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    समाज के जरूरतमंद वर्ग की तारणहार बनी भारती

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Mon, 15 May 2017 10:07 AM (IST)

    समाज के जरूरतमंद वर्ग की तारणहार बनी है सेवा भारती नाम की गैर सरकारी संस्था।

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    समाज के जरूरतमंद वर्ग की तारणहार बनी भारती

    जमशेदपुर, अतुल तिवारी। समाज के जरूरतमंद वर्ग की सेवा करने का यह एक बेहतरीन उदाहरण कहा जा सकता है। ऐसे गरीब जिनके पास किसी परिजन की अंत्येष्टि के लिए आर्थिक मदद की जरूरत हो, कोई बच्चा इसलिए पढ़ाई में पिछड़ रहा हो कि उसके माता-पिता के पास कॉपी-किताब खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं या कोई इसलिए खेती नहीं कर पा रहा हो कि बीज तक के पैसे नहीं हैं, उनके लिए तारणहार बनी है सेवा भारती नाम की गैर सरकारी संस्था। 

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    बूंद-बूंद से भरता है घड़ा

    प्रत्येक माह संगठन की महिलाओं द्वारा अपने पास से 100 से लेकर 50 रुपये तक एकत्रित कर उसे बैंक में जमा कराया जाता है। संगठन से तकरीबन तीन हजार महिलाएं जुड़ी हुई है। इस राशि का सदुपयोग वैसे लोगों के लिए किया जाता है जो आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं। खासतौर से अगर किसी बच्चे की पढ़ाई बाधित हो रही है और वह शिक्षा से वंचित हो रहा है तो इस संगठन के सदस्य आगे आकर उस गरीब बच्चे की पढ़ाई का बोझ उठाते हैं। वहीं गरीब बेरोजगार छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के फार्म भरने में भी मदद की जाती है। गरीब तबके की हर छोटी से बड़ी समस्या पर संगठन के सदस्य हमेशा तत्पर रहते हैं। 

    बेसहारों के चेहरे पर मुस्कान की पहल

    सेवा भारती संगठन का कार्य क्षेत्र सरायकेला-खरसावां जिले में हैं जहां कुल 300 टीमें सक्रिय हैं। प्रत्येक टीम में कम से कम 15 सदस्य शामिल हैं। सभी सदस्य महिलाएं हैं। 

    अब तक हजारों लोगों की मदद 

    इस संगठन की ओर से अब तक विभिन्न कार्यो केलिए लगभग पांच हजार लोगों की सहायता की गई है। जिसमें शिक्षा, चिकित्सा से ले खेती शामिल है। 

    अंतिम संस्कार में भी की जाती है मदद

    किसी गरीब की मृत्यु के बाद परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए मदद उपलब्ध कराई जाती है साथ ही उसके श्राद्ध कर्म के लिए भी सहायता उपलब्ध कराई जाती है। 

    ऐसे ढूंढे जाते हैं जरूरतमंद

    संगठन के सदस्यों का विस्तार अलग-अलग क्षेत्रों में है। वे अपने आसपास के लोगों के संपर्क में रहते हैं। अपने नेटवर्क से इस बात की जानकारी लेते हैं कि वास्तव में किसी व्यक्तिको किस तरह की जरूरत है। अपने स्तर से तस्दीक करने के बाद वे जरूरतमंद की मदद के लिए संगठन में प्रस्ताव लाकर उसे पारित करते हैं।सरकारी उच्च विद्यालय में बच्चों को हैंड वाशिक के बारे में जानकारी देतीं हर्षमणि महतो।

    शिक्षा पर खास ध्यान 

    लगभग 150 स्कूली बच्चों के बीच किताब कॉपी और स्कूली ड्रेस समेत अन्य वस्तुओं का वितरण किया गया। वहीं 350 ग्रामीण महिलाओं को साक्षर बनाने का कार्य किया जा रहा है। 

    सेहत पर भी नजर

    कई अन्य जगहों पर शिविर लगाकर लोगों की स्वास्थ्य जांच से लेकर नि:शुल्क दवा वितरण किया जाता है। इसके अलावा दुर्घटना में घायल व गरीब महिलाओं के प्रसव में एंबुलेंस से लेकर चिकित्सकों तक की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाती है।

    टाटा कंपनी में कार्यरत रहने के दौरान ख्याल आया कि सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि समाज के लिए कुछ करना चाहिए। गरीबों का सेवा करने की सोच आई और अपनी सोच को साकार करने के लिए संगठन को अस्तित्व में ले आए। 2003 में संगठन शुरुआत हुई। 

    बसंत खाले, अध्यक्ष सेवा भारती

     

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