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    पदक को तरसी दीपिका, अंकिता बनीं नई गोल्डन गर्ल, भारतीय तीरंदाजी में पीढ़ी परिवर्तन का साल रहा 2025

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 09:05 PM (IST)

    वर्ष 2025 भारतीय तीरंदाजी और टाटा तीरंदाजी अकादमी के लिए पीढ़ीगत बदलाव का साल रहा। जहां युवा अंकिता भगत ने एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतकर खुद को न ...और पढ़ें

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    तीर से लक्ष्‍य पर निशाना साधतीं दीपिका।

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। जमशेदपुर और विश्वविख्यात टाटा तीरंदाजी अकादमी के लिए वर्ष 2025 एक ऐसे बदलाव का प्रतीक बनकर सामने आया, जहां भारतीय तीरंदाजी की विरासत एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के हाथों में जाती साफ नजर आई। झारखंड की माटी से निकलीं दो दिग्गज तीरंदाज- अनुभवी दीपिका कुमारी और युवा अंकिता भगत की विपरीत दिशाओं में जाती कहानियों ने इस साल को खास बना दिया। 
     
    जहां अंकिता ने अपने करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल कर खुद को नई गोल्डन गर्ल के रूप में स्थापित किया, वहीं चार बार की ओलंपियन दीपिका के लिए यह साल आत्ममंथन और संघर्ष का रहा।

    गुरु से आगे निकली शिष्या 

    टाटा तीरंदाजी अकादमी की गुरु-शिष्य परंपरा ने 2025 में नया रूप लिया। ढाका में आयोजित एशियाई तीरंदाजी चैंपियनशिप में अंकिता भगत ने इतिहास रचते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। 
     
    इस जीत की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि सेमीफाइनल में अंकिता ने अपनी सीनियर और मेंटर दीपिका कुमारी को हराया, जो भारतीय तीरंदाजी में पीढ़ी परिवर्तन का स्पष्ट संकेत था। 
     
    अंकिता का स्वर्ण सिर्फ एक पदक नहीं था, बल्कि भारतीय महिला रिकर्व व्यक्तिगत वर्ग में एक ऐतिहासिक उपलब्धि भी रहा। फाइनल में उन्होंने पेरिस ओलंपिक 2024 की रजत पदक विजेता कोरियाई तीरंदाज नाम सुह्योन को 7-3 से हराकर न केवल भारत, बल्कि जमशेदपुर और टाटा अकादमी का नाम पूरे एशिया में रोशन किया।

    दीपिका के लिए आत्ममंथन का साल 

    दूसरी ओर, पूर्व विश्व नंबर एक और चार बार की ओलंपियन दीपिका कुमारी के लिए 2025 उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा। लंबे समय तक भारतीय टीम की रीढ़ रहीं दीपिका इस साल फार्म के लिए जूझती नजर आईं। 
     
    वर्ल्ड कप सर्किट में उन्हें केवल एक व्यक्तिगत कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। एशियाई चैंपियनशिप में अंकिता से हार के बाद, कांस्य पदक के मुकाबले में भी दीपिका को 25 वर्षीय संगीता से शूट-ऑफ में पराजय झेलनी पड़ी।

    युवा प्रतिभाओं की कतार, लेकिन चुनौतियां बरकरार 

    2025 में झारखंड और टाटा अकादमी की सफलता केवल अंकिता तक सीमित नहीं रही। जूनियर स्तर पर कई खिलाड़ियों ने दमदार उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन सीनियर रिकर्व वर्ग में निरंतरता की कमी अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। 
     
    भजन कौर, सिमरनजीत जैसी प्रतिभाएं उभर जरूर रही हैं, लेकिन विश्व चैंपियनशिप जैसे बड़े मंचों पर पदक का सूखा अब भी चिंता का विषय है। 

    उपलब्धि बनाम चिंता 

    साल 2025 का सार यही रहा कि एशिया स्तर पर भारतीय तीरंदाजों ने मजबूती दिखाई, लेकिन वैश्विक मंच पर फिनिशिंग की कमी साफ नजर आई। वर्ल्ड कप फाइनल के लिए किसी भी भारतीय रिकर्व तीरंदाज का क्वालीफाई न कर पाना टाटा अकादमी के लिए परेशानी का सबब रहा। 

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    आगे 2026 में एशियाई खेल और फिर 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक हैं। ऐसे में दीपिका के अनुभव और अंकिता के आत्मविश्वास के बीच संतुलन बनाना भारतीय तीरंदाजी की सबसे बड़ी जरूरत होगी। 
     
    दीपिका के लिए वापसी कठिन जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं। वहीं, अंकिता पर अब अपने प्रदर्शन को दोहराने और निरंतरता साबित करने का दबाव होगा। झारखंड के खेल प्रेमियों को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में टाटा अकादमी के तीर फिर विश्व पटल पर सटीक निशाने लगाएंगे।