बिजली कटने पर मिलते हैं 25 रुपये! MLA राय के सवालों से सामने आए रूल और प्रोसेस
क्या आपको पता है कि झारखंड में ट्रांसफार्मर की देरी विभाग को भारी पड़ सकती है। झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के नियम के अनुसार यदि शहरी क्षेत्र में 12 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र में 24 घंटे तक बिजली गुल रहती है तो प्रभावित उपभोक्ताओं को 25 रुपये का मुआवजा मिलेगा। यह नियम डिस्ट्रीब्यूशन लाइसेंसी स्टैंडर्ड्स ऑफ परफार्मेंस रेगुलेशन्स 2015 में शामिल है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। कल्पना करें, आपके घर के समीप का ट्रांसफार्मर खराब हो जाए, बिजली गुल हो जाए और घंटों तक अंधेरा छाया रहे।
अब यह भी सोचें कि यदि शहरी क्षेत्र में 12 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र में 24 घंटे तक यह स्थिति बनी रहे तो आपको न केवल बिजली मिलेगी, बल्कि बिजली विभाग की ओर से 25 रुपये का हर्जाना भी आपके हाथ में होगा।
यह कोई काल्पनिक बात नहीं, बल्कि झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के डिस्ट्रीब्यूशन लाइसेंसी स्टैंडर्ड्स ऑफ परफार्मेंस रेगुलेशन्स, 2015 में निहित एक ठोस प्रावधान है।
यह रहस्योद्घाटन तब हुआ, जब जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और विधानसभा की प्रत्यायुक्त समिति के अध्यक्ष सरयू राय ने अपनी समिति के साथ बैठक में इस नियम की परतें खोलीं।
इस नियम के तहत, यदि तय समय में ट्रांसफार्मर ठीक या बदला नहीं जाता, तो प्रत्येक प्रभावित उपभोक्ता को 25 रुपये का मुआवजा मिलेगा।
खास बात यह कि यह राशि बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की जेब से ही कटेगी, चाहे बिजली सरकारी हो या टाटा स्टील की। लेकिन अफसोस, जन-जागरूकता के अभाव में यह हक उपभोक्ताओं तक पहुंच ही नहीं पाता।
नियमों का अनोखा खुलासा : 12 और 24 घंटे की समय-सीमा
क्या आप जानते हैं कि आपके इलाके का ट्रांसफार्मर यदि खराब हो जाए तो बिजली विभाग के पास उसे ठीक करने या बदलने के लिए कितना समय है?
शहरी क्षेत्रों में यह अवधि मात्र 12 घंटे है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे। यदि इस समय-सीमा में काम पूरा न हो, तो प्रत्येक उस ट्रांसफार्मर से जुड़े उपभोक्ता को 25 रुपये का हर्जाना मिलने का अधिकार है।
इसके लिए आपको बस इतना करना है कि अपने क्षेत्र के अधीक्षण अभियंता के कार्यालय में दावा प्रस्तुत करें। यह व्यवस्था डिस्ट्रीब्यूशन लाइसेंसी स्टैंडर्ड्स ऑफ परफार्मेंस रेगुलेशन्स, 2015 में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है, जिसे झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने लागू किया है।
यह प्रावधान बिजली विभाग को तत्परता के साथ कार्य करने के लिए बाध्य करता है, ताकि उपभोक्ताओं को अनावश्यक कष्ट न सहना पड़े।
हर्जाना देने की मजबूरी, अधिकारियों की जेब पर असर
इस नियम की सबसे रोचक बात यह है कि हर्जाने की यह राशि बिजली विभाग के खजाने से नहीं, बल्कि संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन से काटी जाएगी।
सरयू राय ने बताया कि यह प्रावधान इसलिए बनाया गया है ताकि बिजली विभाग के लोग अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहें और समय पर ट्रांसफार्मर की मरम्मत या प्रतिस्थापन करें।
चाहे बिजली आपूर्ति झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम की हो या टाटा स्टील जैसी निजी कंपनी की, यह नियम सभी पर समान रूप से लागू होता है।
सरयू राय ने इस नियम को "उपभोक्ता-हितैषी" करार देते हुए कहा कि यह जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए एक सशक्त कदम है।
जागरूकता की कमी: हक से वंचित जनता
- इस शानदार प्रावधान का लाभ कितने लोग उठा पाते हैं? शायद बहुत कम। सरयू राय ने बैठक में इस बात पर गहरी चिंता जताई कि जन-जागरूकता के अभाव में लोग अपने इस अधिकार से अनभिज्ञ रहते हैं।
- उन्होंने कहा, सरकार ने अनेकानेक प्रावधान बनाए हैं जो जनता के हित में हैं, किंतु जानकारी के अभाव में ये अधिकार कागजों तक सीमित रह जाते हैं।
- लोग परेशान होते हैं, शिकायत करते हैं, लेकिन दावा करने की प्रक्रिया से अनजान रहते हैं। समिति के सदस्यों ने भी इस बात पर सहमति जताई कि इस नियम की जानकारी आमजन तक पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है।
कैसे करें दावा? एक आसान रास्ता
अब सवाल यह है कि यह हर्जाना आपको मिले कैसे? इसका जवाब सरल है। यदि आपके क्षेत्र का ट्रांसफार्मर खराब हो जाए और तय समय (शहर में 12 घंटे, गांव में 24 घंटे) में ठीक न हो, तो आपको अपने क्षेत्र के अधीक्षण अभियंता के कार्यालय में एक लिखित शिकायत दर्ज करानी होगी।
शिकायत में ट्रांसफार्मर खराब होने का समय, स्थान और प्रभावित उपभोक्ताओं की संख्या का उल्लेख करें। इसके बाद विभाग को नियम के अनुसार आपको मुआवजा देना होगा। यह प्रक्रिया जटिल नहीं है, बस आपको थोड़ी सजगता दिखानी होगी।
क्या है नियम?
शहरी क्षेत्र में 12 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र में 24 घंटे में ट्रांसफार्मर ठीक न होने पर हर उपभोक्ता को 25 रुपये का हर्जाना।
कानून कहां से?
डिस्ट्रीब्यूशन लाइसेंसी स्टैंडर्ड्स ऑफ परफार्मेंस रेगुलेशन्स, 2015 (झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन)।
पैसा कहां से?
बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन से कटेगा हर्जाना।
कौन देगा?
सरकारी हो या टाटा स्टील की बिजली, सभी पर लागू है नियम।
क्यों नहीं मिलता लाभ?
जन-जागरूकता की कमी के कारण लोग दावा नहीं करते।
कैसे मिलेगा?
अधीक्षण अभियंता के कार्यालय में शिकायत दर्ज करें।
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