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    Shikaripara Vidhan Sabha: नलिन की विरासत का होगा सूर्योदय या नए चेहरे को अवसर, हेमंत सोरेन भी कर सकते हैं हैरान

    Updated: Thu, 17 Oct 2024 03:04 PM (IST)

    झारखंड के शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में नलिन सोरेन का दबदबा रहा है लेकिन अब वे सांसद बन गए हैं। ऐसे में इस बार झामुमो के लिए परिस्थितियां और प्रत्याशी दोनों नए होंगे। चर्चा है कि हेमंत सोरेन बरहेट के अलावा शिकारीपाड़ा से भी दंगल में ताल ठोंक सकते हैं। हालांकि इस पर झामुमो का कोई भी नेता कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

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    नलिन सोरेन और हेमंत सोरेन। फाइल फोटो

    राजीव रंजन, दुमका। Jharkhand Election 2024 पश्चिम बंगाल की सीमाओं को छूता दुमका जिले का शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र कई मायने में अहम है। ऐतिहासिक मंदिरों का गांव मलूटी से शिकारीपाड़ा की पहचान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। उद्योग-धंधों से महरूम दुमका दुमका जिले का यह क्षेत्र रत्नगर्भा है। जमीन के ऊपर पत्थर व खदान व गर्भ में कोयला जैसी अकूत खनिज संपदा वाले इस विधानसभा पर बीते लगातार 35 सालों से झामुमो के नलिन सोरेन का एकछत्र राज कायम है। अब नलिन पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन की परंपरागत दुमका संसदीय सीट से सांसद हैं।

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    बदले हुए राजनीतिक हालात में 2024 के लोकसभा चुनाव में झामुमो ने गुरुजी की सीट दुमका से नलिन सोरेन पर भरोसा जताया और उनके लिए दिल्ली जाने का मार्ग भी प्रशस्त कर दिया। सो, अबकी बार शिकारीपाड़ा में झामुमो के अंदर नलिन की जगह नए चेहरे को टिकट देने का मंथन चल रहा है।

    राजनीति में कुछ भी पक्का नहीं!

    वैसे तो टिकट की रेस में नलिन सोरेन के पुत्र आलोक सोरेन के नाम की ही चर्चा है, लेकिन कहते हैं कि राजनीति में संभावनाएं हमेशा बनी रहती हैं, इसलिए जब तक पार्टी आलाकमान चुनाव चिह्न नहीं सौंप देता है तब तक अनिश्चितता भी साथ रहती है। बहरहाल, टिकट की आस लिए आलोक सोरेन क्षेत्र में इस उम्मीद से घूम रहे हैं कि उन्हें ही पिता के विरासत को आगे बढ़ाने का अवसर मिलेगा।

    झारखंड के शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र (Shikaripara Vidhan Sabha Seat) में झामुमो का दबदबा कायम है। नलिन सोरेन ने यहां से लगातार सात बार जीत हासिल की और अब सांसद बने हैं। इस क्षेत्र में आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव झामुमो के पक्ष में रहा है। शिकारीपाड़ा सीट के लिए 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। वैसे चर्चा है कि झामुमो के रणनीतिकार एनडीए गठबंधन के सभी सीटों की घोषणा होने के बाद ही अपना पत्ता खोलेंगे और तब तक के लिए सबके लिए इंतजार करना ही एकमात्र विकल्प है।

    17 से 10 बार चुनाव जीतने में सफल रहा है झामुमो

    अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट झामुमो का अभेद्य किला है। देश की आजादी के बाद अब तक हुए चुनावों में झामुमो ने सर्वाधिक 10 बार जीत हासिल की है, जिसमें लगातार सात बार जीतने का रिकॉर्ड नलिन सोरेन के नाम पर दर्ज है। आजादी के बाद 1952 से अब तक इस विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव सहित 17 बार विधानसभा के चुनाव हुए हैं, जिसमें सर्वाधिक 10 बार झामुमो के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है।

    नलिन सोरेन वर्ष 1990 से लगातार इस क्षेत्र से विधायक चुने जाते रहे हैं, लेकिन अबकी बार झामुमो के लिए परिस्थितियां व प्रत्याशी दोनों नए होंगे। फिलहाल, झामुमो के टिकट के कई दावेदारों की चर्चा हवा में है। इसमें नलिन सोरेन के पुत्र आलोक सोरेन और उनकी पत्नी जिला परिषद की अध्यक्ष जायस बेसरा और दुमका के विधायक बसंत सोरेन के अलावा, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भी चुनाव लड़ने की चर्चा हवा में तैर रही है।

    चर्चा है कि हेमंत सोरेन बरहेट के अलावा शिकारीपाड़ा से भी दंगल में ताल ठोंक सकते हैं। हालांकि, इस पर झामुमो का कोई भी नेता कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

    क्षेत्र में लगातार सक्रिय है नलिन व उनका पारिवारिक कुनबा

    शिकारीपाड़ा से लगातार सात बार विधायक रहे नलिन सोरेन भले ही अब दुमका के सांसद हैं, लेकिन अभी उनका ज्यादा समय शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में बीत रहा है। उनके जानने वाले लोगों का कहना है कि सांसद बनने के बाद अब वह अपनी विरासत अपने पुत्र आलोक सोरेन को सौंप कर निश्चिंत होना चाहते हैं।

    नलिन सोरेन की पत्नी जायस बेसरा फिलहाल जिला परिषद दुमका की अध्यक्ष हैं और उनके पुत्र आलोक झामुमो के केंद्रीय कमेटी में सदस्य हैं। आलोक भी बीते कुछेक वर्षों से लगातार शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। चर्चा है कि अगर झामुमो ने आलोक को टिकट दिया और वह चुनाव जीतने में सफल हुए तो एक ही परिवार में सांसद, विधायक व जिला परिषद के प्रतिनिधित्व का अद्भूत संयोग देखने को मिल सकता है।

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