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युवा इंजीनियर अमितेश ने गांव की तरक्की के लिए जुटाए 1000 करोड़, उतारा माटी का कर्ज

रिलायंस फाउंडेशन यहां गरीबों के लिए 50 घर तैयार करेगी। कई लघु उद्योग की इकाई लगाने का प्रस्ताव भी है जिससे 2000 लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिल सकता है। अमितेश को इस काम में उनके आइआइटी मुंबई व आइआइएम से जुड़े कई दोस्त भी मदद कर रहे हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 12:11 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 04:07 PM (IST)
युवा इंजीनियर अमितेश ने गांव की तरक्की के लिए जुटाए 1000 करोड़, उतारा माटी का कर्ज
दैहर गांव के ग्रामीणों के साथ खड़े अमितेश (सबसे दाएं) जागरण।

विकास कुमार, हजारीबाग। देशभर में लाकडाउन लगा था, लेकिन झारखंड के हजारीबाग स्थित दैहर के लिए मानो यह वक्त किस्मत की चाबी थमाने आया था। लोग घर लौट रहे थे तो गांव का एक युवा इंजीनियर भी लौट आया। आते ही खबर मिली कि पड़ोस में रहने वाली महिला की कुएं में गिरने से मौत हो गई। कुएं में सुरक्षा के लिए दीवार नहीं बनी थी। ऐसी ही कई छोटी- छोटी परेशानियां। कंपनियों से संपर्क करना शुरू किया। अब आधा दर्जन कंपनियां सीएसआर फंड से यहां 1000 करोड़ का काम कर रही हैं। गांव में काम शुरू हुआ तो पहला वाटर टैंक उसी महिला के घर के सामने बनवाया, जिसकी कुएं में डूबने से मौत हो गई थी।

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किसी समय उग्रवाद की वजह से चर्चा में रहने वाला दैहर को अब लोग अमितेश का गांव नाम से पहचाना जाने लगा है। इस गांव में सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल, पुल और अन्य साधन-सुविधाओं की ढेरों दुश्वारियां हैं। अब तक यहां अन्य पिछड़े गांवों जैसी ही थी। खास बात यह है कि पिछले कुछ महीनों से इस गांव की किस्मत ने करवट ली है। यहां के रहने वाले एक नौजवान सपूत ने गांव में बदलाव की ऐसी बयार बहाई कि इसके झोंके में पूरा देश आनंद के हिलोरे लेने लगा। इस गांव के रहनेवाले इंजीनियर बेटे अमितेश ने कुछ कंपनियों की मदद से अब इस गांव की सूरत बदलने की मुहिम शुरू कर दी है।

आइआइटी मुंबई के पूर्व छात्र और ओएनजीसी में इंजीनियर के रूप में कार्यरत अमितेश जब लाकडाउन में अपने गांव दैहर पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि उनके पड़ोस में रहनेवाली एक महिला की कुएं में गिरने से मौत हो गई है। महिला घर से काफी दूर एक कुएं में पानी भरने गई थी, इसी दौरान पैर फिसल जाने के कारण वह कुएं में गिर पड़ी थी। इस घटना के बारे में सुनकर अमितेश को बहुत पीड़ा हुई और उसने गांव की बुनियादी समस्याएं दूर करने की ठानी। यहीं से गांव के बदलाव की कहानी शुरू होती है।

