Jharkhand News: पर्ची के लिए लाइन में लगा रहा पिता, बिना इलाज के बेटी की हो गई मौत
गुमला सदर अस्पताल में एक पिता को अपनी बीमार डेढ़ वर्षीय बेटी के इलाज के लिए पर्ची कटाने में डेढ़ घंटे लग गए। लंबी लाइन में लगने के दौरान ही बच्ची ने अस्पताल परिसर में दम तोड़ दिया। चैनपुर के कमलेश उरांव अपनी बेटी को शनिवार से बुखार होने पर अस्पताल लाए थे लेकिन समय पर इलाज न मिलने से उसकी मौत हो गई।

जागरण संवाददाता, गुमला। गुमला सदर अस्पताल में मंगलवार को एक हृदय विदारक दृश्य देखने को मिला। यहां अपनी डेढ़ वर्षीय नन्ही बेटी का इलाज कराने पहुंचे एक पिता को लगभग डेढ़ घंटे तक पर्ची कटाने के लिए लाइन में लगे रहना पड़ा, जबकि इसी बीच उनकी बीमार बेटी ने बिना इलाज के अस्पताल परिसर में दम तोड़ दिया।
गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड के बाम्दा कोरकोटोली निवासी कमलेश उरांव मंगलवार को लगभग 10.30 बजे सदर अस्पताल पहुंचे थे। गंभीर रूप से बीमार अपनी नन्ही बेटी का इलाज कराने के लिए उन्हें यहां लंबी लाइन में लगना पड़ा।
बिना इलाज के बेटी ने तोड़ा दम
करीब डेढ़ घंटे बाद 12:04 बजे उन्हें पर्ची मिली, वह बेटी को जल्दी से डॉक्टर को दिखाना चाहते थे, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और बेटी ने बिना इलाज के ही दम तोड़ दिया। कमलेश ने बताया कि उसकी बेटी को शनिवार से बुखार था।
वह बेटी का इलाज चैनपुर में ही करवा रहे थे। उसकी तबीयत में कोई सुधार नहीं होने पर उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर आए, लेकिन सिस्टम की मार ने उनकी बेटी की जान ले ली। समय से पर्ची नहीं कटने के कारण बेटी का इलाज शुरू नहीं हो पाया और उसकी मौत हो गई।
घटना के बाद वह काफी देर तक अपनी बेटी के शव को छाती से चिपकाकर रोते रहे। उनके साथ बच्ची की मां भी रो-रोकर बार-बार बेसुध हो रही थी।
रिश्तेदार से उधार लेकर बेटी का इलाज कराने आए थे कमलेश
उरांव ने बताया कि बेटी के इलाज के लिए उन्होंने घाघरा के दरदाग निवासी अपने जीजा सुलेंद्र उरांव से 13 हजार रुपये उधार लिए थे। अस्पताल पहुंचने पर ओपीडी के बाहर गार्ड ने पर्ची कटाने के लिए कहा तो वह लाइन में लग गए। इस बीच बच्ची की हालत और बिगड़ गई।
इस दौरान एक सहिया की नजर बच्ची पर पड़ी तब उसने डॉक्टर को बुलाया। ड्यूटी पर मौजूद डॉ. रुद्र कश्यप ने बच्ची को देखा, लेकिन तबतक बच्ची की मौत हो चुकी थी। इस मामले में डॉ. कश्यप ने कहा कि बच्ची को मृत अवस्था में ही लाया गया था।
बच्ची दो-तीन दिनों से बीमार थी। इस क्रम में गांव में इलाज कराने के साथ ही उसका झाड़-फूंक भी कराया था। इस क्रम में लगातार बच्ची की हालत बिगड़ती चली गई। इसके बाद उसे अस्पताल लाया गया।
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