NCERT की पुस्तक में आम बेचती ‘छोकरी’ देख मच गया हंगामा, ट्वीटर पर एक-दूसरे से भिड़े नेटीजंस
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीआरईटी) की पहली कक्षा की हिंदी की पुस्तक में छपी बच्चों की एक कविता पर सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है। कईयों को इस कविता में कुछ भी गलत नजर नहीं आता वहीं कुछ ट्वीटर पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं।
जमशेदपुर। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीआरईटी) की पहली कक्षा की हिंदी की पुस्तक में छपी बच्चों की एक कविता पर सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है। कईयों को इस कविता में कुछ भी गलत नजर नहीं आता, वहीं दूसरी ओर नेटीजंस इसके भाव को लेकर ट्वीटर पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं।
जानिए, आखिर क्या है कविता में
आइए, अब हम आपको बताते हैं कि आखिर इस कविता में ऐसा क्या है, जिसे लेकर ट्वीटर पर लोग एक-दूसरे से भिड़ रहे हैं। ‘आम की टोकरी’ नामक शीर्षक की इस कविता में छह साल की बच्ची सिर पर आम की टोकरी लेकर उसे बेचने जा रही है। कविता में उस बच्ची को ‘छोकरी’ कहकर संबोधित किया गया है। देश के कई हिस्सों में ‘छोकरी’ शब्द को बालिकाओं के लिए अपमानजनक शब्द समझा जाता है। इसके विषय की भी आलोचना की जा रही है। नेटीजंस कह रहे हैं कि इससे बाल श्रम को बढ़ावा मिलता नजर आता है।
आइएएस अधिकारी अवनीश शरन ने ट्वीट की
2009 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आइएएस अधिकारी अवनीश शरन ने सबसे पहले इस कविता को ट्वीटर पर शेयर किया। अवनीश राज्य के तकनीकी शिक्षा विभाग में पदस्थापित हैं। उन्होंने पाठ्यपुस्तक की कविता का स्क्रीनशॉट ट्वीटर पर साझा करते हुए न सिर्फ इसे घटिया क्वालिटी का बता दिया, बल्कि कवि की सोच पर भी सवाल उठा दिया। लगे हाथों उन्होंने कविता को पाठ्यक्रम से हटाने की भी सलाह दे डाली।
ये किस ‘सड़क छाप’ कवि की रचना है ?? कृपया इस पाठ को पाठ्यपुस्तक से बाहर करें. pic.twitter.com/yhCub3AVPR— Awanish Sharan (@AwanishSharan) May 20, 2021
उत्तराखंड के कवि रामकृष्ण खद्दर ने लिखी है कविता
‘आम की टोकरी’ कविता को उत्तराखंड के कवि रामकृष्ण शर्मा खद्दर ने लिखा है। खद्दर बच्चों की साहित्य लिखते हैं और यह कविता 2006 से ही पाठ्यपुस्तक रिमझिम का हिस्सा बनी हुई है। कविता में उसी पेज पर छात्रों के लिए अतिरिक्त अभ्यास दिए गए हैं और अध्यापकों को सहाल दी गई है कि वह बच्चों को बालश्रम के बारे में बताएं। पुस्तक के अभ्यास में लिखा है, बच्चों से पूछिए कि क्या वो ऐसे बच्चों को जानते हैं, जो बाज़ार में चीज़ें बेंचते हैं, और क्या वो स्कूल जाते हैं? अगर वो स्कूल नहीं जाते, तो बच्चे स्कूल में भर्ती होने में उनकी कैसे मदद कर सकते हैं। अभ्यास पुस्तिका में यह भी लिखा गया है कि तस्वीर में लड़की ऐसे दिखा रही है, जैसे वो आम बेच रही है। बच्चों से कहिए कि वो कक्षा में आम, नींबू, केला, गन्ना, मूंगफली, सेब, दवा की गोलियां जैसी अलग-अलग चीजें खाने की नक़ल करें’।
देखिए कैसे ट्वीटर पर यूजर्स एक दूसरे से भिड़ रहे हैं....
