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    दुमका में मारवाड़ी महिलाओं की अनोखी पहल, पहली बार होगा सामूहिक विवाह

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 02:11 PM (IST)

    दुमका में मारवाड़ी विवाह सम्मेलन ने कन्या भ्रूण हत्या बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ सामूहिक विवाह को बढ़ावा देने की अनूठी पहल की है। सम्मेलन 2026 में 11 जोड़ों के विवाह का आयोजन करेगा जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों को शामिल किया जाएगा। सम्मेलन विवाह का खर्च वहन करेगा और नवविवाहित जोड़ों को गृहस्थी का सामान भी देगा।

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    दुमका में मारवाड़ी महिलाओं की अनोखी पहल

    राजीव, जागरण। मनुस्मृति में एक प्रसिद्ध श्लोक है- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता। मतलब जहां स्त्रियों की पूजा या सम्मान होती है वहां देवताओं का वास होता है। कुछ इसी भाव को लिए दुमका में मारवाड़ी विवाह सम्मेलन से जुड़ी महिलाओं ने एक नई पहल की है।

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    इनका उद्देश्य समाज में व्याप्त कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों पर न सिर्फ सीधा प्रहार करना है बल्कि इसके निदान के लिए भी गंभीर पहल करनी है।

    इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए मारवाड़ी विवाह सम्मेलन की शीर्ष प्राथमिकता सामूहिक विवाह को बढ़ावा देना है। खास बात यह कि मारवाड़ी विवाह सम्मेलन के माध्यम से सिर्फ मारवाड़ी समाज ही नहीं बल्कि हरेक समाज के जरूरतमंद परिवारों की बेटियों की सामूहिक विवाह हिंदू रीति-रिवाज से कराई जाएगी।

    शादी में तमाम खर्च का वहन मारवाड़ी विवाह सम्मेलन करेगी। शादी पूरे शान-शौकत से कराई जाएगी। किसी भी तरह की कोई कमी वर व कन्या पक्ष को महसूस नहीं होने दी जाएगी। प्रत्येक जोड़े को वैवाहिक जीवन में उपयोग में आने वाली वस्तुएं भी प्रदान की जाएंगी। इन शादियों को कानूनी मान्यता मिले इसके लिए इनका कोर्ट से निबंधन में कराया जाएगा।

    आर्थिक तौर पर कमजोर माता-पिता की बेटियों को मिलेगा संबल

    मारवाड़ी विवाह सम्मेलन की अंजना भुवानियां कहती हैं कि इसकी शुरुआत 11 जोड़ियों के सामूहिक विवाह की परंपरा से होगी। विवाह का आयोजन 2026 में तय है। अब तक पांच जरूरतमंद परिवारों को चिह्नित कर उनका नाम दर्ज कर लिया गया है।

    शेष छह परिवार भी संपर्क में हैं। मारवाड़ी विवाह सम्मेलन की ओर यह भी खुली अपील है कि जो भी जरूरतमंद परिवार सामूहिक विवाह में भागीदारी तय करना चाहते हैं वह बिना

    किसी संकोच के खुले मन से

    जोड़ा के साथ संपर्क कर सकते हैं। कहा कि आर्थिक तौर पर कमजोर माता-पिता को उनकी बेटियों का विवाह कराकर उन्हें संबल देना है।

    अंजना ने कहा कि बेटियां तो सांझी होती हैं मतलब यह है कि बेटियां किसी एक व्यक्ति या परिवार की निजी संपत्ति नहीं होती हैं बल्कि ये पूरे समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। सभी बेटियों की सुरक्षा और सम्मान की जिम्मेवारी पूरे समाज की है। इन्हें केवल अपने परिवार की बेटी नहीं, बल्कि समाज या देश की बेटी के रूप में देखा जाना चाहिए।

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    कन्या भ्रूण हत्या और बेटा-बेटी में फर्क की की सोच की वजह से देश भर में बालक-बालिका का लिंगानुपात में तेजी से कमी आई है। हरेक समाज में लड़कियों की संख्या कम होने के कारण कई तरह की परेशानियां सामने आ रही हैं जिसमें वैवाहिक परिस्थितियां भी शामिल हैं।

    ऐसे में इन तमाम सामाजिक कुरीतियों व परिस्थितियों से उबरने के लिए मारवाड़ी विवाह सम्मेलन की ओर से दुमका में पहली बार सामूहिक विवाह कराने का बीड़ा उठाया गया है। इसमें सबसे सुखद पहलू यह है कि मारवाड़ी समाज के गणमान्य लोगों ने तन-मन-धन से मदद करने के लिए आगे आए हैं।

    मारवाड़ी विवाह सम्मेलन की सीमा अग्रवाल, पूजा मोदी, किरण भालोटिया, मानसी मोदी,

    शालिनी अग्रवाल पूरे आयोजन के केंद्र में हैं।

    आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की लड़कियों के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिए मारवाड़ी विवाह सम्मेलन ने सामूहिक विवाह कराने का बीड़ा उठाया है। दुमका में इस तरह का प्रयास पहली बार हो रहा है। मारवाड़ी विवाह सम्मेलन की महिलाओं का संकल्प है कि समाज में बेटियों के प्रति हर तरह की भ्रांतियों को खत्म कर इनका मान-सम्मान बढ़ाना है।- अंजना भुवानियां, मारवाड़ी विवाह सम्मेलन, दुमका