Jharkhand News: गायों के लिए बन रहा 5 स्टार हॉस्पिटल, यहां इमरजेंसी वार्ड से लेकर सिजेरियन डिलीवरी भी होगी
पूर्वी सिंहभूम जिला के चाकुलिया में ध्यान फाउंडेशन संस्था द्वारा संचालित गौशाला में गायों के लिए अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है जिसे दो महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस अस्पताल में घायल गोवंश की सर्जरी ऑपरेशन से डिलीवरी कृत्रिम पैर लगाने जैसी कई सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसमें झारखंड पश्चिम बंगाल ओडिशा एवं बिहार से आने वाले गोवंश का निशुल्क इलाज किया जाएगा।

पंकज मिश्रा, चाकुलिया। आज के दौर में जब इंसानों के लिए अस्पतालों में बेड मिलना तथा इलाज करवाना मुश्किल होता जा रहा है, एक संस्था ऐसी है जो गायों की शल्य चिकित्सा के लिए ऑपरेशन थिएटर बना रही है। यहां न केवल बीमार गोवंश का इलाज किया जाएगा बल्कि इंसानों की तरह गायों की सिजेरियन डिलीवरी भी कराई जाएगी।
पूर्वी सिंहभूम जिला के चाकुलिया में ध्यान फाउंडेशन संस्था द्वारा संचालित गौशाला गोलोक धाम में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से अस्पताल तैयार किया जा रहा है।
दो महीने में निर्माण पूरा करने का लक्ष्य
इस गौशाला में गोवंश के इलाज के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक की लागत से धनवंतरी चिकित्सालय बनाया जा रहा है। इसका बुनियादी ढांचा तैयार कर लिया गया है। अगले दो महीने में निर्माण कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
मिलेंगी ये सुविधाएं
धन्वंतरी गो चिकित्सालय में लावारिस एवं तस्करी के दौरान जब्त किए गए गोवंश के संपूर्ण इलाज की निशुल्क व्यवस्था की जाएगी। यहां गोवंश के इलाज के लिए आपातकालीन वार्ड, ऑपरेशन थिएटर, एक्स-रे, मेडिकल स्टोर, वातानुकूलित कक्ष समेत 24 घंटे पशु चिकित्सक की व्यवस्था रहेगी।
गौशाला गोलोक धाम
इस चिकित्सालय में झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा एवं बिहार से आने वाले गोवंश का निशुल्क इलाज किया जाएगा। गौशाला की संचालिका सह ध्यान फाउंडेशन संस्था की कार्यकर्ता डॉ. शालिनी मिश्रा ने बताया कि जमशेदपुर के दो गो प्रेमी उद्यमियों द्वारा सेवा भाव से धनवंतरी चिकित्सालय का निर्माण कराया जा रहा है।
राजस्थान के पथमेड़ा गौशाला में गायों की चिकित्सा के लिए ऐसा एक अस्पताल बना हुआ है। पूर्वी भारत का यह पहला अस्पताल होगा जहां गोवंश के इलाज हेतु सारी सुविधाएं एक ही छत के नीचे मौजूद रहेंगी।
यहां घायल गोवंश की सर्जरी के अलावा प्रसव के दौरान गायों की स्थिति गंभीर होने पर सिजेरियन ऑपरेशन भी किया जाएगा। इसके लिए दो विशेषज्ञ पशु चिकित्सक यहां 24 घंटे मौजूद रहेंगे। इसका सारा खर्च ध्यान फाउंडेशन उठाएगा।
कृत्रिम पांव लगाने की भी होगी व्यवस्था
- धनवंतरी चिकित्सालय में घायल गोवंश के लिए कृत्रिम पांव लगाने की व्यवस्था भी रहेगी। इस संबंध में डॉ. शालिनी मिश्रा ने बताया कि गो तस्कर अक्सर अत्यंत क्रूरतापूर्ण तरीके से गोवंश को वाहनों में ठूंस कर ले जाते हैं। इस दौरान कई गायों के पैर में गैंग्रीन हो जाता है, जिससे पैर काटने की नौबत आ जाती है।
- इसके अलावा सड़क पर घायल गोवंश का भी कई बार पर जख्मी होने पैर काटना पड़ता है। ऐसे गोवंश के लिए इलाज के साथ-साथ आर्टिफिशियल लिंब (कृत्रिम हाथ पांव) की भी व्यवस्था जयपुर की कृत्रिम अंग बनाने वाले एक संस्था के साथ मिलकर की जाएगी।
20700 गोवंश की हो रही गौशाला में देखभाल
- ध्यान फाउंडेशन संस्था द्वारा चाकुलिया एरोड्रम परिसर में वर्ष 2019 में स्थापित गोलोक धाम गौशाला में अभी 20,700 गोवंश का पालन पोषण किया जा रहा है। पूरे झारखंड की सभी गौशालाओं को मिला दे तो भी इतने गोवंश नहीं है।
- यहां रखे गए अधिकांश गोवंश बीएसएफ एवं पुलिस द्वारा तस्करी के दौरान जब्त किए गए हैं। तस्करों से छुड़ाए गए गोवंश को अक्सर बीमार अथवा घायल अवस्था में गौशाला में लाया जाता है। इसलिए यहां उनके इलाज पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
- लगभग 100 एकड़ में फैली इस गौशाला की 50 एकड़ भूमि पर गोवंश के खाने के लिए चारा (नेपियर घास) लगाया गया है।
- अभी भी यहां लगभग प्रतिदिन भारत बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ द्वारा जब्त किए गए गोवंश को वाहनों पर लादकर लाया जाता है।
- तस्करों से छुड़ाए गए गोवंश को यहां लाने के बाद सबसे पहले औषधीय गुणों से भरपूर दलिया खिलाया जाता है। उसके बाद उनका उपचार किया जाता है।
- सबसे बड़ी बात यह है कि यहां किसी भी गोवंश को रस्सी से बांध कर नहीं रखा जाता। गौशाला परिसर में गाय एवं बैल खुले में विचरण करते हैं।
समाज के बल पर चल रही पूरी गौशाला
ध्यान फाउंडेशन गौशाला में 20,000 से अधिक गोवंश का पालन पोषण बिना किसी सरकारी सहयोग के किया जा रहा है। यह पूरा सेवा कार्य समाज के बल पर हो रहा है। प्रतिमाह गायों के पालन पोषण पर होने वाला करोड़ों का खर्च समाज के बीच से ही आता है।
बड़ी संख्या में यहां लोग गो सेवा के लिए दान करते हैं। सेवा भाव ऐसा है कि एक लीटर भी दूध यहां से नहीं बेचा जाता।
गायों का दूध उनके बछड़े को पिला दिया जाता है। जो भी एक बार इस गौशाला में आता है वह गोवंश के प्रति समर्पण एवं सेवा भाव को देखकर चकित रह जाता है।
हालांकि, सरकारी मदद के लिए गौशाला को झारखंड सरकार में पंजीकृत कराने का प्रयास भी संस्था द्वारा लगातार किया जा रहा है।
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