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    Hazaribagh News: तिरंगे में लिपटा आया बलिदानी बेटा, मां बोलीं -जो बोले सो निहाल...

    Updated: Thu, 13 Feb 2025 02:44 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में आइईडी ब्लास्ट में बलिदान हुए कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी का पार्थिव शरीर बुधवार शाम रांची पहुंचा। रांची में बलिदानी कैप्टन को राज्यपाल समेत गणमान्य लोगों ने दी श्रद्धांजलि दी। इस दौरान मां ने कहा शहीद हमेशा उगता हुआ सूरज जाने के बाद भी उगता ही रहना चाहिए।आज हजारीबाग में कैप्टन करमजीत का अंतिम संस्कार होगा।

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    रांची पहुंचा बलिदानी कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी का पार्थिव शरीर

    जागरण टीम, रांची/हजारीबाग। जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास पेट्रोलिंग के दौरान आइईडी ब्लास्ट में बलिदान हुए कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी का पार्थिव शरीर बुधवार शाम रांची पहुंचा।

    राज्यपाल व अन्य गणमान्य लोगों द्वारा पुष्पचक्र अर्पित कर वीरोचित सम्मान देने के बाद पार्थिव शरीर को हजारीबाग ले जाया गया। गुरुवार को हजारीबाग में दिवंगत कैप्टन का सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।

    लेफ्टिनेंट बनने के बाद करमजीत सिंह की फाईल फोटो ग्रुप के साथ : जागरण

    जवानों ने दी सलामी

    हजारीबाग जाने से पहले रामगढ़ स्थिति सिख रेजिमेंटल सेंटर में भी बलिदानी कैप्टन को सैन्य अधिकारियों व जवानों ने सलामी दी। रांची एयरपोर्ट पर शाम 6:15 बजे एयर एंबुलेंस से बलिदानी कैप्टन का पार्थिव शरीर पहुंचा।

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    तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर को सेना के जवान अपने कंधे पर रखकर श्रद्धांजलि स्थल पर लाए। इसके बाद सेना के अधिकारियों ने उनके पार्थिव शरीर पर फूलों का चक्र रखकर सलामी दी।

    मां के मुंह से निकली गुरुवाणी

    इसके बाद कैप्टन करमजीत के माता-पिता अपने बेटे के पार्थिव शरीर के पास पहुंचे। उन्होंने बेटे के पार्थिव शरीर पर फूलों का चक्र रखा और एकटक ताबूत की ओर देखते रहे।

    बेटे का पार्थिव शरीर देखकर बिलखती मां।

    कुछ पल बाद मां के मुंह से अनायास गुरुवाणी के शब्द निकले- जो बोले सो निहाल...। मां के मुंह से निकले गुरुवाणी सुन टर्मिनल परिसर में उपस्थित सेना के अधिकारियों, जवानों समेत अन्य लोगों ने भी एक साथ कहा...सत श्री अकाल...।

    घर में फफककर रोती मां : जागरण

    देश के लिए सर्वोच्च बलिदान

    इससे पहले हजारीबाग में मां ने बेटे को याद करते हुए कहा 'शहीद हमेशा उगता हुआ सूरज होता है, जाने के बाद भी उसे उगता ही रहना चाहिए'। मेरे बेटे ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है।

    कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी का फाइल फोटो : जागरण

    रांची में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर, गृह सचिव वंदना डाडेल, आइजी, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, झारखंड राज्य आवास बोर्ड के अध्यक्ष संजय लाल पासवान, सिटी एसपी, उपायुक्त एवं अन्य अधिकारियों ने शहीद करमजीत के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

    पिता चाहते थे कि बेटा आइएएस या आइपीएस बने

    शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी के पिता अजिंदर सिंह ने बताया कि करमजीत शुरू से ही पढ़ाई में तेज थे और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा प्रो. माया सिंह के घर रहकर पूरी की।

    परिवार के लोग चाहते थे कि वे आइएएस या आइपीएस अधिकारी बनें, लेकिन करमजीत पर सेना में अधिकारी बनने का जुनून सवार था।

    बेटे की जिद के आगे परिवार को झुकना पड़ा और उन्होंने सेना में जाने की अनुमति दे दी। करमजीत ने देहरादून स्थित डलहौजी प्लस टू विद्यालय में दाखिला लिया। यहीं से उन्होंने एनडीए की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर लेफ्टिनेंट का पद हासिल किया।

    हौसले और जुनून के दम पर पाई थी सफलता

    सेना में जाने का जुनून शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी पर बचपन से ही सवार था। उनका हाथ टूट चुका था। चिकित्सक ने उन्हें ठीक करने में गलती कर दी थी।

    पहले प्रयास में सेना के चिकित्सकों ने जांच के दौरान करमजीत को अनफिट घोषित कर दिया था, लेकिन हार मानने की बजाय उन्होंने अपनी तैयारी को दोगुना कर दिया।

    बेहतर से बेहतर चिकित्सकों से मिले और अंततः उनकी मेहनत रंग लाई। उन्हें 2019 में सेना में शामिल होने का अवसर मिला। सेना में भर्ती के लिए वह दौड़ व अन्य शारीरिक अभ्यास जमकर करते थे। सफलता के लिए उन्होंने 36 किलोमीटर की दौड़ शुरू कर दी थी।

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