जन सांस्कृतिक समागम: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सभा को लेकर भारी उत्साह, गुमला में जुटी लोगों की भीड़
गुमला के रायडीह प्रखंड में पंखराज साहेब कार्तिक उरांव आदिवासी शक्ति स्वायतशासी विश्वविद्यालय निर्माण समिति द्वारा अंतरराज्यीय जन सांस्कृतिक समागम आयोज ...और पढ़ें

राष्ट्रपति मुर्मू के स्वागत में खड़ा जनजातीय समूह। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, गुमला। रायडीह प्रखंड के माझाटोली स्थित बैरियर बगीचा में पंखराज साहेब कार्तिक उरांव आदिवासी शक्ति स्वायतशासी विश्वविद्यालय निर्माण समिति द्वारा आयोजित अंतरराज्यीय जन सांस्कृतिक समागम में मंगलवार सुबह से ही लोगों की भारी भीड़ उमड़ने लगी है।
कार्यक्रम स्थल पूरे दिन जनजातीय नृत्य-गान की मधुर धुनों से गूंज रहा है। दूर-दराज़ के ग्रामीण पारंपरिक वेशभूषा में समूहों के रूप में शामिल होकर अपनी समृद्ध संस्कृति की झलक पेश कर रहे हैं।
कार्यक्रम के मद्देनज़र सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है। कार्यक्रम स्थल से एक किलोमीटर पहले ही वाहनों को रोक दिया गया है और सिर्फ़ वीआईपी वाहनों को ही कार्यक्रम स्थल तक जाने की अनुमति दी गई है। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी लगातार मानिटरिंग में जुटे हुए हैं, ताकि भीड़ के बीच किसी प्रकार की अव्यवस्था न होने पाए।
इस भव्य कार्यक्रम में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगी। साथ ही झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय तथा झारखंड सरकार के मंत्री चमरा लिंडा भी उपस्थित रहकर लोगों को संबोधित करेंगे। कार्यक्रम को लेकर स्थानीय लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है।
कार्यक्रम में शामिल होने से पहले राष्ट्रपति मुर्मू से हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी ने मुलाकात की।

समागम के केंद्र में जनजातीय समुदायों के शैक्षणिक उत्थान हेतु स्वायतशासी विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग है। राष्ट्रपति के समक्ष विश्वविद्यालय की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की जाएगी।
साथ ही जनजातीय समुदायों के सर्वांगीण विकास, शिक्षा, संस्कृति और स्वाभिमान से जुड़े मुद्दों पर भी विमर्श किया जाएगा। ग्रामीण प्रतिनिधियों द्वारा विश्वविद्यालय निर्माण की मांग से जुड़ा हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन राष्ट्रपति को सौंपा जाना प्रस्तावित है।
कार्यक्रम में झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से आए जनजातीय प्रतिनिधियों की बड़ी भागीदारी हो रही है। आयोजकों का मानना है कि यदि प्रस्तावित विश्वविद्यालय की स्थापना होती है तो यह आदिवासी समाज के शैक्षणिक और सांस्कृतिक सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित होगा।

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