Mansa Puja 2020 : सांप-बिच्छू के प्रकोप से सुरक्षित रहने के लिए होती मनसा पूजा, ये है मान्यता
Mansa Puja 2020.मान्यता है कि शिव पुत्री मां मनसा सर्प की देवी है। मां मनसा की पूजा से बिच्छू व सर्पदंश से सुरक्षित रहने के साथ सर्पदोष से भी मुक्ति पाई जा सकती है।
जमशेदपुर, दिलीप कुमार। नागों की देवी और भगवान शिव की मानस पुत्री देवी मनसा की पूजा कोल्हान प्रमंडल क्षेत्र के विभिन्न गांवों में धूमधाम के साथ की जाती है। इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण मनसा पूजा की रौनक फीकी है। ना मनसा मंगल के गाने बज रहे हैं और न जांत की धुन सुनाई दे रही है।
पूजा की रीति रविवार से ही प्रारंभ हो गई है और सोमवार को देवी की पारंपरिक विधि-विधान से पूजा-अर्चना हो रही। मनसा पूजा झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आसपास के क्षेत्र के प्रमुख त्योहारों में एक है। हालांकि, देवी की पूजा पूरे देश में होती है। इस अवसर पर मंदिरों में मां मनसा की आकर्षक व भव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है। चारों ओर मनसा मंगल और जांत के गीतों से आकाश गुंजायमान रहता है।
मां मनसा सर्प की देवी
मान्यता है कि शिव पुत्री मां मनसा सर्प की देवी है। मां मनसा की पूजा से बिच्छू व सर्पदंश से सुरक्षित रहने के साथ सर्पदोष से भी मुक्ति पाई जा सकती है। इन्हें शिव पुत्री, विष की देवी, कश्यप पुत्री और नागमाता के रूप में भी माना जाता है। देवी मनसा की पूजा आमतौर पर बरसात के दौरान की जाती है, क्योंकि सांप उस दौरान अधिक सक्रिय रहते हैं। बंगला व ओड़िया पंचांग के अनुसार श्रावण संक्रांति, भादो संक्रांति और आश्विन संक्रांति के दिन मां मनसा की पूजा की जाती है।
जांत और झापान का होता है आयोजन
मनसा पूजा के दौरान जांत और झापान का आयोजन किया जाता है। पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला-खरसवां जिले के अधिकांश गांवों में मनसा मंदिर है, जहां पारंपरिक रुप से देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस अवसर पर मनसा मंगल पाठ के अलावा जांत और झापान का आयोजन होता है। जांत में मां मनसा देवी के गुणगान पर आधारित भजन-कीर्तन किया जाता है। इसमें देवी के भक्तों की टोली वाद्य यंत्रों के साथ उनकी कहानी पर आधारित गीत गाती है। वहीं झापान में देवी के भक्त जहरीले सांपों के हैरतअंगेज खेलों का प्रदर्शन करते हैं।
भगवान शिव की मानस पुत्री है मनसा देवी
मान्यता के अनुसार मां मनसा देवी भगवान शिव की मानस पुत्री हैं। वहीं पुराने ग्रंथो में यह भी कहा गया है कि इनका जन्म कश्यप के मस्तिष्क से हुआ है। कुछ ग्रंथो के अनुसार नागराज वासुकी की बहन पाने की इच्छा को पूर्ण करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें मनसा देवी को भेंट किया था। वासुकी इनके तेज को संभाल न सके और इनके पोषण की जिम्मेदारी नागलोक के तपस्वी हलाहल को दे दी। इनकी रक्षा करते-करते हलाहल ने अपने प्राण त्याग दिए थे। मनसा देवी भक्तिभाव से पूजा करने वाले भक्तों के लिए बेहद दयालु और करुणामयी हैं। मनसा देवी का पंथ मुख्यत: भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में केंद्रित है। माता मनसा देवी, नाम के अनुरूप ही भक्तों की समस्त मंशाओं को पूरी करने वाली देवी हैं। नाग उनके रक्षण में सदैव विद्यमान हैं। कई बार देवी के प्रतिमाओं में पुत्र आस्तिक को उनकी गोद में लिए दिखाया जाता है।
- घर में मां मनसा देवी की पूजा होती है। इस अवसर पर देवी की आकर्षक प्रतिमा स्थापित की जाती है। सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। पूरे परिवार के लोग देवी की पूजा करते हैं। मां मनसा करुणामयी देवी हैं। इनकी पूजा- अर्चना करने से अनिष्टकारी बाधाओं से छुटकारा मिलता है। बचपन से ही मनसा देवी की पूजा अर्चना कर रहे हैं।
- संजीत प्रमाणिक, देवी भक्त, चौका
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