंझट कम होगा।

    - दवा वितरण आसान : किस मरीज को कौन सी दवा मिली और कितनी उपलब्ध है, इसका रिकार्ड ऑनलाइन रहेगा।

    - पारदर्शिता बढ़ेगी : दवा की खरीद से लेकर वितरण तक हर प्रक्रिया का डेटा उपलब्ध रहेगा, जिससे गड़बड़ी की संभावना कम होगी।

    - समय की बचत : मरीजों को जांच और रिपोर्ट के लिए बार-बार दौड़ना नहीं पड़ेगा, रिपोर्ट ऑनलाइन उपलब्ध होगी।

    चुनौतियां भी कम नहीं

    ऑनलाइन सिस्टम लागू करने में तकनीकी खामियां, नेटवर्क की समस्या और प्रशिक्षित स्टाफ की कमी बड़ी चुनौती होगी। एमजीएम जैसे बड़े अस्पताल में रोजाना हजारों मरीज आते हैं, ऐसे में सर्वर और तकनीकी ढांचे को मजबूत करना अनिवार्य होगा।

    आगे की राह

    उपायुक्त ने साफ किया है कि एमजीएम अस्पताल को पूरी तरह डिजिटल बनाने के लिए ठोस समय सीमा तय की जाएगी। अधिकारियों और मेडिकल कालेज प्रबंधन को इस दिशा में तेजी से काम करने का निर्देश दिया गया है।

    उम्मीद है कि इस कदम से न केवल मरीजों की परेशानी कम होगी, बल्कि एमजीएम अस्पताल को एक आधुनिक और पारदर्शी स्वरूप भी मिलेगा। यह पहल अगर सही ढंग से लागू हुई तो एमजीएम अस्पताल स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटलीकरण की दिशा में राज्य का अग्रणी अस्पताल बन सकता है।

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