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    SIR in Jharkhand: एसआईआर में जमशेदपुर पूर्वी राज्य में सबसे फिसड्डी, पश्चिम की भी रफ्तार सुस्त

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 05:21 PM (IST)

    झारखंड में एसआईआर (SIR) की स्थिति पर एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें जमशेदपुर पूर्वी को सबसे फिसड्डी बताया गया है। वहीं, पश्चिम जमशेदपुर की रफ्तार भी स ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। झारखंड में चल रहे मतदाता सूची के पुराने रिकॉर्ड से मिलान यानी प्री-एसआईआर मैपिंग में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र का प्रदर्शन पूरे राज्य में सबसे निराशाजनक रहा है। यहां अब तक महज 29 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो सका है, जबकि 83 प्रतिशत मैपिंग के साथ लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र शीर्ष पर है।

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    इसी तरह जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र भी 36 प्रतिशत मैपिंग के साथ काफी पीछे चल रहा है। पूरे राज्य में औसतन 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, लेकिन जमशेदपुर और पूर्वी सिंहभूम में धीमी गति को देखते हुए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) के रवि कुमार ने शहर का दौरा कर अधिकारियों को घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क साधने का सख्त निर्देश दिया है।

    राज्य में 2003 की आधार मतदाता सूची से 2025 की सूची का मिलान कार्य अक्टूबर महीने से चल रहा है। इसकी प्राथमिक समय सीमा 15 नवंबर निर्धारित थी, लेकिन काम पूरा न होने के कारण अब इसे दिसंबर के अंत तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।

    इस महाअभियान में राज्य के करीब 2.65 करोड़ मतदाताओं के सत्यापन के लिए 29,562 बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) लगाए गए हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने बताया कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 75 प्रतिशत मैपिंग पूरी कर ली गई है, वहीं शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 55 प्रतिशत पर ही सिमटा हुआ है।

    जमशेदपुर जैसे शहरी इलाकों में मैपिंग की धीमी गति के पीछे कई व्यावहारिक दिक्कतें सामने आ रही हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने जमशेदपुर पश्चिम के मून सिटी इलाके का दौरा करने के बाद बताया कि वर्ष 2003 में यह पूरा क्षेत्र खेत हुआ करता था और वहां कोई मतदान केंद्र नहीं था। अब वहां बड़ी आबादी बस गई है और कई मतदाता दूसरे राज्यों से आकर यहां रहने लगे हैं। ऐसे में उनके या उनके पूर्वजों के नाम 2003 की सूची में न होने के कारण मिलान प्रक्रिया बाधित हो रही है। यही कारण है कि सटीक जानकारी जुटाने में समय लग रहा है।

    इस व्यापक सत्यापन प्रक्रिया के दौरान मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां भी पकड़ी गई हैं। अब तक की गई मैपिंग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य भर में करीब साढ़े तीन लाख ऐसे मतदाताओं की पहचान हुई है जिनकी मृत्यु हो चुकी है।

    इसके अलावा, तीन लाख 60 हजार से अधिक मतदाता दूसरी जगह स्थानांतरित हो चुके हैं। जांच में एक लाख 14 हजार डुप्लीकेट वोटर भी मिले हैं, जबकि दो लाख 20 हजार मतदाता अपने पते पर अनुपस्थित पाए गए हैं। इन सभी विसंगतियों को दूर कर मतदाता सूची को शुद्ध किया जा रहा है।

    सीईओ के रवि कुमार ने पूर्वी सिंहभूम जिले के कई बूथों का निरीक्षण करने के बाद स्पष्ट किया कि सटीक मैपिंग ही एक मजबूत और त्रुटिहीन मतदाता सूची का आधार है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिन मतदाताओं का डेटा पुराने रिकार्ड से मेल नहीं खा रहा है, उनके घर जाकर बीएलओ भौतिक सत्यापन करें।

    उन्होंने जोर देकर कहा कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एक भी योग्य मतदाता का नाम सूची से न छूटे और हर मतदाता की पहचान पूरी तरह से पुख्ता हो। अधिकारी अब डोर-टू-डोर अभियान चलाकर छूटे हुए लोगों को सूची में शामिल करने और उनका सत्यापन करने में जुट गए हैं।