अमितेश ने पहले तो गांव के हर घर में पानी पहुंचाने की ठानी। बाद में इरादा और मजबूत हुआ तो गांव के साथ पूरे पंचायत की सूरत बदलने का निर्णय ले लिया। आज देश की लगभग आधा दर्जन बड़ी कंपनियों की मदद से अमितेश अपने गांव को ग्रीनफील्ड स्मार्ट विलेज बनाने में जुट गए हैं। ओएनजीसी फाउंडेशन समेत अन्य बड़ी कंपनियों की मदद से गांव में पक्के मकान, बिजली, सड़क, स्कूल, अस्पताल, स्ट्रीट लाइट, वाइ-फाइ सेवा समेत तमाम सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। फिलहाल दैहर ग्रीनफील्ड स्मार्ट विलेज का काम जोर-शोर से चल रहा है। अमितेश के अनुसार इस गांव में कंपनियां 1000 करोड़ रुपये विकास पर खर्च करने वाली हैं। अमितेश कहते हैं उन्हें अब अपनी माटी का कर्ज उतारने का मौका मिला है। यह मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा सपना पूरा होने जैसा है। इस काम में सहयोग कर रही सभी कंपनियों के प्रति हम आभारी हैं। उधर, गांव वाले कह रहे हैं कि ऐसा सपूत हर गांव में हो।

ऐसे मिली सफलता : अमितेश ने अपनी कंपनी ओएनजीसी को एक प्रस्ताव भेजा, जिसमें दैहर गांव को स्मार्ट विलेज बनाने के लिए वहां सड़क, बिजली, पानी, आवास और अन्य सुविधाएं सीएसआर फंड के तहत बहाल करने की बात थी।, निजी तौर पर भी कंपनी के अफसरों से बात कर उन्हें इस काम के लिए राजी किया और कंपनी ने सीएसआर फंड के तहत विकास कार्य कराने की सहमति दे दी। ओएनजीसी ने पाइपलाइन बिछाकर घर-घर नल से पानी पहुंचाने, गांव में चौड़ी सड़कें बनाने समेत कई काम शुरू भी कर दिए हैं। अमितेश यहीं नहीं रुके। उन्होंने टाटा पावर, रिलायंस, ओला, ऊबर, समेत तमाम कंपनियों से बात कर गांव के विकास की योजनाओं को विस्तार दिया। इन कंपनियों ने गांव में अलग-अलग विकास कार्यो का बीड़ा उठाया है। टाटा पावर ने गांव में सोलर लाइट के जरिये रोशनी फैलाने की जिम्मेदारी उठाई है तो रिलायंस व ओला ने आवास बनाने की। अन्य कई कंपनियों ने भी अलग-अलग काम करने के प्रस्ताव को स्वीकार किया है।

ऐसा बदलाव सपने में भी न सोचा था.. : गांव की तस्वीर बदलने की शुरुआत घरों में पाइपलाइन से पानी पहुंचाने के काम के साथ हुई है। वाटर टैंक उसी महिला के घर के सामने बनवाया है, जिसकी जल संकट की वजह से कुएं में गिरकर मौत हो गई थी। महिला के पति रामवृक्ष बताते हैं कि मेरे लिए यह सुकून देने वाला है। ऐसा बदलाव तो हमलोगों ने सपने में नही सोचा था। ओएनजीसी फाउंडेशन की मदद से घरों में पाइप लाइन पहुंचाने का काम लगभग पूरा कर लिया गया है। अमितेश ने गांव के विकास का खाका खींच इसका प्रस्ताव अपनी कंपनी ओएनजीसी समेत देश की कई बड़ी कंपनियों को भेजा। ओएनजीसी से वित्तीय मदद मिलते ही उन्होंने काम शुरू कर दिया। इसके बाद टाटा पावर सोलर लाइट की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आगे आई। ओला व रिलायंस जैसी कंपनियों ने भी सीएसआर के तहत मदद का भरोसा दिया। 

प्रधानमंत्री के मन तक पहुंचा दैहर गांव : अमितेश और दैहर गांव की ख्याति राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच चुकी है। पीएमओ अब इसमें दिलचस्पी दिखा रहा है। सात नवंबर को पीएमओ के मन की बात के अधिकारिक ट्वीटर एकाउंट से ट्वीट दैहर गांव में चल रहे प्रयास की तारीफ की है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री भी ट्वीट कर इस पहल का स्वागत कर चुके हैं। अन्य जगह से भी सराहना मिल रही है।


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