मो. अजीज ने कहा था, मेरी विरासत संभालेगी बेटी सना
अपनी गायिकी से संगीत प्रेमियों के दिल पर राज करनेवाले मोहम्मद अजीज की दिली ख्वाहिश थी कि उनकी बेटी उनकी विरासत संभाले।
जमशेदपुर [वीरेंद्र ओझा]। गायक मोहम्मद अजीज की विरासत कौन संभालेगा। अगर आपके जेहन में यह सवाल उठ रहा है तो आइए आपको इसका जवाब बताते हैं। अपनी गायिकी से संगीत प्रेमियों के दिल पर राज करनेवाले मोहम्मद अजीज की दिली ख्वाहिश थी कि उनकी बेटी उनकी विरासत संभाले।
मोहम्मद अजीज का लौहनगरी यानी जमशेदपुर से भी गहरा रिश्ता रहा है। अजीज दो बार यहां आए थे। पहली बार तीन दिसंबर 2013 को उनका कार्यक्रम धतकीडीह कम्यूनिटी सेंटर में हुआ था, जबकि दूसरी बार 10 अक्टूबर 2015 को आए। यह कार्यक्रम सिदगोड़ा टाउन हॉल में हुआ था। दो साल पहले वे फाच्यरून होटल सेंटर प्वाइंट में ठहरे थे। कार्यक्रम से पहले दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने अपनी भावी योजनाओं के बारे में बताया था।
कहा जाता था रफी साहब का वारिस
अंतिम सवाल था कि आपको रफी साहब का वारिस कहा जाता है, तो आपके बाद कौन? अजीज ने गहरी सांस लेते हुए कहा कि वैसे तो मैंने कई को गायिकी सिखाई है, लेकिन मेरी विरासत मेरी बेटी सना अजीज संभालेगी। वह बहुत अच्छा गाती है। अजीज ने कहा कि उसने कई कार्यक्रम मेरे साथ भी किए हैं, तो सोलो प्रोग्राम भी दिया है। हालांकि उसे अभी तक बड़ा ब्रेक नहीं मिला है, लेकिन मुङो पूरी उम्मीद है कि एक न एक दिन वह मेरा नाम रोशन करेगी। उस साक्षात्कार में अजीज ने कहा कि फिलहाल मैं बॉलीवुड में बहुत कम गाने गा रहा हूं, क्योंकि मैं वैसे गाने नहीं गा सकता, जो आज के निर्माता-निर्देशकों की पसंद है।
मोहम्मद अजीज का सफर
मोहम्मद अजीज का 27 नवंबर को दिल का दौरा पड़ने से मुंबई में हो गया। वे 64 साल के थे। मोहम्मद अजीज कोलकाता में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद इसी दिन दोपहर को मुंबई लौटे थे। हवाई अड्डे से घर वापस आते हुए उनके सीने में दर्द हुआ। उनको फौरन नानावती अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया।
कोलकाता में हुई थी पैदाइश
मोहम्मद अजीज का मूल नाम सैयद मुहम्मद अजीज-उन-नबी था। 2 जुलाई, 1954 को उनका जन्म पश्चिम बंगाल के अशोकनगर में हुआ था। बचपन से ही गायिकी में रुचि रखने वाले अजीज के कैरियर की शुरुआत बांग्ला फिल्म ज्योति से हुई थी। 1984 में वे मुंबई आए, जहां फिल्म अंबर उनको पहली हिंदी फिल्म में मिली। उनको पहली बड़ी पहचान मनमोहन देसाई की फिल्म मर्द से मिली, जिसमें उन्होंने अमिताभ बच्चन के लिए ‘मैं हूं मर्द तांगे वाला..’ गाना गाया था।
गाए बीस हजार गाने
1986 में ‘अमृत’ के गाने ‘दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है’ ने उनकी लोकप्रियता को बुलंदियों पर पहुंचा दिया। मुहम्मद रफी को अपना गुरु मानने वाले अजीज ने अपने तीन दशक लंबे करियर में तकरीबन बीस हजार गाने गाए । हिंदी के अलावा उन्होंने उड़िया, भोजपुरी, मैथिली, पंजाबी, गुजराती, तेलुगु, तमिल, असमिया और बांग्ला फिल्मों के लिए भी गाने गाए।
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