साहिबा चौहान ने कहा,
कविता तो एकदम सही है आइएएस सर पर आपकी भाषा के शब्द ' सड़कछाप' कविता से भी बदतर है। आपको ऐसे शब्द शोभा नहीं देते। कविता मासूमियत से भरी है अब किसी की सोच में सी गंदगी होतो क्या कह सकते है। @AwanishSharan— साहिबा चौहान (@shivsahiba4) May 20, 2021
शिशिर सिंह ने भी साहिबा का समर्थन किया
Dont be over judgemental... Regional languages are also there..And standard hindi is different from regional hindi..Chhokari is just a word having a meaning as Girl... In your regional language this might be objectionable bt for some areas it might be used to..— शिशिर सिंह भारतीय🇮🇳मिर्ज़ापुरी (@Shishir87658253) May 20, 2021
नीरज को छोकरी शब्द आपत्तिजनक लगा
शायद आपको नही लगी हो, क्योंकि छोकरी भाषा का उपयोग आप के लिए आम हो।
परंतु यदि कोई नर्सरी का छात्र इस भाषा को पढ़ कर कल ऐसा ही प्रयोग करे अपने शब्दो में तो क्या आपको खराब नही लगेगा?— 𝐀𝐝𝐯. 𝐍𝐞𝐞𝐫𝐚𝐣 𝐓𝐢𝐰𝐚𝐫𝐢 🇮🇳 (@AdvNeeraj5578) May 20, 2021
अर्चना तो आइएस साहब से भिड़ ही गई
NCRT को तो आपने कह दिया इसे देखने के लिए पर आपने जिस भाषा का जो प्रयोग किया है क्या वह उचित है ।
ख़ुद के संज्ञान के लिए किसे आदेश देना पसंद करेंगे आप 🙏🏻— Archana Anirudh (@archana_anirudh) May 20, 2021
शशि चंद्रा ने भी अवनीश शरण को लताड़ लगाई
Koi bhi कवि सड़क छाप नही होता पहली बात। और इस कविता में क्या गलत है जो आप भड़क गए। ट्विटर पर ध्यान देने से अच्छा होता आप अपना काम सही से करे। आज छोटे छोटे गांव में आप्लोग ध्यान दिए होते तो भारत देश का ये हाल नही होता। Ground level pe आप्लोगों ko ही बदलाव लाने का काम दिया गया है। — shashi chandra (@onlyme_shashi) May 20, 2021
शिवम यादव ने भी ज्ञान दे ही दी
सर सारा मुद्दा सोच का है। वरना आम चूसने में मुझे तो कोई अश्लीलता या नकारात्मकता नही दिखाई देती। क्लास -1 के बच्चों के लिए सही ही है उनके विचार पवित्र होते है। और सर कविता के नीचे के शब्द भी पढ़िए । pic.twitter.com/sBCOmy7w6g— Shivam Yadav (@shivamydv148) May 20, 2021
एक ने तो पुस्तक का स्क्रीनशॉट ही डाल दिया
Sir QR scan me class 1 bata raha hai । pic.twitter.com/e5VPDdI9tw— 🇮🇳suyash Gupta🇮🇳 (@Ayodhyawasildka) May 20, 2021
शिवमणि तो कवि की परिभाषा ही बता दी
माफ़ कीजिएगा @AwanishSharan sir ji...
ऐसे बेहुदा तुकबंदी करने वाले प्राणी की तुलना कवि से करना, मनुष्यता और कला दोनों का ही अपमान है...
वियोगी होगा पहला कवि,
आह से उपजा होगा गान,
निकल कर आँखों से चुपचाप,
बही होगी कविता अनजान!
~सुमित्रानन्दन पंत#BirthAnniversary#शिवआफ़्ताब— शिवमणि 'शिवआफ़्ताब' (@manish_aftab143) May 20, 2021
अर्पणा ने कविता का सार पढ़ने की नसीहत दे डाली
इस तस्वीर में,
एक बार आप कविता के नीचे लिखे हुए शब्दों को पढ़िए इसका सार समझ आएगा। आप समझ जायेंगे कविता क्या कहना चाहती है ये क्यूं छापी गई है। pic.twitter.com/vwzV0nuJJM— अर्पणा (@rpana_) May 20, 2021
सत्यम शिवम सुंदरम नामक ट्वीटर को तो बचपन की यादें ताजा हो गई
Poem 1 & Poem 2 are what children are studying now.
Poem 3 is what I studied as a child pic.twitter.com/MQK5tA5CIk— सत्यम, शिवम, सुंदरम (कर दाता) (@SatyshivS) May 20, 2021