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    BSF Foundation Day: 6386 किमी लंबी भारतीय सीमा की रक्षा करती है बीएसएफ, इनकी अहम जिम्‍मेदारियों के बारे में जान रह जाएंगे दंग

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Fri, 01 Dec 2023 12:41 PM (IST)

    BSF Foundation Day देश की सीमा सुरक्षा बल के 59वें स्थापना दिवस पर उनकी उपलब्धियों और उनकी अहम जिम्मेदारियों के बारे में डीजी नितिन अग्रवाल ने महत्‍वपूर्ण जानकारियां दी। आज हजारीबाग के मेरु स्थित बीएसएफ प्रशिक्षण केंद्र में इसका भव्‍य आयोजन किया गया है जिसके मुख्‍य अतिथि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हैं। बीएसएफ के जांबाज जवान जान पर खेलकर देश की सीमा की रक्षा करते हैं।

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    प्रेस वार्ता को संबोधित करते बीएसएफ महानिदेशक नितिन अग्रवाल : जागरण।

    जासं, हजारीबाग। बीएसएफ के 59वें स्थापना दिवस पर डीजी नितिन अग्रवाल ने बताया कि पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमा में बीएसएफ नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल कर घुसपैठ को काफी हद तक रोकने में सफल रहा है।

    तकनीक के इस्तेमाल से ही भारत-पाकिस्तान सीमा पर 81 ड्रोन को मार गिराया गया है। इनमें अधिकांश ड्रोन चाइनीज कंपनी के होते हैं। पाकिस्तानी रेंजर्स को भी इस बारे जानकारी दी गई है। लेकिन वे हमेशा की तरह वे इस बात को स्वीकार नहीं करते।

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    BSF को अब तक मिल चुकी हैं ये उपलब्धियां

    डीजी ने प्रेस वार्ता के दौरान बीएसएफ की उपलब्धियों के बारे में बताया। बताया कि देश सेवा में बीएसएफ ने 1968 शहादत दी है। आज के कार्यक्रम में सबसे पहले जवानों की शहादत को नमन किया जाएगा।

    बल को अब तक एक महावीर च्रक, 13 वीर चक्र, छह कीर्ति चक्र, 13 शौर्य चक्र, 56 सेना मेडल, 232 प्रेसिडेंट पुलिस मेडल फार गैलेंटरी व 1001 पुलिस मेडल फार गैलेंटरी से नवाजा गया है। 2023 में स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस समारोह 119 पदकों से नवाजा जा चुका है।

    BSF के कंधे पर हैं कई अहम जिम्‍मेदारियां

    1965 में स्थापित देश के अग्रणी पंक्ति का सैन्य सुरक्षा बल बीएसएफ देश के पाक व बांग्लादेश सीमा सहित 13 फ्रंटों पर काम करती है। इनके जिम्मे देश के 6386 किलोमीटर लंबी सीमा की सुरक्षा भी है।

    इंडो-पाक सीमा पर 2289 किमी, एलओसी पर संयुक्त रूप से 772 किमी व व्यक्तिगत रूप से 237 किमी, इंडो-बांग्लादेश सीमा पर चार हजार 96 किमी लंबी सीमा पर सुरक्षा का जिम्मा संभालती है। यह जानकारी प्रेसवार्ता के दौरान बीएसएफ के महानिदेशक नितिन अग्रवाल ने दी।

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    जान पर खेल कर रहे हैं देश की सीमाओं की सुरक्षा

    पत्रकारों को संबोधित करते हुए डीजी ने बीएसएफ के इतिहास विकास की जानकारी दी। बल के कार्य, प्रशिक्षण स्थल, युद्ध के दौरान बहादुरी को लेकर मिले पदक, सेवा पदक सहित पुलिस पदक की जानकारी दी। डीजी ने बताया कि देश के लिए 1968 जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।

    देश में बांग्लादेशी घुसपैठ आज भी समस्या है और इस प्रश्न पर बोलते हुए महानिदेशक ने कहा कि बांग्लादेश सीमा पर घुसपैठ की समस्या पूर्व में रही है। वर्तमान समय में बीएसएफ इसे पूरी तरह रोकने में सफल रही है। बताया कि अब घुसपैठ मुद्दा नहीं रहा है।

    जानकारी दी कि बीएसएफ ने अबतक एक हजार किलो ब्राउन शुगर, 22 हजार किलो अन्य मादक पदार्थ, दो सौ किलो से अधिक सोना, हथियार, कारतूस के अलावा हजारों की संख्या में तस्करी के लिए लाए गए मवेशियों को जब्त किया है। बताया कि वर्तमान समय में इन मवेशियों को रखने के लिए कई सामाजिक संगठन भी आगे आए हैं।

