सुंदर दिलों का सुंदर एहसास सौंदर्य बोध
सौंदर्य अर्थात सुंदरता, एक सुंदर शब्द, एक एहसास, एक अनुभूति है, जो मन की आंखों से दिखाई देती है। यह
सौंदर्य अर्थात सुंदरता, एक सुंदर शब्द, एक एहसास, एक अनुभूति है, जो मन की आंखों से दिखाई देती है। यह देखने से ज्यादा महसूस करने की चीज है और महसूस करने के लिए इंसान के अंदर एक सुंदर दिल होना चाहिए। पक्षियों का कलरव, नदियों के कल-कल का गुंजन, पर्वतों की ऊंची-नीची श्रृंखलाएं, नीला आसमान, फूलों का बगान और न जाने क्या-क्या.., जिन्हें देखकर अनायास मुख से निकल पड़ता है वाह कितना सुंदर। यूं तो सौंदर्य का कोई मापदंड नहीं होता, किंतु आज समाज के कुछ संकीर्ण विचारधारा वालों ने इसके मापदंड तय कर इस शब्द को सीमित कर दिया है। आज सुंदरता की परिभाषा केवल एक देह तक सिमट कर रह गई है। शरीर के लिए रंग, लंबाई, वजन विभिन्न अंगों का आकार ऐसे कुछ पैमाने हमने तय कर दिए हैं जो इंसान को प्रकृति द्वारा प्राप्त है। जिन चीजों को बनाना या पाना इंसान के वश में न हो, उसके आधार पर सौंदर्य का आकलन कैसे किया जा सकता है?
यदि हम नारी सौंदर्य की बात करें तो क्या नारी की सुंदरता का मापदंड बस उसका बाहरी रंग-रूप ही होता है, क्या दया, ममता, त्याग, संवेदनशीलता, सहनशीलता और समर्पण जैसे गुणों का नारी के लिए कोई महत्व नहीं है। सच तो यह है कि बाहरी रंग रूप के सामने नारी के इन भावों की सुंदरता अनमोल है। महात्मा गांधी, तिलक, राजा राममोहन राय, स्वामी विवेकानंद, जैसे कई महापुरुषों ने तत्कालीन समाज की रूढि़वादिता और अंधविश्वास को दूर कर मानवता को एक नई दिशा दी। उनकी इस सोच और कार्यो में भी है सौंदर्य। चंद्रमा की सुंदरता उसकी शीतलता में, सूरज की सुंदरता गर्मी में, पानी की गतिशीलता में, फूलों की खुशबू में, वृक्षों की फल व छाया देने में है। दूसरे शब्दों में सुंदर हैं वे लब जिनसे दूसरों के लिए दुआएं निकलती हैं। सुंदर है वह दिल जो दूसरों के दर्द को समझता है। सुंदर है वो आंसू जो दूसरों के गम में बहते हैं। सुंदर हैं वे हाथ जो दूसरों की मदद के लिए उठते हैं। अब तो हम निश्चित रूप से मान सकते हैं कि ये सब करने वाले की सोच कितनी सुंदर होगी। आज हर इंसान बस अपने बाहरी रंग रूप को संवारने में लगा है। अर्थात सफलता पाने के लिए सुंदरता को माध्यम बनाया जा रहा है पर वास्तविक सुंदरता तो व्यक्ति की सोच है। उसके व्यवहार और उसके कार्यो में झलकती है और यह सब केवल वास्तविक ज्ञान से ही संभव है।
-सरिता कुमारी, प्रधानाध्यापिका, सरदार माधो सिंह गर्ल्स हाई स्कूल (फोटो डेली में सरिता कुमारी के नाम से)
---------
सेंट मेरीज के बच्चों को मिले प्रमाण पत्र
दैनिक जागरण की ओर से आयोजित होने वाले जागरण संस्कारशाला-2014-15 में भाग लेने वाले सेंट मेरीज ¨हदी हाई स्कूल के छात्र-छात्राओं को स्कूल परिसर में शनिवार को प्रमाण पत्र दिये गये। इनमें स्कूल स्तर पर हर वर्ग से टॉप थ्री के साथ ही वे तमाम छात्र शामिल थे जिन्होंने प्रतियोगिता में भाग लिया। स्कूल की प्राचार्य सिस्टर प्रेमलता को भी प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया।
य रहे टॉप थ्री
श्रेणी-1 : दीप्ति कुमारी, गेब्रिल भेंगरा, अभिषेक शर्मा
श्रेणी-2 : लवली कुमारी, अंजलि मुखी, मुस्कान सोनकर
श्रेणी-3 : रीमा कुमारी, डी उमा महेश्वरी, करन पंडित
-------
छात्रों ने शुरू की तैयारी
जागरण संस्कारशाला को लेकर बहुत उत्साह है। यह आयोजन हमारे जीवन में संस्कारों के महत्व को बताता है और सुधार का रास्ता दिखाता है।
-सुष्मिता कुमारी
-------
संस्कारशाला ऐसा आयोजन है जिसमें भाग लेकर बहुत आनंद आता है। हमें मूल्यों का बोध होता है और हम संस्कारों के प्रति जागरूक व सजग होते हैं।
-देवप्रिया सरकार
-------
संस्कारों की बात तो बहुत होती है, पर जागरण संस्कारशाला हमें संस्कारों के इतने करीब लाता है कि हम इसके महत्व को समझ पाते हैं।
-कृति सरोज
-------
संस्कार मनुष्य जीवन के बहुत ही महत्वपूर्ण आभूषण हैं। संस्कार विहीन मनुष्य जानवर के समान होता है। संस्कारशाला से हमें यही सीख मिलती है।
-रीता कुमारी
--------
भारतीय परिवेश में संस्कारों का स्थान सबसे ऊपर है। संस्कारशाला हमें यही समझाता है। इसीलिए इसमें शरीक होने के लिए हम उत्साहित रहते हैं।
-रितू वेज
--------
संस्कारशाला का मैं इंतजार करता रहता हूं। इसमें भाग लेने के उत्साह का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि मैंने इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी है।
-अंकित कुमार
---------
संस्कारशाला बहुत ही महत्वपूर्ण आयोजन है। दैनिक जागरण हमें इसके प्रति सजग और सचेत कर रहा है, इसके लिए जागरण तारीफ के काबिल है।
-सरताज खान
--------
दैनिक जागरण संस्कारशाला के माध्यम से हमारे अंदर संस्कार भर रहा है। यह बहुत ही जिम्मेदारी का काम है। इसके लिए जागरण की जितनी तारीफ की जाए, कम है।
-आयुष कुमार
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।