प्रकृति की गोद में बसा प्राचीन योगिनी शक्ति पीठ, मां सती का पवित्र स्थल जहां पूरी होती हैं मुरादें
गोड्डा-पीरपैती मार्ग पर स्थित मां योगिनी शक्ति पीठ, प्रकृति की गोद में बसा है। यहां दूर-दराज से श्रद्धालु माता का पूजन करने आते हैं। मंगलवार और शनिवार ...और पढ़ें

प्रकृति की गोद में बसा प्राचीन योगिनी शक्ति पीठ
संवाद सहयोगी, गोड्डा। गोड्डा-पीरपैती मुख्य मार्ग पर पहाड़ी श्रृंखला के बीच प्रकृति की गोद में अवस्थित है मां योगिनी शक्ति पीठ। मंदिर परिसर स्थित पुराना बरगद वृक्ष की लटाओं व योगिनी मंदिर के गर्भ गृह में माता का पूजन करने के लिए प्रतिदिन दूर-दराज क्षेत्र के श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
खासकर मंगलवार एवं शनिवार को तो यहां विशेष धाम लगता है। इस दिन यहां असाध्य रोगों का इलाज भी किया जाता है। इसको लेकर दिनरात आगन्तुकों का आगमन होता रहता है। खासकर नववर्ष व पिकनिक के मौके पर इस क्षेत्र के लोग परिवार के साथ पिकनिक स्पाटों पर जाकर पिकनिक मनाते हैं।
कैसा है मंदिर का इतिहास
यह अति प्राचीन धाम है। यह तत्कालीन बारकोप स्टेट के अधीन है। योगिनी पहाड़ी की चोटी की गुफा में शिलापट है जिसे माता शति का अंग समझकर पूजा जाता है। कई बार यहां यज्ञ जैसे अनुष्ठान भी हुए हैं। कहा जाता है कि शिव व शिवा का यहां अनोखा संगम स्थल है।
योगिनी पहाड़ी पर माता सती का स्थान है तो बगलीर धनसुख पहाड़ी की चोटी पर बाबा महादेव का स्थल है। इसे मनोकामना नाथ के रूप में पूजा जाता है। अब तो यहां तक जाने के लिए सीढ़ी बना दिया गया है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के मद्देनजर कई धर्मशाला व भक्त गृह भी बनाए गए हैं।
यहां आने से भक्तों को शांति मिलती है और माथा टेकने से मुरादें भी पूरी होती हैं। इसकी देखरेख राजा के वंशज आशु बाबाा के पुत्र बाबी सिंह कर रहे हैं।
क्या कहते हैं व्यवस्थापक
व्यवस्थापक बाबी सिंह कहते हैं कि योगिनी धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है। जरुरत के अनुसार सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।
योगिनी पहाड़ी व धनसुख पहाड़ी की गुफा व मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ी की बेहतर व्यवस्था के साथ- साथ सफाई व सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था है। विभिन्न त्योहारों पर नववर्ष पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजन के साथ- साथ पिकनिक व दार्शनिक स्थलों का भी लुत्फ उठाते हैं।
कैसे पहुंचें
योगिनी मंदिर तक पहुंचने के लिए गोड्डा से पीरपैती मुख्य मार्ग पर 11 किमी दूरी पर योगिनी द्वार है। जहां से कुछ ही दूर अवस्थित है योगिनी मंदिर।
पीरपैती से आने वाले पथरगामा के बाद एक किमी दूरी पर अवस्थित है। बस से या निजी सवारी से यहां तक पहुंच सकते हैं।

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