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    Jharkhand PESA Act: गोड्डा के 740 मौजा में लागू होगा 'पेसा', ग्राम सभा को मिलेंगे कई अधिकार

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 06:06 PM (IST)

    झारखंड के गोड्डा जिले के 740 मौजा में पेसा एक्ट लागू होगा, जिससे ग्राम सभा सशक्त होगी। इस अधिनियम के तहत, ग्राम सभा को कई अधिकार मिलेंगे, जिससे स्थानी ...और पढ़ें

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    विधु विनोद, गोड्डा। झारखंड के जिन 15 जिलों में सरकार ने पेसा नियमावली (पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्र का विस्तार अधिनियम) को लागू करने का निर्णय लिया है, उसमें गोड्डा जिला भी आंशिक रूप से शामिल है। जिले के दो अधिसूचित प्रखंड सुंदरपहाड़ी और बोआरीजोर के कुल 740 मौजा में पेसा कानून लागू होगा। इसमें ग्राम सभाओं को विशेष शक्ति और दायित्व दिए जा रहे हैं। जल, जंगल और जमीन पर अब ग्राम सभा का अधिकार होगा।

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    खनन और जमीन अधिग्रहण के मामले में अब ग्राम सभा की सहमति अनिवार्य होगी। इसके अलावा ग्राम सभा को लघु वन उपज के उपयोग, स्थानीय क्षेत्र विकास योजना, जल संसाधन प्रबंधन के भी अधिकार मिलेंगे। यहीं नहीं, अधिसूचित क्षेत्रों में अब देसी या विदेशी शराब की दुकानें ग्राम सभा की अनुमति के बाद ही खुलेगी।

    वहीं,, घर में चोरी, मवेशी चोरी सहित सामान्य अपराधों की सुनवाई ग्राम सभा में ही होगी। प्रशासनिक हस्तक्षेप के बिना ग्राम प्रधान गांव के मसले पर सर्वमान्य निर्णय ले सकेंगे। भू राजस्व, भूमि विवाद, स्वास्थ्य, शिक्षा के मामले में ग्राम सभा की कार्रवाई ही मान्य होगी। वहीं,, एक एकड़ से काम जलग्रहण क्षेत्र पर ग्राम सभा का नियंत्रण होगा। ऐसे तालाबों में मछली पालन का निर्णय ग्राम सभा करेगी।

    संताल परगना की पारंपरिक आदिवासी स्वशासन व्यवस्था (मांझी परगना व्यवस्था) में सदस्यों की संख्या तय नहीं हैं। यह पदानुक्रमित प्रणाली है जिसमें गांव स्तर पर मांझी, उप-मांझी, जोगमांझी, पराणिक (चौकीदार) और देश मांझी जैसे विभिन्न अधिकारी होते हैं, और परगना स्तर पर परगनैत और दिशोम परगनैत जैसे बड़े अधिकारी होते हैं, जो मिलकर पूरी प्रणाली बनाते हैं, जिसमें 70 प्रतिशत तक पदाधिकारी संथाल आदिवासी होते हैं, लेकिन यह गैर-आदिवासियों और अन्य समुदायों तक भी फैली है, संख्या गांव के आकार और जरूरत के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है।

    गोड्डा के अधिसूचित क्षेत्र में आदिवासी परंपरागत स्वशासन व्यवस्था में ग्राम प्रधान की अध्यक्षता वाली ग्राम सभा में गुड़ैत, नायकी, जोगमांझी, पराणिक, कुड़म नायकी की भूमिका अहम है।

    159 ग्राम प्रधानों के पद रिक्त:

    जिले के अधिसूचित क्षेत्र बोआरीजोर और सुंदरपहाड़ी प्रखंड में जहां कुल 740 मौजा के लिए ग्राम प्रधान की व्यवस्था की गई है। इसमें से वर्तमान में यहां ग्राम प्रधानों के कुल 159 पद रिक्त है। पेसा कानून लागू होने के बाद अब जिला प्रशासन को इन मौजों में ग्राम प्रधानों की नियुक्ति सुनिश्चित करनी है। जानकारी के अनुसार बोआरीजोर प्रखंड में ग्राम प्रधान के 113 पद रिक्त हैं।

    वहीं, सुंदरपहाड़ी में भी ग्राम प्रधानों के 46 पद रिक्त हैं। बोओरीजोर प्रखंड में 442 मौजा हैं। वहीं, अभी 329 मौजा में ही ग्राम प्रधान क्रियाशील हैं। आदिवासी परंपरागत स्वशासन व्यवस्था में ग्राम प्रधान की अध्यक्षता वाली ग्राम सभा में गुड़ैत, नायकी, जोगमांझी, पराणिक, कुड़म नायकी का काेरम पूरा होने पर ही ग्राम प्रधान के निर्णय मान्य होंगे।

    वहीं, सुंदरपहाड़ी प्रखंड में कुल 298 मौजा हैं जिसमें 252 मौजा में ही ग्राम प्रधान हैं। यहां ग्राम प्रधान के साथ ग्राम सभा के सदस्यों की संख्या 1500 से अधिक है। इसमें गुडैत, नायकी, जोगमांझी, पराणिक, कुडम नायकी आदि के 450 पद अभी रिक्त हैं।

    सुंदरपहाड़ी के ग्राम प्रधान झरिया सोरेन ने बताया कि वर्तमान में सरकार की ओर से ग्राम प्रधान को प्रति माह ₹4000 और शेष पांच सदस्यों को क्रमश: दो-दो हजार रुपये मानदेय मिल रहा है। अभी बीते नौ माह से ग्राम प्रधानों को मानदेय नहीं मिला है वहीं, ग्राम सभा के अन्य सदस्यों के मानदेय बीते 15 माह से लंबित हैं।

    आदिवासी परंपरागत स्वशासन व्यवस्था में ग्राम सभा में प्रधान, गुड़ैत, नायकी, जोगमांझी, पराणिक, कुड़म नायकी सहित पांच से दस सदस्य निर्णय लेते हैं। पेसा कानून लागू होने पर अब प्रशासनिक हस्तक्षेप के बिना ग्राम प्रधान गांव के मसले पर सर्वमान्य निर्णय ले सकेंगे। सरकार ने पेसा कानून लागू कर साहसिक कदम उठाया है। पेसा कानून के तहत प्रधान सहित ग्राम सभा के सदस्यों को प्रशिक्षण देने की भी जरूरत है। - ताला मरांडी, पूर्व विधायक, ग्राम प्रधान, इटहरी, बोओरीजोर