मां मनसा की उपेक्षा चांद सौदागर को पड़ी महंगी
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सोनारी स्थित तरुण संघ में चल रहे तीन दिवसीय बांग्ला जात्रा (ड्रामा
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :
सोनारी स्थित तरुण संघ में चल रहे तीन दिवसीय बांग्ला जात्रा (ड्रामा) के दूसरे दिन 'मां मनसा चांद सौदागर' का मंचन हुआ, जिसमें कलाकारों ने धार्मिक कथा का जीवंत चित्रण किया। कहानी चांद सौदागर नामक राजा पर केंद्रित रही, जो वर्षो पहले चंपकनगरी में रहता था। राजा शिव का पुजारी था। वह किसी अन्य देवी-देवता की पूजा-उपासना नहीं करता था। इसी बीच सपने में मां मनसा ने अपनी पूजा करने को कहा, तो राजा भड़क गया। उसने कहा कि तुम चंडी (मां दुर्गा) के रूप में आओ तो पूजा करूंगा। मां मनसा उससे नाराज हो गई। उन्होंने राजा के सातों बेटों को सांप से डसवा दिया, जिससे उनकी मौत हो गई। लेकिन सबसे छोटे बेटे लखींदर की पत्नी बेहुला मनसा मां से अपने पति को जिंदा करने की गुहार लगाने पहुंची। काफी अनुनय-विनय के बाद मनसा मां ने ना केवल लखींदर को जीवित कर दिया, बल्कि बेहुला की श्रद्धा देख उसकी संपत्ति भी लौटा दी। कोलकाता से आई जात्रा मंडली में निर्देशक सुमित चटर्जी के साथ शुभेंद्र चटर्जी (चांद सौदागर), रूम्पा भद्रो (बेहुला), रूपा दत्ता (मां मनसा) व मोनाली शॉ (चंडी) की अहम भूमिका रही। रविवार को जात्रा का समापन होगा। इसे सफल बनाने में निर्झर सरकार, किंशुक मुखर्जी, शांति मुखर्जी, अरुण विश्वास, सुमित मुखर्जी आदि सक्रिय रहे।
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