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    Dumka News: क्लर्क का बेटा बना IAS, चौथे प्रयास में क्रैक कर दी UPSC परीक्षा; खुद बताया सफलता का राज

    Updated: Tue, 22 Apr 2025 08:41 PM (IST)

    दुमका के सौरभ सिन्हा ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2024 में 49वीं रैंक हासिल की है। यह सफलता उन्हें चौथे प्रयास में मिली है। सौरभ की कहानी मेहनत लगन और आत्मविश्वास की मिसाल है। उन्होंने संसाधनों की कमी और असफलताओं को पार करते हुए अपने सपने को पूरा किया है। उनकी सफलता उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।

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    यूपीएसी में सौरभ को 49 वां रैंक

    जागरण संवाददाता, दुमका। मंगलवार को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2024 का परिणाम जारी हुआ। इसमें दुमका के 28 वर्षीय सौरभ सिन्हा ने 49वीं रैंक हासिल की है। यह सफलता उन्हें चौथे प्रयास में मिली।

    सौरभ की कहानी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास की मिसाल है। रसिकपुर के मध्यमवर्गीय परिवार आने वाले सौरभ के पिता प्रियाव्रत सिन्हा जिला अधिवक्ता संघ कार्यालय में बड़ा बाबू हैं। सौरभ का छोटा भाई है।

    सौरभ का जन्म और पालन-पोषण दुमका में ही हुआ। उसने नर्सरी से लेकर इंटर तक की पढ़ाई दुमका में की। ग्रीन माउंट अकैडमी से मैट्रिक तक की पढ़ाई बिना किसी ट्यूशन के की।

    वर्ष 2011 में मैट्रिक और 2013 में इंटर की परीक्षा में अच्छे अंक लाए। इंटर में साईटेंक कोंचिंग संस्स्थान से कोचिंग कराने वाले निदेशक मार्तंड मिश्रा ने बताया कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, फिर भी सौरभ ने कभी हार नहीं मानी। स्वाध्याय के बल पर पढ़ाई की। पढ़ाई के प्रति जुनून था।

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    वर्ष 2021 में उसने आईआईटी खड़गपुर से बीटेक और एमटेक किया। इसके बाद किसी कंपनी में नौकरी नहीं की। वर्तमान में नारायणा विश्वविद्यालय लखनऊ में प्रोफेसर है।

    असफल होने के बाद नहीं मानी हार

    पिता ने बताया कि सौरभ ने पहले 2019 में यूपीएससी की परीक्षा दीं। पीटी पास किया,लेकिन साक्षात्कार में रह गया। इसके बाद 21 और 22 में परीक्षा दी, लेकिन साक्षात्कार में असफल हो गया।

    इसके बाद भी हिम्मत नहीं हारी। हर बार असफलता से सीखता रहा। उत्तर लेखन और समय प्रबंधन में सुधार किया। मॉक टेस्ट दिए। पुराने प्रश्नपत्रों का विश्लेषण किया। समसामयिक मुद्दों पर गहराई से अध्ययन किया।

    चौथे प्रयास में एक तय योजना के साथ तैयारी कर सफलता हासिल की।सौरभ की सफलता यह साबित करती है कि संसाधनों की कमी, उम्र या आर्थिक स्थिति सफलता की राह में बाधा नहीं बनती।

    सही रणनीति, मेहनत और परिवार का साथ हो तो कोई भी सपना पूरा हो सकता है। उनकी कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।

    निराशा की वजह से वर्ष 23 में नहीं दी थी परीक्षा

    माता विभा सिन्हा ने बताया कि तीन बार मिली असफलता के बाद उसे तैयारी छोड़कर कंपनी में काम करने के लिए प्रेरित किया। निराशा की वजह से वर्ष 23 में परीक्षा नहीं थी। लेकिन इसी परीक्षा में उसका एक साथी पास हो गया। इसके बाद उसने फिर से तैयारी शुरू की ओर 24 में फिर से प्रयास किया।

    केवल खाने के लिए निकलता था कमरे से

    मां ने बताया कि बेटा हर हाल में आइएएस बनना चाहता था।पढ़ाई में किसी तरह की बाधा नहीं आए, इसलिए खुद को कमरे में बंद कर पढ़ता था। घर में कोई आए जाए, उससे उसे कोई वास्ता नहीं था। केवल खाना खाने के वक्त ही कमरे से निकलता और खाने के बाद फिर से कमरे में बंद कर लेता था।


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