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    झारखंड की नई शराब नीति से हजारीबाग में हड़कंप, बंद होने की कगार पर 40 प्रतिशत दुकानें

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 12:23 PM (IST)

    झारखंड की नई शराब नीति से हजारीबाग में शराब कारोबारियों पर भारी आर्थिक दबाव पड़ा है। लगभग 40% दुकानें लगातार घाटे में चल रही हैं और बंद होने की कगार प ...और पढ़ें

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    झारखंड की नई शराब नीति से दुकानदारों को नुकसान। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, हजारीबाग। झारखंड सरकार की नई शराब नीति हजारीबाग जिले में गंभीर संकट का रूप लेती जा रही है। नीति लागू होते ही शराब कारोबारियों पर आर्थिक दबाव इस कदर बढ़ गया है कि अब कई दुकानदारों ने दुकानों को सरेंडर करने की तैयारी शुरू कर दी है।

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    जिले की स्थिति इतनी चिंताजनक हो चुकी है कि करीब 40 प्रतिशत शराब दुकानें लगातार नुकसान में चल रही हैं और बंदी के कगार पर पहुंच चुकी हैं। इसका सीधा असर न केवल कारोबारियों की आजीविका पर पड़ रहा है, बल्कि राज्य सरकार के राजस्व को लेकर भी खतरे की घंटी बजने लगी है।

    हजारीबाग जिले में फिलहाल 67 शराब दुकानें संचालित हैं, जिन्हें नई नीति के तहत सरकारी नियंत्रण से हटाकर निजी हाथों में सौंपा गया है। निजीकरण के साथ ही सरकार ने लाइसेंस शुल्क, टैक्स और निर्धारित राजस्व लक्ष्य में लगभग 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है।

    दुकानदारों का कहना है कि बाजार में बिक्री की स्थिति पहले जैसी नहीं रही, जबकि टैक्स और देनदारियों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में मुनाफा कमाना तो दूर, दुकान का खर्च निकाल पाना भी मुश्किल होता जा रहा है।

    स्थिति यह है कि झंडा चौक और बस स्टैंड जैसे शहर के सबसे व्यस्त व्यावसायिक इलाकों में संचालित शराब दुकानें भी घाटे में जाने लगी हैं। दुकानदारों के अनुसार कम बिक्री, ऊंचा लाइसेंस शुल्क, जीएसटी, अतिरिक्त टैक्स और तय राजस्व लक्ष्य ने शराब कारोबार को पूरी तरह घाटे का सौदा बना दिया है।

    कई दुकानदारों ने बताया कि हर माह तय लक्ष्य पूरा न होने पर जुर्माने और दबाव का सामना करना पड़ता है, जिससे हालात और बिगड़ रहे हैं।

    दुकानदारों ने नई शराब नीति की खामियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकार ने खराब और कम ग्राहक वाली लोकेशन की दुकानों को भी निजी हाथों में दे दिया है, जहां स्वाभाविक रूप से बिक्री सीमित रहती है।

    इसके बावजूद सभी दुकानों पर एक समान टैक्स और राजस्व लक्ष्य लागू कर दिया गया है, जो व्यावहारिक नहीं है। कारोबारियों का मानना है कि यदि नीति में स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार बदलाव नहीं किया गया, तो नुकसान और बढ़ेगा।

    दुकानदारों और उनके संगठनों ने सरकार से नई शराब नीति की तत्काल समीक्षा, टैक्स दरों में राहत और राजस्व लक्ष्य में यथार्थपरक संशोधन की मांग की है। उनका कहना है कि यदि मौजूदा हालात बने रहे, तो आने वाले दिनों में और भी दुकानों के सरेंडर किए जाने की नौबत आ सकती है।

    इससे एक ओर जहां सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार को मिलने वाला राजस्व भी बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। अब देखना यह है कि सरकार इस बढ़ते संकट को गंभीरता से लेते हुए क्या ठोस कदम उठाती है।