Jharkhand News: झारखंड के छात्रों की बल्ले-बल्ले, राज्य में सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की संख्या होगी दोगुनी
झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने बड़ा एलान करते हुए कहा कि राज्य में सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की संख्या दोगुनी की जाएगी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि हेमंत सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए दृढ़ संकल्पित है और आदिवासी जनजातीय विद्यार्थियों के लिए तकनीकी संस्थान खोलने की योजना है। आप ऑनलाइन खोज करके अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। Jamshedpur News: झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा है कि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हेमंत सरकार दृढ़ संकल्पित है। आदिवासी जनजातीय विद्यार्थियों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने के लिए जमशेदपुर या आदित्यपुर में शीघ्र आइडीटीआर(इंडो डेनिश टूल रूम) की तर्ज पर तकनीकी संस्थान खोले जाएंगे।
इन 3 जिलों में स्कूल खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है
नेतरहाट की तर्ज पर चाईबासा, बोकारो और दुमका में विद्यालय खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वह बुधवार को सीएसआइआर एनएमएल की हीरक जयंती समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य का गठन हुए 25 वर्ष हो गए। लेकिन, शिक्षा की हालत नहीं सुधरी।
अब सरकार दिल्ली की तर्ज पर प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव करने जा रही है। अब सरकारी स्कूलों में सीबीएसई पैटर्न से पढ़ाई के लिए पंचायत स्तर तक पर सीएम स्कूल आफ एक्सीलेंस खोले जाएंगे। इसकी संख्या 80 से बढ़ाकर 160 की जाएंगी।
दाखिला के लिए 35 हजार विद्यार्थियों ने किया आवेदन
विद्यालयों में दाखिला के लिए 35 हजार विद्यार्थियों का आवेदन भी आ चुका है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि ड्राप आउट और पैसे के अभाव में पढ़ाई छूट जाने को उन्होंने एक बड़ी समस्या बताई।
उन्होंने कहा कि बच्चों की पढ़ाई किसी हाल में न छूटे, इसके लिए उनकी सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रयासरत है। शिक्षा मंत्री ने जनजातीय समुदाय से आए सैकड़ों बच्चों से शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में आने का आग्रह किया।
कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री एक शिक्षक की भूमिका में भी नजर आए। संबोधन के दौरान वे मंच से बच्चों से सवालिया लहजे में पूछा- राज्य का नाम झारखंड कैसे पड़ा? इसके बाद उन्होंने काफी रोचकपूर्ण तरीके से जवाब भी दिया। उन्होंने बताया कि झारखंड प्रदेश का नाम चैतन्य महाप्रभु ने रखा था।
चैतन्य महाप्रभु और उनकी पत्नी पिंड दान के लिए निकले थे। अपनी यात्रा के दौरान वे इस दिशा में आए थे। यहां के लोगों के रहन-सहन, वेशभूषा और पहनावा देखकर झारखंड नाम दिया था।
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