छोटी-छोटी चीजों में खुशियां तलाशते हैं धनबाद के लोग
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के प्रशिक्षु अधिकारी जितेंद्र डुडी का मानना है कि वर्तमान पीढ़ी को खुद को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है।
धनबाद: भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के प्रशिक्षु अधिकारी जितेंद्र डुडी का मानना है कि वर्तमान पीढ़ी को खुद को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है। वर्तमान पीढ़ी आत्मनिर्भर होगी तो अगली पीढ़ी को किसी का मुंह नहीं देखना पड़ेगा। वह खुद-ब-खुद आत्मनिर्भर हो जाएगी। उन्होंने गरीब और गांव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल विकास और स्वरोजगार की वकालत की है।
डुडी ने शुक्रवार को दैनिक जागरण के साथ धनबाद में नौ महीने तक अपने प्रशिक्षण के अनुभव को साझा किया। उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए 7 जुलाई 2017 को धनबाद में योगदान दिया था। गुरुवार को उनका प्रशिक्षण समाप्त हुआ। इस दौरान उन्होंने सहायक समाहर्ता के तौर पर विभिन्न विभागों का प्रशासनिक कार्य सीखा। साथ ही करीब एक-एक महीने तक बाघमारा में अंचल अधिकारी और गोविंदपुर में प्रखंड विकास पदाधिकारी के पद का निर्वहन किया। डुडी कहते हैं कि वह गोविंदपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी के पद पर अपने कार्यो को जीवन भर नहीं भूलेंगे। गोविंदपुर में ही पहली बार विकास कार्यो को लेकर आम जनता से सीधा संवाद हुआ। उनकी आवश्यकताएं महसूस हुईं और एक अधिकारी के रूप में जरूरतमंदों के लिए कुछ करने का मौका मिला। गांव-देहात के लोगों को विकास और कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित कराने के बाद बड़ी खुशी मिली।
अपने अनुभव के आधार पर डुडी कहते हैं कि धनबाद के लोग बहुत ही सीधे और सरल हैं। गांव-देहात के लोग छोटी-छोटी चीजों में खुशियां ढूंढ़ते हैं। वह प्रखंड कार्यालय में प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय, उज्ज्वला योजना के तहत घरेलू गैस कनेक्शन और चूल्हा, मनरेगा में रोजगार आदि के लिए आते हैं। कार्य होने और योजना का लाभ मिलने पर बहुत खुश होते हैं।
सरकार का मुंह ताकने की बजाय खुद पर भरोसा करें: हालांकि डुडी का मानना है कि लोगों को छोटी-छोटी चीजों के लिए सरकार पर निर्भर रहने के बजाय खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम करना चाहिए। सरकार पर निर्भर रहेंगे तो अगली पीढ़ी भी पंगु ही बनी रह जाएगी।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2016 बैच के अधिकारी जितेंद्र डुडी को झारखंड कैडर मिला है। जयपुर के स्वामी केशवानंद इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एंड ग्रामोत्थान से बीटेक की डिग्री प्राप्त करनेवाले डुडी की ग्रामीण विकास में काफी दिलचस्पी है। धनबाद में प्रशिक्षण के दौरान डुडी का मन-मस्तिष्क राजस्थान और यहां की पंचायती राज व्यवस्था के बीच तुलनात्मक अध्ययन करता रहा। राजस्थान से आनेवाले डुडी तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर कहते हैं कि यहां पंचायती राज व्यवस्था में काफी सुधार हो रहा है। हालांकि राजस्थान के मुकाबले यहां बहुत सुधार की आवश्यकता है। सुधार धीरे-धीरे होगा क्योंकि राजस्थान में देश में सबसे पहले पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई और झारखंड में 8 साल से यह व्यवस्था लागू है। वह कहते हैं कि पंचायती राज व्यवस्था के तहत जैसे-जैसे सामुदायिक विकास तेज होगा, गांव आत्मनिर्भर होगा।
डुडी धनबाद को प्रशिक्षण के लिए आदर्श जिला मानते हैं। उन्होंने कहा कि धनबाद में प्रशासन के रोजाना के कार्यो के साथ ही झरिया पुनर्वास के कारण एक अलग तरह का कार्य सीखने को मिला। यहां कई बड़ी-बड़ी परियोजनाएं चल रही हैं। उसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम हो रहा है। भूमि अधिग्रहण से संबंधित कार्य का अनुभव भी उल्लेखनीय रहा।
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