    सदर प्रखंड के मेरु में प्रशिक्षण केंद्र व स्कूल का स्थापना 18 नवंबर, 1966 को हुई थी। लेफ्टिनेंट आरपी मैकेलिफ ने इसकी स्थापना की थी। 25 मार्च, 1967 को मेरू में प्रशिक्षण केंद्र को स्थानांतरित किया गया था। प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना बीएसएफ की 25 वाहिनियों को बुनियादी ट्रेनिंग देने के लिए की गई थी।

    अब संस्थान बीएसएफ की 192 वाहिनियों की ट्रेनिंग से संबंधित जरूरतों को पूर्ण करने के साथ-साथ बाकी केंद्रीय पुलिस बलों, राज्य पुलिस बलों व मित्र राष्ट्रों के सशस्त्र राज्य पुलिस बलों व मित्र राष्ट्रों के सशस्त्र बलों की प्रशिक्षण से संबंधित जरूरतों को भी पूरा कर रहा है। वहीं, बीएसएफ की स्थापना एक दिसंबर, 1965 को हुई थी। डायरेक्टर जनरल केएफ रुस्तम ने बीएसएफ की नींव रखी थी।

    भारत की प्रथम रक्षा पंक्ति होने के नाते इस समय सीमा सुरक्षा बल की कुल 192 बटालियन है। इनके जिम्मे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा का कार्य है।

    ओडिशा और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों के अलावा मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड जैसे राज्यों की दुर्गम पहाड़ियों व जम्मू कश्मीर राज्य के बर्फीले इलाकों में आतंकवाद, नक्सलवाद जैसे अवैध संगठनों को रोकने के लिए यह बल अपना प्रमुख योगदान दे रहा है।

    प्रशिक्षण की स्थिति 

    • अभी तक कुल प्रशिक्षु प्रशिक्षित - 61,000
    • वर्ष 2023 में प्रशिक्षु प्रशिक्षित - 1,583
    • वर्तमान में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षु - 163

    2002 में मिला था सेंटर आफ एक्सीलेंस का अवार्ड

    प्रशिक्षण केंद्र व स्कूल मेरू को 2002 में सेंटर आफ एक्सीलेंस का अवार्ड मिला था। इसके बाद सेंटर आफ एक्सीलेंस काउंटर इंसरजेंसी एंड कमांडो, एक्सपोलोसिव डिटेंशन व हैंडलिंग का प्रमाण मिला है।

    इसके अलावा भारत सरकार ने भी सेंटर आफ एक्सीलेंस का अवार्ड दिया है। इसके साथ ही प्रशिक्षण केंद्र आइएसओ 9001-2015 से भी प्रमाणित है।

    परेड में इनका दिखेगा नजारा

    इस परेड में बीएसएफ के सभी सीमांत (फ्रंटियर) के कंटिनजेंट की महिला व पुरुष (टुकड़िया) भाग ले रही हैं। जांबाज व सीमा भवानी की मोटरसाइकिल टीम, ऊंट व घुड़सवार दस्ते, उच्च प्रशिक्षण पाये हुए श्वान, बीएसएफ एयर विंग के हैलिकाप्टर, बीएसएफ तोपखाना, अश्रु गैस इकाई टेकनपुर, मिर्ची बम्ब व एडवेंचर प्रशिक्षण संस्थान (बीआइएएटी) कि पैराग्लाइडिंग का प्रदर्शन दिखाया जाएगा।

    इसके अलावा कलरीपायट्टु, मणीयारो रास, योग, खड़िया लोक नृत्य समेत विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए जाएंगे। परेड में 1000 से अधिक जवान और अधिकारी हिस्सा लेंगे।

    इस दौरान सीमा सुरक्षा बल के वीरता पदक विजेताओं, वीरता पदक विजेता (मरणोपरांत) के परिजनों, सेवारत सीमा प्रहरियों के अलावा सीमा सुरक्षा बल को भी इस समारोह में आमंत्रित किया गया है।

    1200 किलोमीटर नदी क्षेत्र में बीएसएफ करती है गश्त

    डीजी नितिन अग्रवाल ने कहा कि बांगलादेश सीमा पर चार हजार किमी क्षेत्र में बीएसएफ पहरा देती है। इनमें ऐसे 12 किलोमीटर का भी क्षेत्र है जहां नदी बहती है और बीएसएफ को बोट आदि की सहायता से गश्त करना पड़ता है। इनमें सुंदरवन प्रमुख है।

    इसके लिए बीएसएफ के पास अपना वाटर बटालियन, बोट, नाव व अन्य सामरिक संसाधन भी है। बताया कि जरूरत के मुताबिक आपरेशन के लिए बीएसएफ के पास हेलिकाप्टर व जवानों को दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए जहाज भी है।

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