Uttarkashi Tunnel Rescue: हवाई जहाज से आज रात 8 बजे रांची पहुंचेंगे झारखंड के मजदूर, 12 परिजन भी आएंगे साथ
सिल्कयारा टनल हादसे में फंसे मजदूर जहां सुरक्षित निकाल लिए गए हैं। सभी को एयरलिफ्ट कर रांची लाने की भी तैयारी हो गई है। झारखंड के सभी 15 मजदूर शुक्रवार को आठ बजे रांची पहुंचेंगे। उनके साथ उनके 12 परिजन भी हैं जो साथ में आएंगे। जैप आइटी के सीईओ भुवनेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में गठित टीम अपने साथ मजदूरों को रांची लाएगी।

राज्य ब्यूरो, रांची। उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिल्कयारा टनल हादसे में फंसे मजदूर जहां सुरक्षित निकाल लिए गए हैं। सभी को एयरलिफ्ट कर रांची लाने की भी तैयारी हो गई है। झारखंड के सभी 15 मजदूर शुक्रवार को आठ बजे रांची पहुंचेंगे। उनके साथ उनके 12 परिजन भी हैं, जो साथ में आएंगे।
रात आठ बजे एयरपोर्ट पहुंचेगी फ्लाइट
भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी सह जैप आइटी के सीईओ भुवनेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में गठित टीम अपने साथ मजदूरों को रांची लाएगी।
सभी मजदूर इंडिगो की फ्लाइट से रांची लाए जाएंगे। यह फ्लाइट रात आठ बजे रांची एयरपोर्ट पहुंचेगी। यहां से सभी मजदूरों को उनके घर के लिए रवाना किया जाएगा।
हादसे के 17 दिनों बाद निकाला गया सुरक्षित
टनल हादसे से सुरक्षित निकाले गए सभी मजदूरों में 15 मजदूर झारखंड के हैं। इनमें दो मजदूर गिरिडीह, तीन-तीन रांची तथा खूंटी तथा सात मजदूर पूर्वी सिंहभूम के हैं।
इन सभी को हादसे के 17 दिनों बाद सुरक्षित निकाला गया था। बता दें कि मजदूरों को झारखंड सुरक्षित लाने के लिए उक्त टीम लगातार उत्तरकाशी में कैंप कर रही थी।
514 आदिवासियों को फर्जी नक्सली बनाकर सरेंडर मामले में सरकार देगी जवाब
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ राज्य में 514 आदिवासी युवकों को नक्सली बता फर्जी सरेंडर कराने के मामले में सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान सरकार ने प्रगति रिपोर्ट पेश करने के लिए अदालत से समय देने का आग्रह किया। अदालत ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई जनवरी में निर्धारित की है।
बता दें कि वर्ष 2014 में राज्य के 514 आदिवासी युवकों को दिग्दर्शन कोचिंग संस्थान और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से नक्सली बताकर सरेंडर कराने की तैयारी की जा रही थी। इसके लिए युवकों को सरकारी नौकरी देने का प्रलोभन दिया गया था। सरेंडर कराने के पूर्व में उन्हें पुरानी जेल में रखा गया था।
याचिका में कहा गया है कि राज्य के पुलिस अधिकारियों ने नक्सलियों के सरेंडर का आंकड़ा बढ़ाने के लिए आदिवासी युवकों को प्रलोभन दिया था। पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से नौकरी देने के नाम पर उन्हें नक्सली बता कर सरेंडर कराने की योजना बनी थी।

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