Acidity क्यों और कैसे होती है, कुछ बातों का रखेंगे ध्यान तो नहीं होगी यह समस्या, जानिए
थोड़ी सी सावधानी और घरेलू उपाय से एसिडिटी को आप खुद ही ठीक कर सकते हैं। इसके लिए यह समझना जरूरी है कि एसिडिटी में क्या होता है। भाेजन काे पचाने वाला एसिड पेट के अंदर विटामिन बी-12 को सोख लेता है।

जमशेदपुर, जासं। भोजन करने के बाद जब भोजन पेट के अंदर पाचन तंत्र में पहुंचता है, तब इस भोजन को पचाने के लिए एक एसिड बनता है। यह पेट में भोजन को पचाने का काम करता है। जब यह एसिड पेट में जरूरत से ज्यादा बनने लगे तो एसिडिटी हो जाती है। इससे पेट में जलन होने लगती है, जो छाती तक पहुंच जाती है। इसे हार्ट बर्निंग भी कहा जाता है। दरअसल जब हम भोजन को अप्राकृतिक बना लेते हैं, तो हमारा पाचन तंत्र ठीक तरीके से काम नहीं करता है। एसिडिटी होने की यही मूल वजह है।
जमशेदपुर की आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय बताती हैं कि इसे लेकर बहुत ज्यादा चिंता नहीं करें। थोड़ी सी सावधानी और घरेलू उपाय से एसिडिटी को आप खुद ही ठीक कर सकते हैं। इसके लिए यह समझना जरूरी है कि एसिडिटी में क्या होता है। भाेजन काे पचाने वाला एसिड पेट के अंदर विटामिन बी-12 को सोख लेता है। यह विटामिन हमारे मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र या नर्वस सिस्टम को उचित तरीके से काम करने में मदद करता है। यह एसिड हमारे पेट में मौजूद जानलेवा बैक्टीरिया को ख़त्म करने में मदद करता है। पेप्सिन एंजाइम को सक्रिय करता है जो प्रोटीन को पचाने में मदद करता है। इससे हम जो भी पौष्टिक भोजन करते हैं, उसमें मौजूद प्रोटीन शरीर के तंत्रिकाओं में पहुंचता है। इसी से हमें बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है। यही पाचन तंत्र को भी सही तरीके से काम करने देता है और अंगों को सक्रिय करता है।
एसिडिटी के कारण
- चाय और कॉफी पीने से एसिडिटी होती है। खासकर भूखे पेट होने पर कभी भी चाय कॉफ़ी ना पीएं।
- धूम्रपान करने से भी एसिडिटी होती है।
- ज्यादा और अनियमित चटपटा मसाले वाला भोजन करना।
- भूख लगने पर भोजन नहीं करना या ज्यादा देर तक भूखे रहना।
- दिन में कभी भी कुछ भी खा लेना।
- खाना खाने के बाद तुरंत सो जाना।
- तैलीय चीजें या आयली फूड खाना भी एसिडिटी का कारण होता है।
- कम पानी पीने से भी एसिडिटी होती है।
- टमाटर और चावल न खाएं।
एसिडिटी रोकने के घरेलू उपाय
केले में पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह हमारे पेट में एसिड बनने से रोकता है। केले में अन्य बहुत से ऐसे पदार्थ होते हैं, जो पाचन तंत्र से संबंधित शिकायतों को दूर करने में मदद करते हैं। इसमे में फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। जब भी आपको एसिडिटी की शिकायत होने लगे तो केले से एसिडिटी का उपचार कर सकते हैं।
तुलसी : एसिडिटी होने पर 5-6 तुलसी के पत्तों को अच्छे से चबा-चबाकर खाएं व चूसें, तुलसी का यह प्रयोग बहुत आसान और मददगार है।
इलाइची : इलाइची कफ, पित्त, वात दोष को को ख़त्म करने के लिए बहुत प्रसिद्ध है। एसिडिटी से राहत पाने के लिए 2 इलाइची लेकर उसके दाने निकाल लें, फिर इन्हे पानी में डालकर अच्छे से उबाल लें। इसके ठंडा होने पर जब भी पेट व सीने में जलन महसूस हो तो इलाइची के इस ड्रिंक को पीएं, इसे पीने से तुरंत आराम मिलेगा।
एलोवेरा : एसिडिटी के लिए सबसे अच्छा उपाय होता है एलोवेरा। आप खाना खाने से पहले ही चार चम्मच एलोवेरा का जूस पी लें। ज्यादा समस्या होती हो तो खाना खाने के आधे घंटे बाद भी चार चम्मच एलोवेरा जूस पी लें। इससे एसिडिटी की समस्या स्थायी रूप से ठीक हो जाती है।
लौंग : लौंग में ऐसे रासायनिक तत्त्व होते हैं, जो पाचन तंत्र को साफ़ बनाए रखते हैं। अगर आप एसिडिटी से ग्रसित है तो एक दो लौंग मुंह में रखकर चबाएं और चूसें। जब इसमें से रस निकलने लगे तो उसे पेट में उतार लें या घोंट लें। यह उपाय पेट से संबंधित सभी समस्याओं जैसे उलटी, जी मिचलना आदि को तुरंत ख़त्म कर देता है।
आंवला : यह कफ और पित्त की शिकायत को ख़त्म करता है। इसमे विटामिन-सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके सेवन से पेट के सभी अंग स्वस्थ बनते हैं। यह एसिडिटी को भी नियंत्रित करता है। रोजाना दिन में दो बार आंवला के चूर्ण या पाउडर का सेवन करें। यह एसिडिटी को शांत करेगा।
दूध : दूध में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। कैल्शियम एसिड को अनियंत्रित होने से रोकता है। ठंडा दूध एसिडिटी का इलाज करता है। दूध पेट की जलन से तुरंत राहत दिलाता है। पेट की आंतों को शांत करता है, जिससे शरीर में जलन बंद हो जाती है। इसके लिए यह जरुरी है कि दूध ठंडा हो और उसमे किसी भी तरह का कोई पाउडर, चीनी आदि न मिली हो। आप इस दूध में थोड़ा शुद्ध घी भी मिला सकते हैं। ऐसा करने से यह और ज्यादा असरदार हो जाएगा।
बहुत से लोगों को सोते वक्त पेट में जलन होती है। यह जलन गलत तरफ सोने से होती है। नींद में सोते वक्त होने वाली पेट में जलन से बचने के लिए हमेशा बायें करवट सोएं। इस दिशा में सोने से जलन बिलकुल नहीं होगी और याद रखें, दायें करवट कभी ना सोएं।
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