धनबाद में डॉक्टरों की भारी कमी, 32 लाख की आबादी में केवल 700 सरकारी और निजी चिकित्सक दे रहे सेवाएं
धनबाद में डॉक्टरों की भारी कमी है। 32 लाख की आबादी वाले इस जिले में केवल 700 सरकारी और निजी चिकित्सक हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कम से कम 1000 लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए लेकिन धनबाद में यह अनुपात 4500 है। यही वजह है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को पूरा इलाज नहीं मिल पा रहा है।
मोहन गोप, धनबाद। World Health Day: झारखंड के सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व वाले जिला धनबाद में 4500 लोगों पर एक डॉक्टर सेवा हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कम से कम 1000 व्यक्ति पर एक डॉक्टर होना अनिवार्य है, लेकिन धनबाद में स्वास्थ्य विभाग का यह ग्राफ काफी खराब है।
मरीजों को नहीं मिल पा रहा इलाज
यही कारण है कि यहां के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को पूरी तरह से इलाज नहीं हो पा रही है। स्वास्थ्य विभाग, मेडिकल कॉलेज और सदर अस्पताल के बावजूद डॉक्टरों की भारी कमी है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 में इस बार का थीम 'स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य'है, लेकिन तमाम कोशिश के बावजूद धनबाद वासियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा सपना ही है।
मेडिकल कॉलेज में 189 की जरूरत, सेवा दे रहे 105
शहीद निर्मल महतो मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में डॉक्टर के 189 पद स्वीकृत हैं, लेकिन यहां पर मात्र 105 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं। हर दिन डॉक्टर यहां रिटायर हो रहे हैं। स्थिति यह है कि 22 में से 18 विभागों में प्रोफेसर का पद खाली है।
इसका सीधा असर यहां आने वाले मरीजों पर पड़ रहा है। अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट समेत कई विशेषज्ञ की कमी है। ऐसे में गंभीर मरीजों को सीधे रिम्स रांची अथवा दूसरे जगह भेजा जा रहा है।
सेंट्रल हॉस्पिटल, रेलवे अस्पताल और सदर अस्पताल का एक जैसा हाल
बीसीसीएल के केंद्रीय अस्पताल में 20 चिकित्सकों के पद खाली है। लगभग यहां पर 40 डॉक्टर ही सेवा दे रहे हैं, चिकित्सकों की भारी कमी है। कभी न्यूरो सर्जरी में अग्रणी यह अस्पताल अब रेफरल बनकर रह गया है। पिछले 5 वर्षों से न्यूरो सर्जरी विभाग भी बंद है।
रेलवे अस्पताल में भी विशेषज्ञ नहीं है। 35 डॉक्टरों की जगह यहां पर करीब 15 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं। यही स्थिति सदर अस्पताल की भी है। यहां पर 40 डॉक्टरों की जगह 15 डॉक्टर से काम चल रहा है।
सरकारी में 300 निजी में 400 डॉक्टर दे रहे सेवा
जिले के सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों में 300 सरकारी चिकित्सा सेवा दे रहे हैं। वहीं निजी क्षेत्र में 400 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं। सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र में 900 कर्मचारियों की जरूरत है, जबकि 400 कर्मचारी (इसमें अनुबंध भी) सेवा दे रहे हैं।
योजनाएं भी हो रही प्रभावित
डॉक्टर और कर्मचारियों की भारी कमी की वजह से कई सरकारी स्वास्थ्य योजनाएं लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पा रही हैं। संस्थागत प्रसव, नियमित टीकाकरण, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम, परिवार नियोजन आदि कार्यक्रम लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे हैं।
मरीज को बेहतर चिकित्सकीय सेवा मिले, इसके लिए लगातार कोशिश चल रही है। मुख्यालय स्तर से डॉक्टर के विभिन्न पदों की बहाली की प्रक्रिया भी चल रही है। कर्मचारियों की बहाली के लिए भी विभिन्न बहाली की शुरुआत होने जा रही है
डॉ. चंद्रभानु प्रतापन, सिविल सर्जन, धनबाद
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