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    Jamshedpur News : उपायुक्त विजया के समक्ष मतांतरण से लेकर विधि-व्यवस्था दुरुस्त करने की चुनौती

    By Jitendra SinghEdited By:
    Updated: Tue, 01 Mar 2022 07:45 AM (IST)

    Jamshedpur News 2015 बैच की पुणे की रहने वाली आइएएस जाधव विजया नारायण राव ने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त का पद संभाल लिया। यह पहला मौका है जब वह किसी जिले में उपायुक्त के रूप में कार्य करेंगी। लेकिन विजया को जमशेदपुर में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा...

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    Jamshedpur News : उपायुक्त विजया के समक्ष मतांतरण से लेकर विधि-व्यवस्था दुरुस्त करने की चुनौती

    जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम जिले की जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त जाधव विजया नारायण राव ने ऐसे समय में कार्यभार ग्रहण किया है, जब उनके सामने कठिन चुनौतियां हैं। शहर में मतांतरण का मुद्दा गरमाया हुआ है, वहीं विधि-व्यवस्था (लूट, छिनतई, जानलेवा हमले, चोरी, डकैती आदि) इतनी बदतर हो गई है कि व्यवसायी व उद्यमी से लेकर हर आम आदमी भय के माहौल में जी रहा है। करीब 20 साल पहले शहर की ऐसी ही स्थिति हुआ करती थी।

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    मतांतरण की बात करें तो पांच महीने पहले भी ऐसी घटनाएं हुई थी, लेकिन मामले को दबा दिया गया। लेकिन इस बार थाने में लिखित शिकायत की गई है। नियम के अनुसार सामूहिक या फिर व्यक्तिगत मतांतरण हो, इसकी सूचना जिले के उपायुक्त को दी जानी चाहिए थी। मतांतरण करवाने वाले रवि सिंह ने जिला प्रशासन को ऐसी कोई सूचना नहीं दी थी।

    अतिक्रमण से भी होगा जूझना

    जिला दंडाधिकारी होने के नाते उनका पहला दायित्व विधि-व्यवस्था पर नियंत्रण पाना है। इसके अलावा शहर में अतिक्रमण का धंधा जोर-शोर से चल रहा है। आए दिन जिला प्रशासन अतिक्रमण हटाती है, लेकिन कुछ ही दिनों में वहां दोबारा अतिक्रमणकारी कब्जा जमा लेते हैं। इसका ताजा उदाहरण जुगसलाई फाटक के आसपास का इलाका है, जहां निवर्तमान उपायुक्त सूरज कुमार ने पूरी तरह से अतिक्रमण हटा दिया था। आज वहां पहले की तरह स्थिति हो गई है।

    इसी अतिक्रमण की वजह से जुगसलाई फाटक के पास निर्माणाधीन रेलवे ओवरब्रिज का काम पूरा होने का नाम नहीं ले रहा है। जिला प्रशासन ने किसी तरह 48 विस्थापितों को अलग स्थान पर बसाने की कवायद शुरू की थी, लेकिन अब भी 13 घरों के लोग शिफ्ट नहीं किए जा सके हैं। इससे इस बात का भी डर बना हुआ है कि पुल बनने में देर हुई तो नए अतिक्रमण वहां काबिज हो जाएंगे।

    अधूरे पड़े प्रोजेक्ट को पटरी पर लाना होगा

    बहरहाल, उपायुक्त के सामने तीसरी चुनौती विकास कार्यों को लेकर है, जिसमें बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना है। कई वर्षों से यह प्रोजेक्ट लटकता आ रहा है, जिसके बाद वहां के नागरिक 21 मार्च को दिल्ली पदयात्रा करने की घोषणा कर चुके हैं। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह मामला कितना गंभीर है। इसी जलापूर्ति को लेकर बागबेड़ा वासी रांची मार्च भी कर चुके हैं।

    विश्व बैंक की यह परियोजना इतनी लापरवाही से चल रही है कि सही तरीके से जांच हुई तो कई बड़े अधिकारी नप जाएंगे। अन्य लंबित परियोजनाओं में गोविंदपुर रेलवे ओवरब्रिज, गोविंदपुर से लुआबासा तक की सड़क, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि हैं, जिससे निपटने में उपायुक्त को काफी कठिनाई हो सकती है।