जमशेदपुर में जर्जर भवन में चल रहा उपभोक्ता आयोग, डर के साये में न्याय दिलाने को मजबूर कर्मचारी
जमशेदपुर का उपभोक्ता आयोग कार्यालय जर्जर भवन और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में काम कर रहा है। कर्मचारियों को असुरक्षित माहौल, टपकती छत और अनुपयोगी शौचा ...और पढ़ें

उपभोक्ता संरक्षण आयोग का जर्जर कार्यालय।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। झारखंड में जमशेदपुर का उपभोक्ता आयोग कार्यालय लाभुकों को उनके अधिकार और न्याय तो दिला रहा है, लेकिन खुद बुनियादी सुविधाओं से वंचित होकर काम करने को मजबूर है। जिस कार्यालय से उपभोक्ताओं को लाखों रुपये का मुआवजा और न्याय मिलता है, वही कार्यालय आज जर्जर भवन, असुरक्षित माहौल और मूलभूत सुविधाओं के अभाव में अपनी बदहाली की कहानी कह रहा है।
कार्यालय की स्थिति इतनी दयनीय है कि यहां न तो कर्मचारियों के बैठने की समुचित व्यवस्था है और न ही शौचालय जैसी जरूरी सुविधा। भवन की हालत किसी भी समय बड़ी अनहोनी को न्योता दे सकती है।
बिना बारिश के ही छत से पानी टपकता रहता है। कर्मचारियों के सिर पर बूंदें गिरती हैं और महत्वपूर्ण फाइलें भीग जाती हैं, फिर भी मजबूरी में काम जारी रहता है। बरसात के मौसम में हालात और भी भयावह हो जाते हैं।
शौचालय बना सबसे बड़ी समस्या
कई बार कर्मचारियों को केवल हाजिरी बनाकर बाहर निकलना पड़ता है, क्योंकि अंदर बैठना जोखिम भरा हो जाता है। कार्यालय में मौजूद एकमात्र शौचालय पूरी तरह अनुपयोगी हो चुका है।
पाइप जाम है और दुर्गंध इतनी तेज होती है कि कर्मचारियों को नाक में रूमाल बांधकर काम करना पड़ता है। मजबूरी में कर्मचारियों को कार्यालय से बाहर जाकर शौच के लिए जाना पड़ता है, जो न सिर्फ असुविधाजनक है, बल्कि बेहद अपमानजनक भी माना जा रहा है।
हर वक्त बना रहता है हादसे का डर
यह स्थिति एक संवैधानिक संस्था के लिए गंभीर चिंता का विषय है। भवन की जर्जरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दरवाजों पर ताले तो लगाए जाते हैं, लेकिन यह डर हमेशा बना रहता है कि कहीं दरवाजा या दीवार ही गिर न जाए।
छत और दीवारों से गिरते प्लास्टर के कारण कर्मचारी मानसिक दबाव में रहते हैं। किसी भी समय छत या दीवार गिरने की आशंका बनी रहती है, जिससे जान-माल के नुकसान का खतरा है।
प्रशासनिक कार्यालय के पास, फिर भी अनदेखी
सबसे हैरानी की बात यह है कि उपभोक्ता आयोग कार्यालय उपायुक्त और एसडीओ कार्यालय से सटा हुआ है। इसके बावजूद भवन के नवीकरण या नए कार्यालय भवन के निर्माण की दिशा में अब तक कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है।
कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा कई बार लिखित और मौखिक रूप से प्रशासन को स्थिति से अवगत कराया गया है, लेकिन समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है।
अध्यक्ष भी नहीं बैठते भवन में
उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष विधान चंद्र चौधरी भी इस जर्जर भवन में अधिक समय तक बैठने से कतराते हैं। वे किसी तरह आवश्यक फाइलों पर हस्ताक्षर कर वापस लौट जाते हैं।
उन्होंने बताया कि सभी कर्मचारी पूरी निष्ठा से काम कर रहे हैं, लेकिन एक अदद सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यालय भवन के लिए तरस रहे हैं। उनके अनुसार, मौजूदा भवन कार्यालय संचालन के लायक ही नहीं है।
खुद न्याय की प्रतीक्षा में न्यायालय
विडंबना यह है कि जो कार्यालय उपभोक्ताओं को न्याय और अधिकार दिलाने के लिए बना है, वही आज खुद सम्मानजनक कार्यस्थल और बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर प्रशासन कब इस गंभीर समस्या पर ध्यान देगा और कब उपभोक्ता आयोग को सुरक्षित व सुविधाजनक भवन नसीब होगा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।